तुम्‍हारा जुल्‍फी प्रशासन तुम्‍हारे महिला-संरक्षा व सुरक्षा के नारे का नाड़ा खोल रहा है अखिलेश यादव

सैड सांग

: तुम महिला उत्‍पीडन पर रूदाली-गीत मत गाया करो, घडियाल घबरा जाता है : कभी सोचो तो कि आखिर क्‍यों केवल तुम्‍हारे शासन में ही प्रशासन तबाह हो जाता है : क्‍यों कांप जाती है आम आदमी की आत्‍मा, त्राहि-माम त्राहि-माम चिल्‍ला कर : जितने भी कमीने पत्रकार हैं, सब तुम्‍हारे टीम में शामिल हैं, जो शराब के नशे में पुलिस की वर्दी फाड़ते रहते हैं : अपराधियों की सरकार, अपराध के लिए सरकार (तीन)

कुमार सौवीर

लखनऊ : तुम महिला सुरक्षा और सम्‍मान करने के दावे करते हो, और उधर महिला सहायता सेल वाला 1090 वाले सेल का प्रभारी नवनीत सिकेरा और उसकी पूरी टीम फोन तक नहीं उठाती। उठाती भी हो तो कोई कार्रवाई नहीं करती। दावे झउव्‍वा भर के। एक अफसर के घर कीमती हार चोरी हो जाता है तो एसटीएफ को लगा कर दो महीनों तक दो निर्दोष कर्मचारियों को दो महीनों तक थानों में टार्चर किया जाता है। यह काम करती है एसटीएफ, आला अफसरों के इशारे पर।

एक दो कौड़ी का कुख्‍यात दल्‍ला पत्रकार हेमन्‍त तिवारी, जो अक्‍सर शराब के नशे में टल्‍ली होकर सड़क पर मारपीट करता है। जयपुर, इलाहाबाद, बहराइच, गाजियाबाद, लखनऊ और जौनपुर से लेकर न जाने कहां-कहां दारू के नशे में हंगामा करता है और नतीजे में लोग उसे सड़क पर गुजरते लोग बुरी तरह कूट-पीट देते हैं। इतना ही नहीं, वह लखनऊ के सरोजनीनगर थाने के थानाध्‍यक्ष की वर्दी फाड़ देता है, सरेआम उसे झांपड़ मारता है, लेकिन उसकी बेबुनियाद सूचना पर एक डिप्‍टी एसपी को बेगुनाह नाप लिया जाता है।

यह कार्रवाई करता है एक घटिया किस्‍म का पुलिस अफसर एके जैन। लखनऊ के ही दैनिक जागरण चौराहे पर यही पत्रकार देर रात सड़क पर गुजरते एक निर्दोष युवक सरेआम पीटता है। उसकी कार तोड़ता है और फिर पुलिस को बुला कर हंगामा करता है। पुलिसवालों को भी भद्दी गालियां देता है। इतना ही नहीं, उस  निर्दोष युवक जब घबरा कर भाग जाता है तो उसे दबोचने के लिए एसटीएफ की टीम को मुरादाबाद रवाना कर दिया जाता है। यह है तुम्‍हारी पुलिस अखिलेश यादव।

उधर जौनपुर का जुल्‍फी प्रशासन एक किशोरी के साथ हुए सामूहिक बलात्‍कार को छिपाने के लिए खुद ही नंगा हो जाता है। उस बच्‍ची के साथ हुए हादसे की रिपोर्ट दर्ज करने के बजाय, जौनपुर का डीएम और एसपी उस मामले को दबाने पर आमादा हो जाते हैं। चूंकि जौनपुर की जनता हमेशा की तरह अपनी पीसीएस-प्रवृत्ति के तहत खामोश-चुप रहती है, इसलिए यह प्रशासनिक कमीनगी लगातार परवान चढती ही होती रहती है। हैरत की बात है कि जौनपुर में एक भी मर्द ऐसा नहीं दिखता जो इस मामले में अपनी मर्दानगी दिखा सके।

पत्रकार तो इस मामले पर लिखने के बजाय, केवल या तो जुल्‍फी प्रशासन की जुल्‍फी संवारते हैं या फिर पत्रकार की नवजात बेटी को उपहार देते हुए फोटो खींचते-दिखाते रहते हैं। अब यह दीगर बात है कि पत्रकार अपनी दलाली में मस्‍त रहते हैं, लेकिन उसकी नवजात बच्‍ची जुल्‍फी की कमीनगी को पहचान जाती है और वह उस जुल्‍फी के चेहरे पर पेशाब कर देती है। यह है तुम्‍हारा निजाम, जहां सरेआम औरतों का शीलभंग होता है।

और आप सिर्फ विकास विकास की बीन ही बजाते रहते हैं। तो यकीन मानिये कि आप मूर्ख हैं या फिर सिरे से शातिर, जो सब कुछ जानते-बूझते हुए अपनी कार्रवाइयां जारी रखता है। (क्रमश:)

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