गूंगी-बहरी बच्चियों के साथ दुराचार, 4 गिरफ्तार

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आगरा रोड स्थित एक एनजीओ द्वारा संचालित है मूक-बधिर स्कूल

: दोषी अफसरों पर भी होगी कार्रवाई की गाज : विद्यालय संचालिका की भूमिका भी संदिग्ध : क्लर्क और वार्डन लम्बे समय तक करते रहे इन बच्चियों का यौन-शोषण :

जयपुर : यहां के गांधीनगर स्थित मूक-बधिर नाबालिग लड़कियों के साथ रेजिडेंशल स्कूल में यौन उत्पीड़न करने के आरोप में जयपुर पुलिस ने आवाज फाउंडेशन की संचालिका समेत चार कर्मचारियों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने बाल कल्याण समिति की रिपोर्ट पर फाउंडेशन के वार्डन अशोक प्रजापत और लिपिक सुरेश बैरवा को गिरफ्तार किया है, जबकि फाउंडेशन की संचालिका अल्पना दसवानी के अलावा कर्मचारी गीता व सुरेश को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया है। एक आरोपी महेश माली फरार है। पुलिस कमिश्नर बीजू जॉर्ज जोसफ ने बताया कि आरोपी अशोक प्रजापत (37) और लिपिक सुरेश बैरवा (30) फाउंडेशन परिसर में ही रहते हैं। इस स्कूल को सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के सहयोग से एनजीओ आवाज फाउंडेशन चला रहा है।

पुलिस सूत्रों के अनुसार, आगरा रोड पर बालिका गृह में रह रहीं मूक बधिर छात्राओं से एक साल से हो रहे रेप और यौन उत्पीड़न की जानकारी उस समय लगी जब चालू सेशन समाप्त होने पर पर मूक-बधिर छात्राओं ने गांधी नगर स्थित समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित बालिका गृह पहुंचने पर काउंसलिग के दौरान आपबीती सुनाई। उन्होंने बताया कि मामले की रिपोर्ट दर्ज होने के बाद आवाज फाउंडेशन की संचालिका अल्पना दसवानी, वॉर्डन अशोक प्रजापति, क्लर्क सुरेश बैरवा और सहायक कर्मी गीता को पूछताछ करने के बाद गिरफ्तार कर लिया गया। इस मामले में और अभियुक्तों की गिरफ्तारी से इनकार नहीं किया जा सकता है।

सूत्रों के अनुसार, पुलिस समाज कल्याण विभाग के उन अधिकारियों को भी जांच के घेरे में लेने पर गंभीरता से विचार कर रही है, जिनका काम रेजिडेंशल स्कूल के निरीक्षण का जिम्मा था। शुरुआती जांच के हवाले से बताया गया है कि पीड़ित बच्चियों ने कई बार संचालिका को क्लर्क सुरेश बैरवा और वॉर्डन अशोक द्वारा किए जा रहे यौन उत्पीड़न और बलात्कार की सूचना देने का प्रयास किया, लेकिन संचालिका जानबूझकर अनदेखा करती रही। पुलिस मामले की जांच कर रही है।

यह मासूम बच्चियां न तो कुछ बोल सकती हैं और न ही उन्हें कुछ सुनाई पड़ता है। लेकिन इशारों-इशारों में उन्हें अपनी बात कहने का अभ्याहस कराया जाता है। अपने इसी गुण के चलते इन मासूम बच्चियों ने किया था इस अमानवीय हादसे का खुलासा। दरअसल, इन मासूम बच्चियों के साथ हो रही ऐसे अमानवीय हरकतों का खुलासा खुद इन्हीं बच्चियों ने किया था। इन बच्चियों को फिजियोथैरेपी के लिए नियमित रूप से ले जाया गया है। लेकिन इसी दौरान इन बच्चियों ने अपने साथ हो रहे ऐसे अपराधों के बारे में इशारा कर दिया था।

बताया जाता है कि बालिका गृह की मूक-बधिर बालिकाओं को थैरेपी और शिक्षा के लिए कानोता स्थित आवाज फाउंडेशन में भेजा जाता है। करीब चार-पांच माह पहले पांच बालिकाओं को भेजा गया था। अप्रैल माह में जब बालिकाएं वापस बालिका गृह आई तो उन्होंने बाल कल्याण समिति को आवाज फाउंडेशन के कर्मचारियों द्वारा दुष्कर्म करने की शिकायत की। इसके बाद बालिकाओं की काउंसलिंग कराई गई। काउंसलिंग की रिपोर्ट 17 मई को बाल कल्याण समिति को मिली। रिपोर्ट में दो बालिकाओं से फाउंडेशन के कर्मचारियों द्वारा दुष्कर्म करने, दो से मारपीट तथा एक से अभद्रता की जानकारी सामने आई।

इस पर बाल कल्याण समिति की ओर से कानोता थाने में मामला दर्ज कराया गया। पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए फाउंडेशन की संचालिका सहित सभी कर्मचारियों को पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया। बाद में वार्डन और लिपिक को गिरफ्तार कर लिया गया।

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