नहीं, सहारा इंडिया के सारे मामले अब सीधे सुप्रीम कोर्ट ही सुनेगा

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कहीं हाईकोर्ट में, तो कभी सैट में मामला उलझाता रहा सहारा इंडिया

: उच्‍चतम न्‍यायालय ने दिया सुब्रत राय को जोरदार झटका : गली-गली में नहीं, सीधे सुप्रीम कोर्ट सुनेगा सहारा इंडिया के सारे मामले : सुप्रीम कोर्ट पहले ही कह चुकी है कि भुगतान को लेकर सारी याचिकाएं लगाने से पहले बकाया अदा करे सहारा इंडिया: 8 मई को सुप्रीम कोर्ट करेगा मामले की सुनवाई :

नई दिल्‍ली: सेबी के निर्देशों के बावजूद 24 हजार करोड़ रूपयों का भुगतान तत्‍काल न कराने के मामले में सहारा इंडिया ग्रुप घिरता जा रहा है। आज सुप्रीम कोर्ट ने सेबी की अर्जी को मानते हुए देश की तमाम अदालतों को सहारा मामले में सुनवाई करने से मना कर दिया है। दरअसल सेबी ने सहारा डिबेंचर के सभी मामलों की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में करने की अर्जी दी थी। कोर्ट इस मामले पर अगली सुनवाई आठ मई को करेगी।

सहारा ग्रुप के लिए ये बड़ा झटका होगा क्योंकि पिछले कई महीनों से सहारा कभी सैट तो कभी इलाहाबाद हाईकोर्ट में अर्जी देकर मामले को उलझा रहा था। वहीं मानहानि के मामले में सहारा के खिलाफ सुनवाई बुधवार 8 मई को होगी। आपको बतातें चलें कि इसके पहले कोलकाता मुख्‍यालय वाले सारधा फाइनेंस कम्‍पनी समूह का भट्टा बैठ चुका है और उसके सुप्रीमो सुदीप्‍तो सेन और उनकी देवजानी मुखर्जी समेत दो अन्‍य निदेशक जेल में बंद हैं। दुखद बात तो यह है कि इस समूह का भट्ठा बैठ जाने से अब तक सात लोगों ने आत्‍महत्‍या कर ली है। पूरे देश में विरोध की लहर चल रही है।

सुप्रीम कोर्ट ने अब आदेश दिया है कि सहारा अलग-अलग अदालतों में नहीं जा सकेगा। साथ ही डिबेंचर मामले में सहारा की सैट और इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई रोक दी है। सभी मामलों को सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर किए जाने पर सहारा को नोटिस भेजी है। नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट आज सहारा ग्रुप के खिलाफ दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई करेगा। सेबी की इस याचिका में कहा गया है कि सहारा ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया, जिसमें उसे निवेशकों के 24 हजार करोड़ रुपये लौटाने का आदेश दिया था।अपनी अवमानना याचिका में सेबी ने कोर्ट से अपील की है कि सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय और सहारा के दो डायरेक्टर्स को जेल भेजा जाए।

उधर, सहारा समूह और इसके प्रवर्तक सुब्रत राय ने बताया है कि उनके खिलाफ आदेश की अवमानना का कोई मामला नहीं बनता क्योंकि उन्होंने सेबी को दस्तावेजों की आपूर्ति करने के मुद्दे पर न्यायालय के निर्देशों का पालन किया है और अपने निवेशकों को 24,000 करोड़ रुपये लौटाना शुरू कर दिया है। सहारा के वकीलों ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के आदेश की जानबूझकर अवज्ञा करने का कोई मामला नहीं बनता, क्योंकि दस्तावेज सेबी को उपलब्ध कराए जा चुके हैं और अदालत 5 दिसंबर, 2012 को धन जमा करने के मुद्दे पर विचार कर चुकी है।

कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के लिए आठ मई की तारीख मुर्करर की। कोर्ट ने निवेशकों के 24 हजार करोड़ रुपये लौटाने के खिलाफ इलाहाबाद हाई कोर्ट और प्रतिभूमि अपीलीय न्यायाधिकरण में दायर सहारा समूह की सभी याचिकाओं की सुनवाई पर रोक भी लगा दी।

सेबी ने सुप्रीम कोर्ट में बीतं शनिवार को नए सिरे से याचिका दायर की थी और सहारा समूह की दोनो कंपनियों से संबंधित सभी मामलों की सुनवाई करने का शीर्ष अदालत से आग्रह किया था। कोर्ट ने बीते 22 अप्रैल को सहारा समूह को कड़ी फटकार लगाई थी। खंडपीठ ने कहा था कि सहारा समूह कोर्ट के आदेश की परवाह नहीं कर रहा है।

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