सहारा इंडिया : राष्ट्रगान का विश्व रिकार्ड, झंडा रौंदने का भी

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

संकट आते ही सहारा इंडिया गाता है वंदेमातरम

: राष्ट्रीय गौरव अपमान अधिनियम समेत कई कानूनों में दंडनीय कृत्य : सहारा इंडिया के कार्यक्रम में कदमों तले रौंदे गये झंडे : मामला अब पुलिस और अदालत की चौखट तक पहुंचा : अपराध साबित हुआ तो 3 साल तक की सजा का प्राविधान :

लखनऊ : सहारा इंडिया परिवार ने राष्ट्रगान गाने में विगत दिनों पाकिस्तान को बुरी तरह शिकस्तट दे दी और सबसे अधिक लोगों द्वारा एकसाथ राष्ट्रगान गाने का विश्व रिकार्ड बना दिया, लेकिन इस चक्कर में सहारा इंडिया ने देशप्रेम से ओपप्रोत देशवासियों की भावनाओं को बुरी तरह चिंदी-चिंदी बिखेर डाला। देश के झंडे को पांवों तल रौंदा गया। मामला अब पुलिस और अदालत तक पहुंच गया है।

रमाबाई अंबेडकर स्थल पर निर्धारित समय सुबह दस बजे बड़ी संख्या में सहारा परिवार से जुड़े कर्मचारियों और उनके परिवार के लोगों ने एक साथ राष्ट्रगान गाया। कार्यक्रम स्थल पर ही एक सवाल के जवाब में सुब्रत राय ने कहा कि राष्ट्रगान में एक साथ सबसे अधिक लोगों के इकट्ठा होने का विश्व रिकॉर्ड अभी पाकिस्तान के नाम है। लेकिन अब यह भारत में मिलेगा।

सहारा इंडिया परिवार के इस आयोजन पर राष्‍ट्रगान से रमाबाई अंबेडकर स्थल के आसपास का क्षेत्र गूंज उठा। सहारा परिवार का दावा है कि लखनऊ में एक लाख बीस हजार के अलावा उनके देश भर के 4512 कार्यालयों पर 11 लाख से अधिक लोग राष्ट्रगान में शामिल हुए। सहारा के अनुसार उनके इस कार्यक्रम में सेना, एनसीसी के लोगों व स्कूल, कालेजों के बहुत से बच्चों ने भाग लिया।

आपको बता दें कि सहारा इंडिया का यह आयोजन उस वक्त किया जा रहा है जब सर्वोच्चर न्यानयालय ने सहारा इंडिया को 24 हजार करोड़ रूपया अपने सभी संबंधित निवेशकों को तत्काल अदा करने का आदेश दिया है और इसी क्रम में सहारा इंडिया की सारी सम्पत्तियों को अदालत में जमा करने का आदेश दिया है। गौरतलब है कि सेबी ने सहारा इंडिया पर निवेशकों से धोखाधड़ी और कूटरचित माध्यम से 24 हजार करोड़ रूपयों को वसूलने की कोशिश करने के मामले में तत्काल यह रकम अदा करने का आदेश दिया था। इससे बचने के लिए सहारा इंडिया ने देश के विभिन्न हाईकोर्ट और न्यायाधिकरणों में अपील कर रखी थी, लेकिन हाल ही सर्वोच्च न्यायालय ने साफ ऐलान कर दिया कि अब सहारा इंडिया के किसी भी मामले की सुनवाई केवल सर्वोच्च न्यायालय में ही की जाएगी।

खैर, सहारा इंडिया परिवार के आयोजन में राष्ट्रध्वज के अपमान पर सुब्रत राय और सहारा इंडिया परिवार के उत्तरदायी अधिकारियों एवं कार्मिकों के विरुद्ध विधिक कार्यवाही और सहारा इंडिया परिवार के आयोजन में राष्ट्रध्वज के अपमान पर सुब्रत राय और सहारा इंडिया परिवार के उत्तरदायी अधिकारियों एवं कार्मिकों के विरुद्ध विधिक कार्यवाही की मांग की गयी है।

लखनऊ में सामाजिक कार्यकर्ता और जनसूचना कार्यकर्ता उर्वशी शर्मा ने रमाबाई मैदान में छह मई को  सहारा इंडिया परिवार द्वारा आयोजित भारत भावना दिवस  में राष्ट्रध्वज के अपमान के लिए सुब्रत राय एवं सहारा इंडिया परिवार के उत्तरदायी अधिकारियों एवं कार्मिकों केविरुद्ध प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कर कानूनी कार्यवाही के लिए मैंने प्रार्थना पत्र थाना तालकटोरा लखनऊ को दिया हैl उर्वशी का दावा है कि यह प्रकरण राष्ट्रीय गौरव अपमान अधिनियम समेत अनेक कानूनों के तहत प्रतिबंधित है और उसमें सभी दोषी लोगों पर 3 वर्ष की सजा हो सकती है।

सहारा इंडिया परिवार ने सोमबार दिनांक 06-05-13 को लखनऊ के रमाबाई मैदान में भारत भावना दिवस   आयोजित किया थाl इस राष्ट्रगान समारोह में उपस्थित लोगों द्वारा  एक साथ राष्ट्रगान गाने का विश्व रिकार्ड तो बना दिया गया किन्तु दुर्भाग्य की बात है कि राष्ट्रगान गाने के कार्यक्रम के बाद राष्ट्रध्वज तिरंगे  को पैरों तले रौंदा गया जिसके चित्र समाचारपत्रों में भी प्रकाशित हुएl इस सम्बन्ध में विधिक कार्यवाही हेतु मैंने एक पत्र थाना तालकटोरा लखनऊ को  दिया हैl उर्वशी का कहना है कि प्रदेश के मुख्य सचिव,पुलिस महानिदेशक और लखनऊ के डीo आइo जीo और एसo एसo पीo को इ-मेल के माध्यम से इस आशय से सूचित कर दिया है कि वे  राष्ट्रध्वज  के अपमान के इस प्रकरण का स्वतः संज्ञान लेकर दोषियों को दण्डित कराना सुनिश्चित करेंगेl

राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने पर किसी भी व्यक्ति को तीन साल तक की सजा हो सकती है।  राष्ट्रीय गौरव अपमान अधिनियम 1971 , राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण (संशोधन) अधिनियम 2003 की धारा (2) में यह प्रावधान किया गया है कि कोई भी व्यक्ति सार्वजनिक स्थान पर राष्ट्रीय झंडे का अपमान करता है तो वह सजा का भागीदार होगा। भारत के प्रत्येक नागरिक को राष्ट्र गौरव का प्रतीक मानते हुए अपने राष्ट्रीय ध्वज का पूरा सम्मान करना चाहिए।

राष्ट्रीय गौरव अपमान अधिनियम 1971 , राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण (संशोधन) अधिनियम 2003 की की धारा-2 के तहत यह एक दंडनीय अपराध है, जिसके लिए 3 वर्ष तक की सजा या जुर्माना या दोनों से दंडित किया  जा सकता है, क्योंकि यह कार्य सार्वजनिक रूप से हुआ है, इसलिए यह राष्ट्रीय ध्वज का अपमान है जिसके लिए कार्यक्रम के आयोजक भी उत्तरदायी हैं।

 

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