…और मां ने गुर्दा देकर बचाई बेटे की जिंदगी

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

नई दिल्ली : मां और बच्चे का संबंध दुनिया में सबसे अनूठा है। मां-बेटे का ऐसा ही अटूट बंधन बिष्ठ परिवार में भी देखने को मिला। बेटे को बीमारी में परेशान देख उम्र के आखिरी पड़ाव में पहुंची मां ने उसे अपनी किडनी दान में दी।

देहरादून निवासी विक्रम बिष्ठ (57 वर्ष) को लगभग तीस वर्ष पहले पथरी की शिकायत हुई थी और डॉक्टरों ने उनकी किडनी निकाल दी थी। इसके बाद दूसरी किडनी ने भी धीरे-धीरे काम करना बंद कर दिया। उनके बेटे उमेश ने बताया कि किडनी के काम न करने के चलते उनके पिता को बेहद तकलीफ रहती थी। दिल्ली के अपोलो अस्पताल में इलाज के दौरान डाक्टरों ने किडनी ट्रांसप्लांट की सलाह दी।

दिसंबर 2012 में जब परिवार इलाज के लिए दिल्ली पहुंचा तो विक्रम की मां गुलाब देवी ने किडनी दान देने की बात कही। विक्रम कहते हैं जीवन में मां का सबसे बड़ा कर्ज होता है और उन्हें तो मां ने दोबारा जिंदगी दी है। गुलाब देवी कहती हैं कि वह जब भी बेटे विक्रम को किडनी की परेशानी से दुखी देखती थी तो उसके दर्द का एहसास उन्हें भी होता था।

उन्होंने अपने बेटे का जीवन बचाने के लिए अपनी किडनी दान में दी। ऑपरेशन को पांच महीने बीत चुके हैं और अब मां-बेटे दोनों खुशहाल जिंदगी जी रहे हैं।

 

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