: पानी कभी खतरे का निशान पार नहीं कर पाया हर बाद पछाड़ खा-खाकर शान्त हो गया है : यह हादसा महज एक घटना नहीं, बल्कि आसन्न चुनाव में भाजपा की लुटिया डूबने का संकेत :
कुमार सौवीर
बस्ती : अटल जी के शोक में बाकायदा किसी पिकनिक-स्पॉट में सैर-सपाटा की शैली में हर्ष-उल्लास मनाने गये नेताओं की लुटिया ही डूब गयी। गये थे अस्थियां प्रवाहित करने, लेकिन जोश इतना हरहरा कर उमड़ा कि नाव ही पलट गयी। नतीजा सांसद और सभी विधायक लोग नदी में समा गये। हाहाकार मच गया। गये थे लोटों मे अटल जी की अस्थियों को प्रवाहित करने। लेकिन ऐन वक्त पर लुटिया डूब गयी। पूर्वांचल के बस्ती के इस दिलचस्प हादसे को लोग अब राजनीतिक भविष्य आंक रहे हैं। उनका कहना है कि यह हादसा महज एक घटना मात्र नहीं है। बल्कि आसन्न चुनाव में भाजपा की लुटिया डूबने का संकेत है।
यह घटना है बस्ती जिले की। यहां एक महान कवि जन्म हैं, जिनका नाम था सर्वेश्वर दयाल सक्सेना। सर्वेश्वर जी ने यहां की नदी कुआनो पर एक बेहद मार्मिक कविता लिखी है।
“पानी कभी खतरे का निशान पार नहीं कर पाया
हर बाद पछाड़ खा-खाकर शान्त हो गया है,
एकाध पुश्ते टूटे हैं
एकाध गाँव डूबे हैं
नक्सलबाड़ी, श्रीकाकुलम, मुसहरी,
पानी कछार में फैल
सूखी धरती और सूखे दिलों में जज़्ब हो गया है।”
यह तो है सर्वेश्वर जी की पंक्तियां। मगर इसी कुआनो नदी ने यहां पूर्व प्रदेश भाजपा अध्यक्ष रमापति राम त्रिपाठी, मंत्री त्रयंबक त्रिपाठी, सुरेश पासी, सांसद हरीश द्विवेदी, और स्थानीय दिग्गज विधायक अजय सिंह, रवि सोनकर, दयाराम चौधरी, संजय जायसवाल, समेत कई बड़े नेताओं को एक ही झटके में बुड़की लगवा दिया। शांत रहने वाली कुआनो नदी कलश-नौटंकी से इतनी क्रोधित हुई, कि उसने कलश-यात्रा वाली नाव को एक ही झटके में डुबो डाला। यह घटना अब इस पूरे इलाके में खासी चर्चित होती जा रही है। इसके साथ ही इस घटना को लेकर राजनीतिक विश्लेषण और उसके छिपे मतलब निकाले जा रहे हैं।
लेकिन आज कुआनो नदी ने अस्थि-कलश यात्रा के दौरान जब भाजपाइयों की करतूतों को देखा तो शायद वह अपनी सारी मर्यादा ही त्याग गयी। उसने उस नाव को ही डुबो दिया जिसमें लदे-फंदे यहां के जनप्रतिनिधि शोक-यात्रा की नौटंकी कर रहे थे। इस दौरान अस्थिकलश वाला लोटा भी डूब गया। और केवल लोटा ही क्यों, लोटावाले भी गुड़ुप कर गये, लगे डुबकियां लेने। नाव डूब गयी, सांसद और सारे विधायक बारिश के चलते भारी प्रवाह वाले पानी के भीतर डूब गये। नदी के भीतर सांसद और सारी विधायक, ऊपर पानी। पानी के ऊपर पलट चुकी नाव, और घाट के किनारे चिल्ल-पों करती भीड़। वह तो गनीमत थी कि कछ लोग आगे सामने आये, नदी मे कूदे। नाव खिसकाया और इन नेताओ को बचा लिया। हमारे संवाददाता बीएन मिश्र ने इस नजारे को अपने कैमरे पर कैद किया है। जरा आप भी तो देखिये वह नजारा।
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यह लोटा का डूबना है या फिर लुटिया का डूबना
सच बात तो यही है कि यहां जुटे लोग अटल जी की मौत पर दुख-शोक या राष्ट्र्प्रेम का प्रदर्शन करने लिए नहीं जुटे थे। दरअसल, इन लोगों ने इस पूरे कार्यक्रम को अपने उल्लास और हर्ष तथा आनंद अतिरेक के अवसर के तौर पर मनाना शुरू किया था। लेकिन अचानक उनका यह भांडा कुआनो नदी ने फोड़ डाला।