आज रंगकर्मी मर रहे हैं, कल हिन्दी रंगमंच दम तोड़ देगा

बिटिया खबर
: अभावों ने मार डाला जोशीले और समर्पित रंगकर्मी आनंद प्रह्लाद को, अन्‍त्‍येष्टि आज : उपेक्षा का कोहरा घना है रंगमंच के फलक पर, हिन्दी रंगमंच के स्ट्रगल की तस्वीर थे रंगकर्मी आनंद : अब सरकार का दायित्‍व है कि वह आनंद के परिवारीजनों को आर्थिक सहयोग दे :

नवेद शिकोह
लखनऊ : स्ट्रगल.. स्ट्रगल…. स्ट्रगल.. और सिर्फ स्ट्रगल। फिर आभावों में मौत। ऐसे में भारतीय संस्कृति और भारतीय कलाओं को जिन्दा रखने के लिये कब तक मरते रहेंगे कलाकार। धनाभाव की दलदल में अपने परिवार को छोड़ गये लखनऊ के कर्मठ रंगकर्मी आनंद प्रह्लाद । मुफलिसी के बीच रंगकर्म की कांटों भरी डोर पकड़े – पकड़े जीवन की डोर छोड़ गया एक ओर रंगकर्मी। ये जज्बा किसमें और कब तक जारी रहेगा। हो सकता हैं इस डर से थम जाये ये जज्बा। और फिर हिन्दी रंगकर्म की मौत तय।
रंगकर्म को जिन्दा रखना है तो खुद को जिन्दा भी रखना होगा। आप देश की संस्कृति और देश की सिसकती कलाओं को जिन्दा रखने का जज्बा रखते हैं तो देश की सरकारों का भी फर्ज बनता है कि देश की कलाओं को जिन्दा रखने वालों को भी जिन्दा रहने में मदद करें। रंगमंच और रंगकर्मियों के लिए समय-समय की सरकारें कितना योगदान देती हैं आप सब जानते है। मित्र आनंद के चले जाने की खबर अभी-अभी मिली है। रंगकर्म के प्रति सरकारों के रवैये पर बहुत कुछ लिखने की स्थिति मे नहीं हूं।
फिलहाल मेरा आग्रह है कि कलाकार एसोसिएशन और कलाकारों के अन्य संगठन साथी आनंद प्रह्लाद के परिजनों को आर्थिक सहयोग दिलवाने का निवेदन करे।
आशा है न्याय प्रिय मुख्यमंत्री माननीय आदित्य नाथ योगी जी गरीब रंगकर्मी आनंद प्रह्लाद के परिजनों को आर्थिक सहयोग देकर हम सब रंगकर्मियों के आंसू पूछने का काम अवश्य करेंगे।

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