: वेतन ईर्ष्या में कटा था, भूल सुधारी तो बोली कि जब तब नहीं लिया तो अब का लेबै : बहराइच नगर पालिका में जीवित होने का प्रमाण देने आयी थी : स्तब्ध लेखाधिकारी बिब्बो के सामने हाथ जोड़ा :
राजेन्द्र सिंह
बहराइच : आज ऑफिस में बिब्बो पत्नी रामनाथ से मुलाकात हुई। ईमानदारी, कर्तव्यनिष्ठा और सच्चाई की जीती जागती तस्वीर लगीं वो मुँझे । वो लेखा कार्यालय में जीवित होने का सर्टिफिकेट देने आयीं थीं। पेंशन लिपिक ने बताया कि वो 20 वर्ष पहले रिटायर सफाई कर्मचारी थीं। संयोग से उसी वक्त तत्कालीन पेंशन लिपिक गोविंद राम पांडेय जी भी आये हुए थे।
पांडेय जी ने बताया कि बिब्बो जी अपने पूरे सेवा काल के दौरान सुबह और शाम में सफाई की ड्यूटी से कभी अनुपस्थित नहीं रहीं। चाहे कितनी भी विपरीत परिस्थिति हो, मौसम हो या बीमारी। उनके इन गुणों की वजह से सफाई नायक मुशीर उनसे द्वेष रखता था कारण साफ है कि बिब्बो ने कभी किसी सफाई नायक को चढ़ोत्तरी का प्रसाद नहीं दिया था।
खुद बिब्बो जी ने बताया साहब “उआ दिन हम सफाई करि के चली गएन रहै। तबहिंन बड़े साहब मुआयना करै खातिर आयल रहनी। इया मुशिरबा उनसे चुगली कइके हमार एक दिन के तनख्वाह कटवाए दिहिस। फिर बिब्बो ने नगर पालिका परिषद को पूरे महीने की तनख्वाह ये कह के लौटा दी कि एहू का रखि लेव। एहिजा से सबहिन चोरन के पेट भरि दिहो।”
इसके बाद चेयरमैन से लेकर सभी बड़े छोटे अधिकारी और कर्मचारी उनकी मिन्नतें करते रहे कि अपनी सेलरी ले लो। इसमें सेलरी काटने वाले अधिकारी और सफाई नायक भी शामिल थे। लेकिन उन्हें उनके फैसले से कोई डिगा नहीं सका। ( उस समय सेलरी नगद बंटती थी)
जब मैंने कहा कि अभी तुम्हारी फाइल निकलवा के रोकी गयी सेलरी आज ही दिलवाता हूँ तो उनका जवाब था। साहब अब रुपिया के किमतै का हौ ? जब तब नहीं लिया तो अब का लेबै । मैं केवल उन्हें हाथ जोड़ के देखने के सिवा कुछ न कर सका ..ऊपरवाला उन्हें बेहतर स्वास्थ्य और लंबी आयु दे।
संस्कारों से बड़ी कोई वसीयत नहीं होती,
बहराइच नगर पालिका में लेखा अधिकारी राजेन्द्र सिंह ने जैसा बताया। उनका भी यही मानना है कि ईमानदारी से बड़ी कोई विरासत नही होती।
(सफाई कर्मचारियों की मुख्यतः दो समस्याएं हैं। पहली बाल्मिकी समाज में व्याप्त ब्याज प्रथा और दूसरी संविदा के चलते अब ठेके पर उनकी नियुक्ति।)