फैजाबाद में आज जो ईमानदारी की बीन बजा रहे हैं, वो कभी दुधवा के जंगल में उजड्डई करते थे

बिटिया खबर

: दुधवा राष्‍ट्रीय अभयारण्‍य है, वहां केवल दिन में ही प्रवेश की इजाजत : लेकिन देर-अबेर फर्राटा भरती थीं डीएम और उनके दोस्‍तों की कारें : हो-हुल्‍लड़ और देर रात पार्टी के शोर-गुल पर टोका तो हंगामा किया था किंजल सिंह ने :

निखिलेश त्रिवेदी

रायपुर : भारत की प्रशासनिक व्यवस्था कुछ ऐसी अब तक है कि लोग आज भी बोल पड़ते हैं कि जिलाधीश पूरे जिले का मालिक होता है। कुछ जिलाधीश जिनके लिए वसन व्यर्थ होता है, जिनको आदिम रूप में स्वयं को दिखाना पसंद होता है वे उपरोक्त धारणा को सही मानने हेतु बाध्य कर देते हैं। यदि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव जैसा बेपरवाह हो तो उत्सर्जक अंगों से ये आग और अंगार तक निष्क्रमित करते हैं।

लखीमपुर-खीरी की महिला कलेक्टर किंजल सिंह जो अब फ़ैजाबाद में अपने तेवर दिखा रही है, दुधवा राष्ट्रीय उद्यान में सूर्यास्त के बाद प्रवेश करना, 70-80 की स्पीड में देर रात तक गाड़ी चलाना, डीजे जैसी कानफ़ाड़ू आवाज में दोस्तों को लेकर पार्क में कहीं भी रसायनयुक्त पार्टी करना, हो-हुल्लड़ कर वन्य प्राणियों को भयभीत करने जैसे कारनामों के लिए चर्चित रही है।

एक राष्ट्रीय उद्यान या अभयारण्य अनुशासन-पालन का अनुपम उदहारण होता है, जहाँ सूर्योदय से पूर्व एवं सूर्यास्त के बाद प्रवेश प्रतिबंधित होता है, जहाँ गाड़ी से नीचे उतरना मना होता है, जहाँ 20 किलोमीटर प्रति घंटे की गति आदर्श हो, जहाँ शांति-भंग एक दंडनीय अपराध होता है, वहाँ पद की धौंस देकर दादागिरी से घुसना और वन अधिकारियों की एक नहीं सुनना अत्यंत घृणास्पद कार्य है।

दुधवा राष्ट्रीय उद्यान भारत के पुराने और महत्वपूर्ण राष्ट्रीय उद्यानों में से एक रहा है जो डॉ रामलखन सिंह जैसे ख्यातिलब्ध वन्यप्राणीविद की कर्मभूमि रहा हो और जिस उद्यान में गैंडों का पुनर्वास किया गया हो, ऐसे स्थान में कोई जिलाधीश होकर जबरई व उजड्डई करे और नियम-कानून की धज्जियाँ उड़ाये तो यह निर्लज्ज नंग-नाच ही कहलायेगा।

(वसन का अर्थ होता है वस्त्र या कपड़ा)

छत्‍तीसगढ़ के रायपुर में रहने वाले निखिलेश त्रिवेदी प्रकृति छायाकार हैं। वन क्षेत्र की निगरानी करना उनका व्‍यवसाय नहीं, दायित्‍व है।

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