बड़ी दिलचस्प रही दीपक भारद्वाज की हत्या की वजह
: महिला मित्रों से ही घिरा रहता था दीपक भारद्वाज : पत्नी और बेटे पर सरेआम बेइज्जत कर देना था शगल : विवादित जमीन खरीदने को लेकर चल रहे थे 111 मुकदमे : अब तक 7 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है पुलिस :
बसपा नेता और कारोबारी दीपक भारद्वाज की मौत कारण हमेशा विवादित प्रॉपर्टी खरीदना और अपने घर में लगातार कलह बनाये रखना ही था। दीपक न घर में शांत रह पाया, और न ही घर के बाहर। हर तरफ उसे खतरा था, और उसके घरवालों के मन में भी उसके प्रति बेहद असुरक्षा का भाव। झगड़े-झंझट वाले के 111 सिविल मुकदमे उस पर चल रहे थे। इनमें से ज्यादातर केस दिल्ली की द्वारका कोर्ट और हरिद्वार में चल रहे हैं। जिस नितेश कुंज फार्महाउस में कारोबारी की हत्या हुई है उस पर भी विवाद है।
बताया जा रहा है कि कारोबारी को विवादित प्रॉपर्टी का व्यवसाय फलता था। दक्षिण जिले के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी इन केसों की संख्या 100 से ज्यादा बता रहे हैं। पुलिस ने कारोबारी की हत्या मामले में सातवीं गिरफ्तारी प्रदीप के रूप में की है। प्रदीप पर आपराधिक षडयंत्र में शामिल होने का आरोप है। पुलिस प्रदीप के जरिए हथियार सप्लायर तक पहुंचने की कोशिश करेगी।
वर्ष 2009 में कारोबारी के ऑफिस में काम करने वाली एक युवती ने खुलासा किया है कि कारोबारी बहुत ही झगड़ालू किस्म का व्यक्ति था। वह जब तक कार्यालय में ठहरता था तब तक स्टाफ डरा-डरा रहता था। बसपा का नेता होने के चलते भी उसकी उदंडता लगातार बढ़ती ही जाती रहती थी। लोग उसे बर्दाश्त करते थे, लेकिन मन ही मन उसे गुस्सा भी करते थे।
पुलिस को इस हत्याकांड में कई और चौंकाने वाली बातें सामने आयीं हैं। मसलन, दीपक भारद्वाज की कॉल डिटेल में कई युवतियों का मोबाइल नंबर मिलना। पता चला है कि दीपक आम तौर पर महिलाओं से दूर ही रहता था, लेकिन निजी क्षणों में उसे शबाब से खासी दोस्ती थी। घर के दीगर सदस्यों के सामने तो वह बिलकुल बादल की तरह ही फट जाता था। चूंकि दीपक अपने परिवार का इकलौता कमाऊ सदस्य था, इसलिए बाकी लोग उससे बर्दाश्त करते रहते थे। लेकिन घरवालों को यह तरीका पसंद नहीं थी। इसी हालत ने इन लोगों के मन में यह संदेह पाल दिया था कि दीपक अपनी दौलत किसी और को सौंप देगा। बजाय इसके कि अपनी नयी बनी निजी महिलाओं के।
हैरत की बात तो दीपक के तौर-तरीकों को लेकर है। एक युवती ने बताया है कि दीपक अपनी सारी नकदी आमतौर पर अपने पास नहीं रखता था, या कम से कम रखता था। उसके पास जो भी ब्लैकमनी होती थी उसे वह पत्नी या बेटों के पास रख देता था। जबकि एक दूसरी युवती ने बताया है कि दीपक ने जमीनों या निवेश की सारी रकमें या तो लॉकर में रख दीं थीं, या फिर कहीं किसी और दीगर शख्स को। पुलिस को मिली खबरों के मुताबिक दीपक अपनी महिला मित्रों से भी काफी मुंहलगा था।
नितेश कम, लेकिन हितेश ज्यादा विरोध करता रहा था दीपक भारद्वाज की बातों पर। दक्षिण जिला पुलिस अधिकारियों के अनुसार तफ्तीश में ये बात सामने आई है कि दीपक भारद्वाज दोनों बेटे हितेश व नितेश और पत्नी को सबके सामने बुरी तरह झाड़ देता था। दीपक जब नितेश को बेइज्जत करता था तो वह विरोध नहीं करता था और न ही कुछ कहता था। डांट खाने के बावजूद वह शांत रहता था। वहीं बड़ा बेटा हितेश कारोबारी की डांट का हमेशा विरोध करता था और जवाब दे देता था। शांत रहने वाले नितेश ने ही कारोबारी की हत्या करा दी।
आश्चर्य की बात है कि इस हत्याकांड के सारे आरोपियों को आपस में एक-दूसरे के लिंक का पता नहीं था। पुलिस अधिकारियों के अनुसार जांच में ये बात सामने आई है कि आरोपी अपने से अगले लिंक को नहीं जानते थे। इस मामले में कारोबारी का बेटा नितेश (सुपारी देने वाला), वकील बलजीत सहरावत (सुपारी आगे चलाने वाला), स्वामी (सुपारी लेने वाला), पुरुषोत्तम ( गोली मारने वाला शूटर) मुख्य आरोपी हैं। नितेश वकील बलजीत और स्वामी प्रतिभानंद दोनों को तो जानता था मगर नितेश यह नहीं नहीं जानता था कि बलजीत ने स्वामी को सुपारी दी है। पुरुषोत्तम स्वामी और बलजीत दोनों को जानता था, लेकिन उसे भी यह नहीं पता था कि बलजीत ने स्वामी को सुपारी दी है।