वकील की बीमारी क्या सुब्रत राय का नया पैंतरा है ?

मेरा कोना

सैट ने सहारा की याचिका पर सुनवाई 20 अप्रैल तक टाली

: सैट जरूर चेक करे कि वकील की बीमारी महज झूठ तो नहीं : मामला ज्यादा लम्बा खींचने की कवायद पर लगाम लगाना जरूरी : सहारा इंडिया की पिछली प्रवृत्तियों के मद्देनजर आशंकाएं निर्मूल नहीं :

मुंबई: एक हैरतअंगेज फैसले के तहत प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण (सैट) ने बाजार नियामक सेबी के आदेश के खिलाफ सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय की याचिका पर सुनवाई टालने का आदेश दिया है और कहा है कि मामले की अगली सुनवाई 20 अप्रैल को होगी। दरअसल सहारा इंडिया के मामले में सहारा इंडिया के वकील ने अर्जी लगायी थी कि चूंकि वे अस्वस्थ हैं, इसलिए उनकी अस्वस्थता को देखते हुए इस मामले की सुनवाई बाद में कर ली जाए। जबकि चर्चाओं के अनुसार इस अधिवक्ता की बीमारी की बात सहारा इंडिया और उनके सुप्रीमो सुब्रत राय का एक नया पैंतरा ही है, ताकि मामला ज्यादा से ज्यादा लम्बा खिंचता जा सके।

आपको बताते चलें कि बाजार नियामक सेबी ने सहारा समूह की दो कंपनियों और सुब्रत रॉय सहित अन्य शीर्ष कार्यकारियों के बैंक खाते और संपत्ति की कुर्की का आदेश पहले ही दे चुका है। सर्वोच्च न्यायालय ने भी पिछले महीने सहारा इंडिया और सुब्रत राय की याचिकाओं का सिरे से खारिज करते हुए साफ कह दिया था कि सहारा इंडिया की किसी भी याचिका पर सुनवाई केवल इसी शर्त पर ही सुना जाएगा, जब सहारा इंडिया अपने निवेशकों की सारी रकम का भुगतान कर देंगे। सर्वोच्च  न्यायालय से जारी आदेश के बाद जब सेबी ने सहारा इंडिया की सम्पत्तियों की कुर्की की कार्रवाई शुरू की तो, सेबी के इसी आदेश के खिलाफ सहारा समूह प्रमुख ने सैट में अपील की है। प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण (सैट) ने मामले की प्राथमिक सुनवाई के दौरान मामले पर आगे की सुनवाई 20 अप्रैल तक के लिए टाल दी।

खबरों के मुताबिक सहारा समूह के वकील ने चिकित्सा कारणों से सुनवाई स्थगित करने का आग्रह किया था। लेकिन सहारा इंडिया और सुब्रत राय की प्रवृत्ति के मद्देनजर, यह बात लोगों को हजम नहीं हो रही है। सहारा से प्रताडि़त कई लोगों ने बताया कि सेबी और सैट को अब यह जरूर चेक करना चाहिए कि क्या वह वकील वाकई बीमार है, अथवा यह महज बहाना कर रहा है और सहारा को कानूनी-दांवपेंच से निकालने का रास्ताक निकालने की कवायद में जुटा है। आपको बताते चलें कि यह मामला सहारा समूह की दो कंपनियों द्वारा विभिन्न अवैध तरीकों से निवेशकों से जुटाए गए 24,000 करोड़ रुपये के रिफंड से जुड़ा है। सेबी के खिलाफ सहारा की ओर से सुब्रत रॉय द्वारा खुद एवं समूह की कंपनी सहारा हाउसिंग इनवेस्टमेंट कार्प लिमिटेड (एसएचआईसीएल) सहारा इंडिया रीयल एस्टेट कार्प लिमिटेड (एसआईआरईसीएल), अशोक राय चौधरी एवं अन्य की ओर से चार याचिकाएं दाखिल की गई हैं। यह मामला सहारा समूह की दो कंपनियों द्वारा जुटाए गए 24,000 करोड़ रुपये से अधिक धन के रिफंड से जुड़ा है। ये चारों याचिकाएं सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय, सहारा हाउसिंग इनवेस्टमेंट कॉर्प लिमिटेड (एसएचआईसीएल), सहारा इंडिया रीयल एस्टेट कार्प लिमिटेड (एसआईआरईसीएल) और अशोक राय चौधरी एवं अन्य द्वारा दायर की गई हैं।

इन याचिकाओं में सेबी के 13 फरवरी के कुर्की के आदेश चुनौती दी गई है। बाजार नियामक ने उच्चतम न्यायालय के आदेश के तहत निवेशकों का पैसा लौटाने के लिए आवश्यक धन की वसूली के लिए इन व्यक्तियों और कंपनियों की संपत्तियों की बिक्री हेतु कुर्की की कार्रवाई शुरू की है। रॉय ने सेबी द्वारा जारी कुर्की के आदेशों के खिलाफ फरवरी में सैट में याचिका दायर की थी, जिसके बाद बाकी व्यक्तियों ने अपनी याचिकाएं दायर कीं। न्यायाधिकरण ने इससे पहले 26 मार्च को मामले पर सुनवाई की थी, जिसमें उसने सभी याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करने का फैसला किया था। संयोग से, सेबी ने 26 मार्च को एक अन्य आदेश पारित किया, जिसमें उसने राय एवं अन्य तीन शीर्ष अधिकारियों को 10 अप्रैल को व्यक्तिगत तौर पर पेश होने के लिए समन जारी किया था।

रॉय एवं अन्य तीन अधिकारी 10 अप्रैल को सेबी के मुख्यालय में सेबी के पूर्णकालिक सदस्य प्रशांत सरण के समक्ष पेश हुए थे, जहां उनसे उनकी संपत्ति के बारे में पूछताछ की गई।

सहारा इंडिया अथवा सुब्रत राय पर सारी खबरों को देखना चाहें तो कृपया क्लिक करें:- सुब्रत राय: पानी में फंसा मगरमच्छ

और सहारा इंडिया का मतलब:- इसकी टोपी, उसके सिर

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *