गोधरा ट्रेन फूंकने के बाद हुआ नरोदा पाटिया हादसा
अहमदाबाद: पिछले साल अगस्त में डॉ. ज्योत्सना याग्निक की विशेष अदालत ने नरोडा पाटिया कांड में 32 आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी जबकि 22 को निर्दोष बरी कर दिया था। सजायाफ्ता 32 में से 31 को आजीवन कैद और बजरंगी को जीवन पर्यंत कैद की सजा दी गई थी। नरोडा पाटिया में दंगे के दौरान 97 लोग मारे गए थे।
गुजरात में वर्ष 2002 में हुए दंगों के दौरान अहमदाबाद में स्थित नरोदा पाटिया इलाके में 97 लोगों की हत्या कर दी गई थी. ये नरसंहार 28 फरवरी 2002 को हुआ था. इस दंगे में 33 लोग घायल भी हुए थे. यह घटना 27 फरवरी, 2002 को गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन जलाए जाने के एक दिन बाद हुई थी. विश्व हिन्दू परिषद ने 28 फरवरी, 2002 को बंद का आह्वान किया था. इसी दौरान नरोदा पटिया इलाके में उग्र भीड़ ने अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों पर हमला कर दिया था.
नरोदा पाटिया कांड का मुकदमा अगस्त 2009 में शुरू हुआ और 62 आरोपियों के खिलाफ आरोप दर्ज किए गए थे. सुनवाई के दौरान एक अभियुक्त विजय शेट्टी की मौत हो गई.अदालत ने सुनवाई के दौरान 327 लोगों के बयान दर्ज किए. इनमें पत्रकार, कई पीड़ित, डॉक्टर, पुलिस अधिकारी और सरकारी अधिकारी शामिल थे.
29 अगस्त को न्यायधीश ज्योत्सना याग्निक की अध्यक्षता वाली अदालत ने बीजेपी विधायक और नरेन्द्र मोदी सरकार में पूर्व मंत्री माया कोडनानी और बजरंग दल के नेता बाबू बजरंगी को हत्या और षड़यंत्र रचने का दोषी पाया. 32 लोगों को दोषी करार दिया गया. अदालत ने मामले में अभियुक्त बनाए गए 29 अन्य लोगों को बरी कर दिया. यह मामला गुजरात दंगों से जुड़े नौ मामलों में से एक है, जिनकी जांच एसआईटी ने की है.
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