एक मासूम बच्ची की जिंदगी तबाह: करतूतें लखनऊ पुलिस की (2)

सैड सांग

राजधानी में यह हालत, तो प्रदेश की हालत क्या होगी ?

: आखिरकार तीन दिनों तक पुलिस कस्टडी में क्यों रखी गयी चारू : पढ़ाई खत्म, साल बर्बाद और घरवालों पर पोत दी पुलिस ने कालिख :

( गतांक के आगे) चारू का कहना है कि:- उस शाम मैं जब सब्जी खरीद कर लौट रही थी, विमल ने अचानक उसे पिस्तौल दिखाकर कहा कि चुपचाप मेरे पास मोटरसायकिल पर बैठ जाओ। एक तो शाम पर घिरती रात और ऊपर सर्दियों का मौसम। सड़क पर ज्यादा लोग मौजूद नहीं थे। मैं बुरी तरह सहम गयी थी। विमल मुझे लेकर अपने घर गया। वहां उसके पिता निर्मल और भाई शिवम समेत कई लोग मौजूद थे। विमल सीधे मुझे एक कमरे में ले गया। मारापीटा और दुष्कर्म भी किया। लेकिन विमल के घरवालों पर मेरे चिल्लाने-रोने का कोई असर नहीं पड़ा।

चारू ने बताया:- 15 दिसम्बर-12 की सुबह ट्रांसपोर्टनगर से दो पुलिसवाले विमल के घर आये और विमल और उनके पिता निर्मल के साथ आपसी बातचीत के बाद उन्होंने चारू को बुलाया और अपने लेकर सरोजनीनगर थाने पर पहुंचा दिया। स्नेहा का कहना है कि बाद में उसे पता कि उन पुलिसवा‍लों में एक ट्रांस्पोर्टनगर पुलिस चौकी का इंचार्ज दारोगा ओपी यादव था। लेकिन थाने पर चारू को छोड़ने के बाद ओपी यादव सीधे उसके घर पहुंचा और संजय सिंह और नवल सिंह से पूछतांछ शुरू की। उधर थाने में मौजूद एक महिला पुलिसकर्मी से चारू ने बात कर घरवालों से खबर की तब संजय और नवल वगैरह लोग थाने पर पहुंचे। गुमशुदगी की रिपोर्ट तो पहले से ही दर्ज थी ही, लेकिन अपराधियों की गिरफ्तारी की मांग हुई तो पहले तो पुलिसवालों ने टालमटोल की। फिर मेडिकल जांच के लिए चारू को पुलिस कस्टडी में रख दिया। हैरत की बात है कि लगातार तीन दिन तक चारू पुलिस कस्टडी में ही रखी गयी। चारू का आरोप है कि:- मुझे लगातार धमकियां दी गयीं कि विमल और निर्मल वगैरह के खिलाफ बोलोगे तो तुम्हारा और पूरे घरवालों की जान खतरे में पड़ जाएगी। चारू अभी तक पुलिस कस्टडी में ही थी और परिवारों से मिलने का उसे कोई भी मौका नहीं दिया जा रहा था।

अब तक अपने घर से बिछड़े हुए चारू को छह दिन हो चुके थे। एक तरफ तो उस पर टूटा पहाड़ जैसी पीड़ा और फिर विमल, शिवम और निर्मल के साथ ओपी यादव और सुरेंद्र कुमार यादव का दबाव पड़ रहा था। चारू पहली बार घर से इतने दिनों तक अकेली रही थी। पुलिसवाले उससे कह रहे थे कि पूरा मामला अपने घरवालों पर डाल दो तो तुम्हारी जान बख्श जाएगी। वरना पुलिस और विमल के घरवाले तुम लोगों का जीना हराम कर देंगे। ओपी यादव ने तो यहां तक कह दिया कि अपने चाचा के खिलाफ बयान दे दो तो तुम सब को बचा दिया जाएगा। आखिरकार, 18 दिसम्बरर को मैजिस्ट्रेट के सामने बयान हो गया। चारू का कहना है कि:- मैं बदहवास थी, मुझे ठीक से पता तक नहीं कि मैंने क्या कहा। लेकिन बाद में पता चला कि मेरे ही 42 वर्षीय चाचा नवल प्रताप सिंह को पुलिस ने इस कांड में जेल भिजवा दिया। संजय बताते हैं कि:- यह कांड तो बेशर्म पुलिस की पराकाष्ठा रही। हमारा परिवार तो दूर, हमारी बच्ची का भविष्य तबाह करने वालों को ही पुलिस ने निर्दोष करार दे दिया। अब मेरा वह भाई अब जेल में है जो चारू को खोजने के लिए पूरे दौरान रात-दिन जुटा हुआ था।

बहरहाल, इस मामले में पुलिसिया करतूतों को अब हाईकोर्ट में चुनौती दी जा चुकी है। कोर्ट ने आदेश दिया है कि इस पूरे मामले में जो भी तथ्य में आये हैं, पुलिस उसका ब्योरा अदालत के सामने पेश करे। संजय बताते हैं कि:- हमें अदालत पर पूरा यकीन है। कम से कम हमारी बच्ची को न्याय मिलना ही चाहिए।

आप यदि इस पूरे प्रकरण को पढ़ना चाहें तो कृपया क्लिक करें:- करतूतें लखनऊ के पुलिसवालों की

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