फिर पहली सुनवाई तो सुप्रीम कोर्ट की अवमानना पर जेल भेजने पर होगी
: यदि पैसा लौटाना शुरू कर दिया है तो पहले क्यों झूठ बोल रहे थे सुब्रत राय : पहले तो यह दावा किया था कि सेबी ही वापस लौटाये छह हजार करोड़ रूपया : फिर अखबारों में एक पेज का विज्ञापन क्यों लुटा रहा था सहारा इंडिया :
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद कि सहारा इंडिया फाइनेंस समेत अनेक समूह के खिलाफ दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई करेगा, कई आशंकाएं सिर उठा रही है। पहली आशंका तो 8 मई के लिए नियत सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई को लेकर है, जिसमें सेबी की उस गुहार पर सुनवाई हो सकती है कि सुब्रत राय और उनके दो अन्य निदेशकों को अदालत की अवमानना के आरोप में तत्कारल गिरफ्तार कर लिया जाए।
चर्चाओं पर यकीन किया जाए तो सेबी की इस याचिका में कहा गया है कि सहारा ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया, जिसमें उसे निवेशकों के 24 हजार करोड़ रुपये लौटाने का आदेश दिया था। लेकिन सहारा इंडिया की ओर से यह दावा किया जा रहा है कि चूंकि सहारा ने 24 हजार करोड़ रूपयों की अदायगी निवेशकों को करना शुरू कर दिया है, इसलिए यह अब अवमानना का मामला उस पर नहीं बनता है।
लेकिन जानकार बताते हैं कि अगली सुनवाई में सेबी की गुहार इसी पर होगी कि चूंकि सहारा इंडिया ने हमेशा गुमराह करने की हरचंद कोशिशें की हैं, इसलिए यह कम्प नी फितरतन अवमानना की आदी है और इसलिए उस पर कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। अपनी अवमानना याचिका में सेबी ने कोर्ट से अपील की है कि सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय और सहारा के दो डायरेक्टर्स को जेल भेजा जाए।
उधर, सहारा समूह और इसके प्रवर्तक सुब्रत राय ने बताया है कि उनके खिलाफ आदेश की अवमानना का कोई मामला नहीं बनता क्योंकि उन्होंने सेबी को दस्तावेजों की आपूर्ति करने के मुद्दे पर न्यायालय के निर्देशों का पालन किया है और अपने निवेशकों को 24,000 करोड़ रुपये लौटाना शुरू कर दिया है।
सहारा के वकीलों ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के आदेश की जानबूझकर अवज्ञा करने का कोई मामला नहीं बनता, क्योंकि दस्तावेज सेबी को उपलब्ध कराए जा चुके हैं और अदालत 5 दिसंबर, 2012 को धन जमा करने के मुद्दे पर विचार कर चुकी है।
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