राजनाथ का पैर छुआ मुलायम की बहु अपर्णा ने, राजनीतिक कयास शुरू

बिटिया खबर

: सवाल यह कि इसमें राजनीतिक मामला क्‍या है, पूछ रहे हैं राजनीतिक के गणितज्ञ : चैनलों और साइट्स में फिलहाल तो इसी मसले पर चर्चा तारी है : जय हो लोकंत्र के चौथक खम्‍भे की, जय हो जय हो जय हो:

अनुराग मिश्र

लखनऊ : एक खबर बड़ी शिद्दत से चैनलों और ऑनलाइन न्यूज पोर्टल्स में चल रही हैं कि सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव ने सार्वजानिक तौर पर केन्द्रीय गृह मंत्री और बीजेपी के दिग्गज नेता राजनाथ सिंह के पैरा छुए हैं। अब मेरी समझ में ये नहीं आ रहा कि इसमें इतनी कौन सी बड़ी बात हो गयी जो न्यूज चैनल्स से लेकर पोर्टल्स तक इसे चलाये बैठे हैं। अरे भाई अपर्णा ने अगर राजनाथ सिंह के पैर पकडे तो इसमें गलत क्या हैं ?

राजनाथ सिंह अपर्णा से बड़े, नेता जी के समकक्ष हैं ऐसे में अगर बड़े-बुजुर्ग के रूप में उन्होंने राजनाथ सिंह के पैर पकडे तो ये तो उनके संस्कारों को दर्शाता हैं। इसमें ऐसी कौन सी बात हैं जो इसको चलाना या दिखाना अत्यंत आवश्यक हैं ? पर आप तो मीडिया वाले हैं, हर चीज “राजनैतिककरण” करते हैं जैसा “कैराना का किया, दादरी का किया”, सो इस घटना का भी कर दिया।

दरसल नेताओं पर तो बे-वजह का ये आरोप लगता हैं कि वो किसी भी घटना का “राजनैतिककरण” करते हैं. सच तो ये कि हर घटना का राजनैतिककरण आप करते हो, नेता तो सिर्फ का जरिया मात्र होता हैं। उन्मादित ख़बरों को दिखाना, बार-बार दिखाना, एक्सपर्ट पैनल बैठाना ये सारा काम तो आप ही करते हो। और आरोप लगता हैं नेता पर कि वो उन्मादित बातें बोल रहा हैं। पर भाई मेरे कुछ तो मर्यादा को बनाये रखो।

माना आज मीडिया बाजारों औरत की तरह हो गयी हैं जिसके लिए हर व्यक्ति सिर्फ एक ग्राहक हैं, पर बजारों औरत भी अपनी सीमाओं को समझती हैं पर तुम हो कि बे-लागम घोड़े की तरह दौड़ते ही रहते हो.

खैर दौड़ो-दौड़ो खूब दौड़ो. पर याद रखना कि बे-लगाम घोड़े को भी एक वक्त के बाद गोली मार दी जाती हैं. बाकि तुम सब होशियार और समझदार हो। हैं ना…..

हाँ एक बात तो कहना ही भूल गया कि तुम तो अपना घोड़ा वही दौडाते हो जहाँ से “दो-लत्ती” पड़ने की संभवना न हो, जहाँ भी ये लगा कि “दो-लत्ती” पड़ जायेगी भीगी बिल्ली की तरह तो दुम दबाकर भाग लेते हो. यूपी में मुख्य सचिव अलोक रंजन के यहाँ हुआ “हार-काण्ड” इस बात का प्रत्यक्ष गवाह है कि जहाँ दो-लत्ती मिलने की संभावना होती हैं वहां तुम बिलकुल भी नहीं जाते हो.

तो भाई लोग बोलो “जय हो लोकतंत्र के चौथे खम्बे” की…..

पत्रकार अनुराग मिश्र के फेसबुक वाल से

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