दिल्ली के गैंग-रेप से भी वीभत्स की शिकार जयपुर की युवती मरणासन्न
12 बड़े ऑपरेशन हो चुके हैं जयपुर की मजदूरिन युवती के: जेकेलोन अस्पताल के जनरल वार्ड में मौत से जूझती जिन्दगी: 13 वें ऑपरेशन की तैयारियों में जुटे हैं अस्पताल के डॉक्टर: बडे व्यवसाइयों के पुत्रों की करतूत पर पुलिस ढीली पड़ गयी:
जयपुर और दरभंगा: सामूहिक बलात्कार के बाद दरभंगा की एक मजदूर युवती पिछले तीन महीनों से जयपुर के जेकेलोन अस्पताल मौत से जूझ रही है। मार्बल के धंधे से जुड़े आधा दर्जन बिगडैल व्यवसायी-पुत्रों ने उसे ईद के दिन दिनदहाड़े और सरेआम अपहरण किया था। गैंग-रेप के बाद इन बदमाशों ने उसे मरणासन्न हालत में सड़क पर फेंक दिया। गंभीर रूप से घायल यह युवती अब जयपुर के अस्पताल में जिन्दगी के लिए लड़ रही है। अब तक 12 बड़े आपरेशन हो चुके हैं, और अब 13 वें आपरेशन के लिए डाक्टर तैयारी कर रहे हैं। उधर इस मरणासन्न युवती को अस्पताल में ही मार डालने की साजिशें भी हो रही हैं। पुलिस से मिल कर मामला भी रफा-दफा करने की कोशिशें भी हुई हैं।
दिल्ली सामूहिक दुष्कर्म कांड को लेकर पूरा देश आंदोलित है। इस जधन्य कांड के कुसूरवार को जितनी कडी़ से कडी़ सजा दी जाए कम है। उन्होने काम ही ऐसा किया है। इस कांड ने देश में कई सारे बहसों को जन्म दिया है। कानून में संशोधन से लेकर समाज की सोच में बदलाव तक पर गर्मागर्म बहस मीडिया में चल रही है। इसके ठीक करीब चार महीना पहले अगस्त 2012 में ऐन ईद के मौके पर जयपुर में 11 वर्षीय एक बच्ची के साथ सामूहिक दुष्कर्म करके नग्न अवस्था में सड़क के किनारे फेक दिया गया। मीडिया में एक छोटी सी खबर आई और अंदर के पन्ने पर छप कर निकल गई। पुलिस ने उस कांड में शामिल छह में से दो को गिरफ्तार किया बाकी अभी भी छुट्टा घूम रहे हैं। राष्ट्रीय कही जाने वाली दिल्ली की मीडिया में इसकी चर्चा तक नहीं है। दिल्ली की पीड़िता (काल्पनिक नाम दामिनी) तमाम विशेषज्ञ चिकित्सा के बावजूद बचाई नहीं जा सकी जबकि जयपुर की पीड़िता (काल्पनिक नाम निर्भया) जयपुर के जेकेलोन अस्पताल के जनरल वार्ड में अभी भी मौत से संघर्ष कर रही है। अब तक बारह आपरेशन हो चुके हैं उसके। तेरहवें बडे़ आपरेशन की तैयारी है। उसका इलाज कर रहे डाक्टरों का कहना है कि दामिनी के शरीर के अंदरूनी घाव निर्भया से कहीं ज्यादा घातक है।
निर्भया और दामिनी दोनों ही नराधमों की हबस का शिकार बनीं पर दोनो ही घटनाओं में एक बात जो विषम है वह यह कि दामिनी मध्यम वर्ग से ताल्लुक रखती है और उसके बलात्कारी निम्न वर्ग से जबकि निर्भया मजदूर वर्ग की बेटी है और उसके बलात्कारी उच्च वर्ग के रसूख वाले लोग है। दामिनी के पक्ष में विजय चौक और जंतर मंतर पर युवाओं (टीवी पर इनकी तस्वीरों से यही लगता है कि ये सभी मध्य वर्ग से आने वाले लोग हैं) का हुजूम उमड़ पडा़ और सभी 6 आरोपी तीन दिनों के भीतर सलाखों के भीतर पहुंच गए। इलाज के दौरान दामिनी की मौत के बाद उम्मीद हो चली है कि यौन पिपासु नरपिशाचों को फांसी तक की सजा हो सकती है। यदि कानून ऐसी सजा दे सका तो यह ऐतिहासिक न्याय होगा। नारी के खिलाफ अत्याचार के कानून में संशोधन कर दंड विधान कडा़ करने का वायदा है। यदि यह हुआ तो और बडी़ बात होगी।
अब बात जरा जयपुर में आधा दर्जन दरिंदे भेड़ियों की हबस का शिकार बनी उस बेटी जिसे लोगों ने निर्भया नाम दे दिया है। निर्भया दरभंगा के अति निम्न वर्गीय परिवार से ताल्लुक रखती है। छह बहनों में उसका नंबर शायद पांचवां है। एक भाई भी है जो बाप की मौत के बाद परिवार की जिम्मेदारियों से कन्नी काटकर अलग घर बसा चुका है। बडी बहन की शादी हो गई है और वह पति के साथ जयपुर में मेहनत मजूरी कर गुजारा करती है। मां अपनी पांच बेटियों के साथ उसी के सहारे जयपुर चली गई और घरों में चौका बरतन कर अपना और बच्चों का पेट पालने लगी। ईद वाली शाम वहीं निर्भया को नशे में धुत बिगडे़दिल रईसजादों ने सड़क से उठा लिया और उसे तब तक नोंचा जब तक बह लहूलुहान होकर अचेत नहीं हो गई। मरा समझ उसे सड़क पर फेंक वे नराधम अट्टहास करने अपनी हवेलियों में दुबक गए।
निर्भया की बरामदगी के बाद उसे अस्पताल ले जाया गया। एक दो दिन स्थानीय मीडिया में छपी खबरों के दबाव में पुलिस ने दो दुष्कर्मियों को तो गिरफ्तार कर लिया। आगे शिनाख्त होने के बावजूद बाकी दुष्कर्मियों पर हाथ डालने की उसकी आज तक हिम्मत नहीं हुई। जानते हैं क्यों? क्योंकि ये जयपुर के मार्बल और गोंद उद्योग के मालिकों के बेटे है। पुलिस पर पैसा पानी की तरह बहाया है। निर्भया के परिवार वालों को पैसे लेकर मुकदमा वापस लेने के लिए दबाव बना रहे हैं। मुकदमा वापस नहीं लेने पर शेष बहनों के साथ निर्भया जैसा सुलूक करने की धमकी दे रहे है। एक दिन तो हद ही हो गई जब उन्होंने डाक्टर से मिलकर इलाज के दौरान उसे मार डालने की योजना बना ली। एक हादसे से गुजर रही निर्भया पर दूसरा हादसा मौत का मड़रा रहा है।
टीवी चेनलों पर नारी अस्मिता पर बहस करने वाले मध्यवर्गीय बुद्धिबिलासी क्या इस निर्भया की ओर भी नजरें इनायत करेंगे या उसके टूट जाने या मौत की आगोश में सो जाने की छोटी सी खबर का इंतजार करेंगे।