एड्सग्रसित आदमी का खून बिना जांच के मासूम को चढा दिया
मनाथवाडी: आधुनिक धन्वन्तरियों ने अपनी मरीजों को बचाने के बजाय सीधे मौत के कुंए में धकेलने का धंधा शुरू कर दिया है। केरल में हुए एक ताजा मामले में आठ साल की लड़की को एचआईवी संक्रमित खून चढ़ाने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। राज्य सरकार ने इस घटना की पुष्टि कर माना है कि सरकारी अस्पताल में उस लड़की को एचआईवी संक्रमित खून चढ़ाया गया। यह बच्ची एक थेलेसेमिया मरीज है जिसे पिछले सात साल से खून चढ़ाया जाता था।
एक शिकायत के दर्ज करने के बाद उसके परिजनों ने बताया कि उसको हर 15 दिन में खून चढ़ाया जाता था। उसको थेलेसिमिया की शिकायत काफी पहले से थी। इस बच्ची को कालीकट मेडीकल कॉलेज और वयांद जिला अस्पताल में उसका खून चढ़ाया गया था। घटना के बाद हुई जांच में अधिकारियों ने स्वीलकार किया है कि खून एचआईवी संक्रमित व्यक्ति का था जिसके रक्त की जांच नहीं की गयी थी। नतीजा, यह एड्स-ग्रसित आदमी का खून इस बच्ची को चढा दिया गया। इस मामले में मेडीकल विभाग के अफसरों ने उच्च स्तरीय जांच शुरु कर दी है।
सितंबर 2012 को किए गए टेस्ट से यह साबित होता है कि मरीज का खून एचआईवी पॉजिटिव था। वहीं बच्ची के मां और और भाई के खून के सैंपल एचआईवी नेगेटिव पाए गए हैं। लड़की फिलहाल उसी अस्पताल में भर्ती है।