मध्यप्रदेश के वित्त मंत्री ने दुराचार के आरोपों पर इस्तीफा दिया
: चुनावी साल में शिवराज सिंह चौहान पर टूटा आफतों का आसमान : नौकर ने कहा कि नेता ने अपाकृतिक दुराचार किया : नौकरबाज मंत्री राघवजी बोले, मैं निर्दोष हूं और वह मेरे बेटे की तरह है :
भोपाल : यूपी के मंत्रियों और नेताओं को अपनी काम-पिपास बुझाने के लिए चूजों की जरूरत है, जबकि मध्य प्रदेश के मंत्री और नेतागण घर के नौकरों से ही संतोष कर लेते हैं। मध्य प्रदेश से खबर है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को तब एक जोरदार झटका लगा है जब यहां के वरिष्ठ भाजपा नेता और उनकी सरकार में वित्तमंत्री राघवजी पर उनके नौकर ने अप्राकृतिक यौन शोषण का आरोप लगा दिया है। हालांकि आरोप से मचे बवाल के बाद मुख्यमंत्री शिवराज ने 79 वर्षीय मंत्री राघवजी से इस्तीफा ले लिया है और यह इस्तीफा राज्यपाल ने मंजूर भी कर लिया है। लेकिन इस हादसे ने चुनावी साल में भाजपा सरकार की छवि चमकाने में लगे मुख्यरमंत्री के चेहरे पर कालिख तो पोत ही दिया है।
उधर अपनी सफाई में पूर्व वित्तमंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता राघवजी ने कहा है ‘राजकुमार गरीब घर का लड़का है। हमने हमेशा उसकी मदद की। पिछले तीन-चार साल से हमारे घर पर रह रहा था। उसके आरोप समझ से परे हैं। लगता है इसकी पृष्ठभूमि में कोई और है। मुख्यमंत्री के कहने पर मैंने इस्तीफा दे दिया है।’
विधानसभा के मानसून सत्र के पहले हुए इस घटनाक्रम ने भाजपा सहित प्रदेश की राजनीति में खलबली मचा दी है। शुक्रवार को विदिशा निवासी 29 वर्षीय राजकुमार सिंह दांगी ने हबीबगंज थाने में वित्तमंत्री के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। दांगी ने शपथपत्र पेश कर कहा कि राघवजी 2010 से मई 13 तक उसका अप्राकृतिक यौन शोषण करते रहे हैं। इसकी जानकारी जब मंत्री के नौकर शेरसिंह चौहान और सुरेश चौहान को हुई तो उन दोनों भी ब्लेकमेल कर यौन शोषण किया।
दांगी ने शपथपत्र में कहा है कि राघवजी ने मेरे अलावा घनश्याम कुशवाह का भी अप्राकृतिक यौन शोषण किया है। हम दोनों ने मिलकर सीडी बनाई है जिसमें उन्हें हम दोनों के साथ अप्राकृतिक संबंध बनाते देखा जा सकता है। दांगी ने राघवजी पर कई महिलाओं से संबंध होने के भी आरोप लगाए हैं।
दांगी ने बताया कि इस सबसे ऊब कर आखिरकार वह पिता की तबीयत खराब होने के बहाने बंगले से निकला। निकलते समय राघवजी ने धमकी दिलवाई कि यदि इस बात का खुलासा किया तो मरवा दिया जाएगा। उधर, थाने में शिकायत पहुंचने के बाद सत्ता और संगठन में हड़कंप मच गया। मुख्यमंत्री निवास पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर व अन्य की आपात बैठक हुई, जिसमें तय किया गया कि राघवजी से इस्तीफा ले लिया जाए। मुख्यमंत्री ने राघवजी को फोन कर इस्तीफा देने को कहा। राघवजी ने चुपचाप मुख्यमंत्री को भेज दिया, जिसे उन्होंने राज्यपाल रामनरेश यादव को भेज दिया।
गौरतलब है कि राघवजी को मध्य प्रदेश का अब तक सफलतम वित्तमंत्री माना जाता है। उनके दस साल के कार्यकाल में प्रदेश में कभी भी वित्तीय असंतुलन की स्थिति निर्मित नहीं हुई। उनके इस्तीफे के बाद उनसे मिलने पहुंचे उद्योग मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि वे प्रदेश के इतिहास में सफलतम वित्तमंत्री रहे। मैं इसके लिए उन्हें धन्यवाद देने आया था। यह आरोप राजनीतिक षडयंत्र है।
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