बड़े बाबू ! तुमने 22 अफसरों की तनख्‍वाह क्‍यों काटी?

सैड सांग

: गाज़ियाबाद की कलेक्टर ने फिर से रोक दिया कई अफसरों का वेतन : दिसंबर महीने में भी रोका था निधि केसरवानी ने नगर आयुक्त का वेतन : सपा सरकार छोड़ कर बाकी सरकारों में अधीनस्‍थों के खिलाफ अराजक हो जाती है नौकरशाही :

कुमार सौवीर

लखनऊ : अखिलेश सरकार में बेलगाम अफसरों की तानाशाही अब तेजी से सिर उठाने जा रही है। ताजा खबर के मुताबिक गाजियाबाद की डीएम निधि केसरवानी ने अपने 22 अधीनस्‍थ अधिकारियों की तनख्‍वाह ही काट डाली। हैरत की बात तो यह है कि किसी भी कलेक्टर को इस बात का कोई भी अधिकार नहीं है कि वह अपने किसी अधीनस्‍थ अधिकारी या कर्मचारी का वेतन काट कर उन्‍हें प्रताडि़त करे। कर्मचारी नेताओं के अनुसार यह हरकत पूरी तरह गैरकानूनी ही है, और अगर ऐसी हरकतों पर तत्‍काल अंकुश नहीं लगाया जाएगा तो सरकारी अमला हताश हो जाएगा, और उसका मनोबल खत्‍म होने लगेगा।

यूपी में समाजवादी पार्टी की अखिलेश सरकार वाला निज़ाम बदल गया, योगी आ गये। लेकिन इसके साथ ही साथ आइएएस अफसरों की मनमर्जी पर बड़े-बड़े पंख लग गये।  खबर है कि गाज़ियाबाद की कलेक्टर निधि केसरवानी ने बीती छह अप्रैल को तहसील दिवस में न शामिल होने पर करीब 22 अफसरों का वेतन रोक दिया। ये वेतन रोकने का आदेश लोनी के एसडीएम की संस्तुति पर हुआ है जो खुद एक आइएएस प्रोबेश्नर हैं।

सच बात तो यही है कि अफसरों को तहसील दिवस में आना ज़रूर चाहिये। पर अगर कोई अफसर किसी कारणवश तहसील दिवस में नहीं पहुंच पा रहा है तो आखिर किस नियम के तहत जिलाधिकारी को ये अधिकार मिल गया कि उसकी तनख्वाह रोक लें? कई कर्मचारी नेताओं को प्रदेश के ऐसे बड़े आला बड़े बाबुओं की ऐसी हरकतों पर खासी नाराजगी है। उनका कहना है कि राज्य सरकार के पास कोई ऐसा नियम नही है जो जिलाधिकारियों को ये अधिकार दे की वो किसी अफसर का वेतन रोक सकें। ऐसे में सवाल है कि किस अधिकार से ये अफसर सरेआम अराजकता पर उतारू हो जाते हैं? अगर अफसर तहसील दिवस पे नही आ रहा है तो संबंधित अफसर को कारण-बताओ नोटिस भेजें, उसके उच्चाधिकारी को सूचित करें। पर किस हैसियत से बिना नियम के आप तनख्वाह रोक सकते हैं?

निधि केसरवानी तो इस मामले में काफी आगे हैं। बीते दिसंबर माह में इन्होंने गाज़ियाबाद के नगर आयुक्त की तनख्वाह रोक ली थी। पर केसरवानी अकेली अफसर नहीं हैं जिन्होनें ऐसा किया हो। ऐसे तमाम अफसर हैं जो ये करते आ रहे हैं और अखिलेश सरकार में तो ऐसे अफसरों को खुली छूट मिल गयी थी गुंडई करने की। विगत कई वर्षों में तमाम एसे मामलों में कई याचिकायें पीड़ित अफसरों द्वारा दायर की गईं हैं और कई मामलों में तो आदेश के बाद भी तनख्वाह नही दी गई जिसके बाद कई कलेक्टरों को हाईकोर्ट की अवमानना के मामलें में कोर्ट जाकर माफी भी मांगनी पड़ी पर उसके बाद फिर से ये गुंडई जारी है।

ऐसे में अब योगी सरकार से ये उम्मीद है कि वो इस संबंध में जल्द ही एक आदेश जारी करे जिससे इस तरह की गुंडई पर रोक लग सके।

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