: समाज से लड़ने का साहस नहीं जुटा पातीं, तो अपने बच्चों समेत ट्रेन के सामने कूद पड़ती हैं : अम्बेदकर नगर से लेकर आजमगढ़ तक की रेल लाइनों पर अपना और अपने बच्चों तक के चीथडे बिखेर चुकी ऐसी कई महिलाओं की दास्तान रेल-डायरी में दर्ज है :
कुमार सौवीर
लखनऊ : सच तो यही है कि पीसीएस के तौर पर कुख्यात पूर्वांचल क्षेत्र के एकाधिक जिलों में जो आत्मघाती हरकतें औरतें कर बैठती हैं, वह किसी के भी रोंगटे खड़ा कर सकता है। कल नाइजीरिया में एक आत्मघाती महिला ने जिस हादसे में बम-ब्लास्ट करके नौ लोगों को मौत की नींद सुला दिया था। यह खबर पूरी दुनिया में जंगल की आग की तरह फैल गयी, लेकिन यूपी के पूर्वांचल में अक्सर होने वाली आत्मघाती महिलाओं की करतूतों की खबर कभी भी उस इलाके से बाहर तक नहीं जाती है। ट्रेन के सामने बच्चों समेत कूद गयी महिलाओं की खबरें अखबारों में केवल स्थानीय समाचार वाले पृष्ठ तक सिमट जाती हैं।
अब जरा यूपी के पूर्वांचल के कतिपय क्षेत्रों-जिलों में पिछले दिनों हुई घटनाओं और हादसों पर एक नजर डालने की जहमत उठाइये। अखबार खोजिये, उनके पन्ने पलटिये। आपको साफ पता चल जाएगा कि पूर्वांचल के जौनपुर जैसे एकाधिक जिलों में महिलाओं की आक्रामकता किस तरह अपना रास्ता बदल रही है। खास कर जौनपुर में तो असंतुष्ट महिलाएं न केवल अपने साथ हो रहे पारिवारिक अन्याय के खिलाफ कसमसाहट को जगजाहिर करने पर आमादा हैं, बल्कि वे तो अपने ससुराल क्षेत्र को ही खास निशाने पर रखने पर आमादा हैं। इन बेहद क्रुद्ध महिलाओं की हरकतें न केवल आत्मघाती है, बल्कि वे अपने पति की उन निशानियों को भी हमेशा-हमेशा के लिए मौत की नींद सुला देती हैं, जिस पर मर्दों की बपौती मानी जाती है।
यह वह जिले हैं जहां के कमाऊ पुरूष मुम्बई, दिल्ली, पंजाब में गये हैं। ऐसे इलाकों में ऐसी कई दास्तानें अक्सर सुनने को मिल जाती हैं जहां पति कमाई के लिए तो बाहर गया, लेकिन उनकी पत्नियों के साथ उनके परिजन शारीरिक शोषण पर आमादा हो जाते हें। खास कर महिला के ससुर-श्वसुर, या फिर देवर-जेठ। अम्बेदकर नगर से लेकर आजमगढ़ तक की रेल लाइनों पर अपना और अपने बच्चों तक के चीथडे बिखेर चुकी ऐसी कई महिलाओं की दास्तान रेल-डायरी में दर्ज है।
दोस्तों। आप अगर चाहें तो गौर से देखने की कोशिश फरमाईये कि हालात बेहद दुखद, शर्मनाक और बेहूदे होते जा रहे हैं। जरा सोचिये कि इस पूरे क्षेत्र का नाम पीसीएस के तौर पर कैसे प्रचारित-प्रचलित हुआ। क्या वजह है कि इन इलाकों में पीसीएस का नाम सुनते ही लोग खिखि-खिखि होहो-होहो करके हंसना शुरू कर देते हैं। पूरा का पूरा मामला ठठाकर हंस पड़ता है और वहां की महिलाओं की हालत लगातार हास्यास्पद होती है। शर्मनाक भी।
चाहे वह यूपी के पीसीएस पीडि़त जिले हों, या फिर नाइजीरिया का मैदगुरी, महिलाओं में बेहिसाब आक्रोश भरा पड़ा हुआ है। यही आक्रोश तो इन इलाकों के आम समाज को बर्बाद करने पर आमादा दिख रहा है। यही वहज है कि कभी पूर्वांचल के एक जिले की एक महिला कभी अपने परिवार के चिरागों समेत खुद को भी खत्म कर देती है, जबकि मैदुगुरी की एक महिला आम आदमियों का हलाक कर देती है। और जौनपुर समेत आसपास के इलाकों में प्रताडि़त महिलाएं समाज से तो नहीं लड़ पाती हैं, लेकिन उन आशियानों को तो तबाह कर देती हैं, जिसे ससुराल के तौर पर पहचाना जाता है। उनके ऐसे हादसों में महिला तो आत्मघाती हमलावर बन जाती है, जो अपने पति की निशानियों, यानी अपने बच्चों को भी हमेशा-हमेशा के लिए मौत की नींद सुला देती हैं। कभी जहर देकर, तो कभी ट्रेन के सामने कूद कर।
इस पूरे प्रकरण को समझने के लिए निम्न लिंक पर क्लिक कीजिए:- पूर्वांचल की आत्मघाती औरतें