बेहमई कांड को भी शर्मिंदा कर दिया था एटा के सपा नेता ने
: करीब डेढ़ लोगों ने किया था एक महिला के घर घुस कर सामूहिक बलात्कार : चले थे लाठी-सरिया, पति के चेहरे पर फरसा का हमला : कासगंज कोर्ट ने गैरजमानती वारंट जारी कर दिया
कासगंज : उत्तर प्रदेश की अखिलेश सरकार जहां एक और मुसलमानों के वोट बैंक पर अपना अधिकार जमाने के लिए उन्हें अनेक योजनाओं का लाभ दे रही है वही समाजवादी पार्टी के कासगंज जिले के जिला अध्यक्ष विक्रम यादव एक मुस्लिम महिला से बलात्कार के केस में बुरी तरह से फंस गये हैं। एटा की एक अदालत ने उनके विरुद्ध बलात्कार के इस मामले में गैर जमानती वारंट (एनबीडब्लूवारंट) जारी किये है। समाजवादी पार्टी के एक जिला अध्यक्ष के बलात्कार के मामले में फंसने की खबर से पार्टी में हडकंप मच गया है और नेताजी फरार हो गए हैं।
मामला 8 जुलाई-06 का है। सूबे में उस समय भी सपा की ही सरकार थी। आरोप है कि तत्कालीन एटा जनपद (अब कासगंज ) के ढोलना थाना छेत्र के गढ़ी हारनाठेर गाँव में दिन के तीन बजे पीडिता के घर में गाँव के ही 15 लोग रामपाल, विक्रम सिंह, हिम्मत सिंह, दक्ष, शुभाष, राजवीर, पप्पू, राम प्रताप, राजभान, विद्याराम, राज किशोर, अनिल, रनवीर, राजू, जितेन्द्र रायफल, बन्दूक, तमंचा, हॉकी, फरसा, सरिया आदि खतरनाक हथियारों से लैस होकर पीडिता के घर में जबरन घुस आये और पीडिता के पति को जान का भय उत्पन्न कर बंधक बना लिया और जमकर घर में तोड़ फोड़ और लूटपाट करने लगे। इसी दौरान पीडिता को वर्तमान में कासगंज जिले के सपा के जिला अध्यक्ष विक्रम सिंह के हुकुम पर रामप्रताप, हिम्मत सिंह और सुभाष ने निर्वस्त्र कर दिया और फिर चारों ने पीडिता के साथ सामूहिक रूप से बारी बारी से बलात्कार किया।
इस दौरान पीडिता के पति के विरोध करने पर राजभान ने फरसे से पीडिता के पति के सिर पर वार किया जो उसके चेहरे पर लगा जिस से वो गंभीर रूप से घायल हो गया। इसके बाद अन्य लोगों ने लाठी-सरिया आदि से उसकी मारपीट की जिस से उसके शरीर पर गंभीर चोटे आयी। पीडिता के पति ने जब इस घटना की तहरीर ढोलना थाने में दी तो समाजवादी पार्टी की सरकार होने के कारण पुलिस ने पीडिता के पति की तहरीर पर मुकदमा दर्ज नहीं किया और उसे थाने से भगा दिया। इसके बाद पीड़ित ने एटा के एसएसपी से आरोपियों पर मुकदमा दर्ज कर कार्यवाही करने की मांग की,परन्तु उसकी एक नहीं सुनी गयी। थक हार कर पीड़ित ने स्पेशल जज डकैती प्रभावित क्षेत्र के न्यायालय में धारा 156 (3 ) के तहत प्रार्थना पत्र देकर मामले की रिपोर्ट दर्ज करने की मांग की जिस पर न्यायालय ने उक्त सभी 15 आरोपियों पर डकैती और बलात्कार की धाराओं 395 ,376 आई पी सी के तहत मुकदमा दर्ज करने का आदेश थाना अध्यक्ष ढोलना को दिया। जिस पर 6 सितम्बर 2006 को उक्त धाराओं में सभी 15 आरोपियों के खिलाफ मुकदमा कायम हुआ ।
इसके बाद से ही सपा नेता विक्रम यादव और अन्य साथियो के खिलाफ शिकंजा कसना शुरू हो गया। पीड़ित पक्ष पर मामले को वापस लेने और समझौता करने का दवाव पड़ने लगा। धमकियां मिलने लगी परन्तु पीड़ित पति पत्नी ने हार नहीं मानी। मेहनत मजदूरी करके भी इन्होने अपने ऊपर हुए अत्याचार के खिलाफ लड़ाई जरी रखी। इसी बीच विक्रम यादव ने अपने रसूख का इस्तेमाल करते हुए थाना ढोलना पर दवाव बनाकर इस मामले में फाइनल रिपोर्ट लगवा दी। परन्तु पीड़ित पक्ष ने थाने की एफ़आर के खिलाफ न्यायालय में प्रोटेस्ट पिटीसन दाखिल कर मामले को फिर से शुरू करवा दिया ।
इसके बाद भी विक्रम यादव ने पीडिता के पति पर अपने रसूख और शाशन सत्ता का स्तेमाल कर तीन फर्जी केस अलग अलग थानो में बलात्कार और छेड़खानी के लगवाये जिस से परेशान होकर ये फैसला कर ले परन्तु उसने फैसला नहीं किया। इनमे एक दफा 376 का केस ढोलना थाना में और दूसरा 376 का केस सहवरथाना में और तीसरा 511 और 554 का सहवर थाने मे दर्ज कराया गया। जिसमे से ढोलना थाने में दर्ज केस को झूठा पाए जाने पर ख़त्म कर दिया गया। विक्रम ने अब नयी चाल चली और ढोलना थाना अध्यक्ष सहस वीर यादव से पीड़ित को एक लाख रुपये लेकर चुपचाप फैसला कर लेने की बात कहलवाई। पीडिता ने ढोलना थाना अध्यक्ष की एक लाख रुपये की रिश्वत लेकर फैसला करने की पेशकश भी ठुकारा दी। इधर स्पेशल जज डकैती प्रभावित छेत्र ने 3 मई 2013 को उक्त सभी 15 आरोपियों के खिलाफ एनबीडब्लूवारंट जारी कर दिए।
इसके बाद से पीडत पर और दवाव बढ़ गया और अब विक्रम यादव ने पीड़ित को मुकदमा वापस न लेने पर बीबी बच्चो सहित जान से मारने की धमकी दी है। समाजवादी पार्टी की सरकार होने के कारण दवाव के चलते विक्रम और उसके साथियो को पुलिस वारंट जारी होने के बाद भी गिरफ्तार नहीं कर रही है और सभी आरोपी खुले घूम रहे है।
ऐसे में पीड़ित परिवार डर की वजह से भूमिगत हो गया है और बलात्कारी सपा नेता कासगंज जिले की समाजवादी पार्टी का जिला अध्यक्ष विक्रम यादव और उसके साथी सत्ता की हनक में चूर चूर होकर कानून व्यस्वस्था को ठेंगा दिखा रहे है और पुलिस के आला अधिकारी लाचार है। ऐसे में सूबे की अखिलेश सरकार का सूबे की मजबूत कानून व्यवस्था का दावा खोखला ही साबित हो रहा है और समाजवादी पार्टी के ऐसे नेताओं के सहारे मिशन-2014 पर भी एक प्रश्न चिन्ह लग रहा है।