सेवा आयोग तक पहुंची सीबीआई, अनिल यादव की खैर नहीं

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

: सीबीआई की नौ सदस्यीय टीम इलाहाबाद पहुंच गई : राजीव रंजन के नेतृत्व में टीम ने आयोग सचिव एवं परीक्षा नियंत्रक से की पूछताछ : टीम के सदस्य रहे करीब पांच घंटे आयोग परिसर में, अघोषित कर्फ्यू जैसा माहौल रहा :

श्‍वेतपत्र संवाददाता

इलाहाबाद : उप्र लोक सेवा आयोग जैसी संस्था को अपने नापाक इरादों कलंकित करने वाले पूर्व चेयरमैन अनिल यादव की मुसीबते अब पूर्णिमा के चांद की तरह धीरे-धीरे बढ़ेंगीं। क्यों कि अब केन्द्रीय जांच ब्यूरो यानि सीबीआई आयोग के परिसर को खंगालने में जुट गयी है। सूबे में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनते ही यह तय हो गया था कि अब अनिल यादव के पापों का घड़ा फूटेगा। सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री ने यूपीपीएससी के तत्कालीन चेयरमैन अनिरूद्ध यादव को तलब किया था तभी यह तय हो गया था कि अब अनिल यादव की खैर नहीं है।

दरअसल इसकी वजह भी थी क्योंकि उनके कार्यकाल में हुई नियुक्तियों पर सबसे ज्यादा विवाद हुआ था। हालांकि पूरा प्रकरण खुद मुख्यमंत्री के संज्ञान में था लेकिन भाजपा एमएलसी दिनेश सिंह ने भी इसकी शिकायत सीएम से की थी। एक तो नियुक्तियों को लेकर उन पर शिकंजा कसेगा ही दूसरे उनके खिलाफ दर्ज मुकदमों को आगरा पुलिस अखिलेश सरकार रहते छिपा गई थी। यहां तक कि उनकी हिस्ट्रीशीट तक फाड़ दी गई है। अब शासन हिस्ट्रीशीट फाड़े जाने के मामले में जांच भी करा सकती है।

दरअसल अनिल यादव आगरा के कमला नगर के रहने वाले हैं। उनके खिलाफ चौथ वसूली और डकैती जैसी संगीन धाराओं के केस दर्ज हैं। उनकी न्यू आगरा थाना में हिस्ट्रीशीट है। उन्हें सपा सरकार के दौरान अप्रैल 2013 में उत्तर प्रदेश पब्लिक सर्विस कमीशन का चेयरमैन नियुक्त किया गया था। हाईकोर्ट के आदेश पर अक्तूबर 2015 में पद से बर्खास्त किया गया था। उसी दौरान यह जानकारी सामने आई थी कि पुलिस ने न्यू आगरा थाने के रिकार्ड से उनकी हिस्ट्रीशीट फाड़ दी थी। शासन को भी गलत जानकारी भेजी गई थी। संगीन मामलों का ब्योरा छिपा लिया गया था। इसके बाद तत्कालीन डीआईजी लक्ष्मी सिंह ने अनिल यादव के खिलाफ दर्ज सभी मुकदमों का ब्योरा नए सिरे से तैयार कराया था। लेकिन थोड़े दिन बाद लक्ष्मी सिंह का तबादला हो गया था। इसके बाद मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था।

आपको बता दें कि अनिल यादव का पैतृक गांव बागपत में खेकड़ा के पास है। वह मैनपुरी में डिग्री कालेज के प्रिंसिपल भी रहे हैं। 1991 में पुलिस ने उन्हें आगरा से तड़ीपार तक कर दिया था, लेकिन इसके बाद भी उन्हें प्रदेश के प्रथम यादव परिवार का करीबी होने का पुरस्कार मिला। भाजपा ने चुनाव के दौरान यह मुद्दा भी जोर शोर से उठाया था कि सपा के शासन में हिस्ट्रीशीटर को उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग का चेयरमैन बना दिया गया। आगरा के पुलिस अधिकारी अनिल यादव की हिस्ट्रीशीट को तब छिपा रहे थे। अब उनसे भी जवाब तलब किया जा सकता है। यह भी पूछा जा सकता है कि हिस्ट्रीशीट फाड़े जाने के मामले में क्या कार्रवाई की गई।

खैर, अब दूध का दूध और पानी का पानी करने का जिम्मा सीबीआई के कंधों पर है। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग में अप्रैल 2012 से मार्च 2017 के बीच विभिन्न भर्तियों की जांच के लिए सीबीआई की नौ सदस्यीय टीम इलाहाबाद पहुंच गई है। आईपीएस राजीव रंजन के नेतृत्व में टीम ने आयोग सचिव एवं परीक्षा नियंत्रक से पूछताछ की। टीम के सदस्य करीब पांच घंटे आयोग परिसर में रहे। इस दौरान वहां अघोषित कर्फ्यू जैसा माहौल रहा। सीबीआई टीम ने पूर्व अध्यक्ष अनिल यादव के कार्यकाल के दौरान तैनात रहे कर्मचारियों के बारे में जानकारी एकत्र की। जांच टीम ने आयोग के अफसरों के सामने इन भर्तियों से संबंधित दस्तावेज खंगालेंगे और सील कर लिया है। टीम के सदस्यों ने आयोग सचिव जगदीश एवं परीक्षा नियंत्रक अंजू कटियार समेत कई अफसरों और कर्मचारियों से लंबी बातचीत की। सीबीआई के अफसरों ने यह भी पता किया कि पूर्व अध्यक्ष अनिल यादव के कार्यकाल के दौरान तैनात रहे अफसर और कर्मचारी कहां और किस स्थिति में हैं, इसका भी ब्योरा जुटाया। जांच टीम के हरकत में आ जाने के बाद अनिल यादव के खिलाफ बगावती झण्डा उठाने वाले प्रतियोगी छात्रों को बहुत उम्मीद है कि सीबीआई निष्पक्ष जांच करेगी और उन्हें न्याय मिलेगा। (क्रमश:)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *