: पत्रकार के हत्यारोपी मंत्री के सामने में बाकायदा नंगे हो गये शाहजहांपुर के पत्रकार : अपने ही साथी की हत्या का जिस पर आरोप है, उसे सम्मानित करते हैं बेशर्म पत्रकार : हत्यारोपी मंत्री आज जेल में होता, अगर बिक न गये होते शाहजहांपुर के बेशर्म पत्रकार : जांबाज पत्रकार जागेंद्र सिंह हत्याकाण्ड- दो
कुमार सौवीर
शाहजहांपुर : इस हादसे के बाद से राममूर्ति वर्मा की छवि पर बेहद गम्भीर घिनौने धब्बे पड़ गये। जागेंद्र सिंह का मृत्यु-पूर्व बयान ही राममूर्ति वर्मा को जेल को आजीवन कारावास तक पहुंचाने के लिए पर्याप्त था। लेकिन चूंकि राममूर्ति वर्मा अखिलेश-सरकार का मंत्री था, इसलिए सरकार ने भी एकजुट होकर उसका बचाव कर लिया। उधर आम आदमी और खास कर मीडिया को खरीदने के लिए राममूर्ति वर्मा ने हर चंद कोशिशें-साजिशें खूब कीं। हालांकि जागेंद्र हत्याकाण्ड के बाद राममूर्ति वर्मा ने खुद को बचाने के लिए अपने खजाने के दरवाजे खोल दिये। ऐसी-ऐसी साजिशें की गयीं, ताकि जागेंद्र हत्याकांड को दबाने के लिए दूसरे आयोजनों का हल्ला मचाया जाए, ताकि बाकी खबरें दब जाएं।
इसके शाहजहांपुर के पत्रकारों ने राममूर्ति वर्मा का पूरा सहयोग किया। सहयोग क्या, बाकायदा दलाली की, नोटों की लूट मचायी। जो बड़े पत्रकार थे, वे तो मालामाल बनाये ही गये, लेकिन दो-कौड़ी के और चिरकुट पत्रकारों के मूंह में भी नोटों की गड्डियां ठूंस दी गयीं। अमित भदौरिया जैसे पत्रकारिता के नाम पर कलंक बने घटिया लोगों को या तो खुश कर दिया या फिर उनकी औरया मैं संदिग्ध हत्या कर डाली गयी। आपको बता दें कि जागेंद्र सिंह हत्याकांड में अमित भदौरिया का नाम पत्रकारिता में कुल-कलंक के तौर पर जाना-पहचाना जाता है। लेकिन उस पर इस हत्याकांड में इसके पहले कि गिरफ्तारी की जाती, अमित भदौरिया की हत्या हो गयी।
इतना ही नहीं, शाहजहांपुर के बहादुर और कलम के सिपाहियों के पत्रकारों ने शाहजहांपुर के पत्रकारिता के इतिहास में एक नायाब बेशर्मी की मिसाल दर्ज करा दी। रामप्रसाद बिस्मिल जैसे लड़ाकू सेनानियों की भूमि कहे जाने वाले शाहजहांपुर के आज के पत्रकारों ने जागेंद्र सिंह की हत्या के बाद पहले तो अपनी आत्मा को हमेशा-हमेशा के लिए बेच डाला। कहने की जरूरत नहीं कि इसकी कीमत वसूली गयी अखिलेश सरकार के मंत्री और जागेंद्र सिंह हत्याकांड के मुख्य आरोपित और जागेंद्र सिंह के बयान के मुताबिक नम्बर एक अपराधी राममूर्ति वर्मा से। सूत्र बताते हैं कि एक-एक पत्रकार को तो नगद-नारायण का दर्शन-लाभ तो हुआ ही, साथ ही साथ सामूहिक-सांगठनिक तौर पर भी पत्रकारों ने राममूर्ति वर्मा के सामने अपने सारे कपड़े उतार कर डाला।
शाहजहांपुर पत्रकार संघ ने तो इस हादसे के बाद लगातार जितने भी कार्यक्रम आयोजित किये, राममूर्ति वर्मा को ही अपना मुख्य अतिथि के तौर पर सम्मानित किया। राम मूर्ति से ही आयोजन का फीता कटवाया, पत्रकारों को सम्मानित कराया, और फिर बड़ी-बड़ी घोषणाएं करके अपने-अपने अखबारों में बड़े-बड़े विज्ञापनों की तरह छाप भी दिया। (क्रमश:)
एक नायाब और बेधड़क पत्रकार का नाम था जागेंद्र सिंह, जिसे नेताओं, प्रशासन, पुलिस और पत्रकारों ने मिल कर मार डाला। जागेंद्र सिंह हत्याकाण्ड पर प्रमुख समाचार पोर्टल मेरी बिटिया डॉट कॉम लगातार हस्तक्षेप कर रहा है। इसकी अगली और पिछली कडि़यों-खबरों को देखने के लिए निम्न लिंक पर क्लिक कीजिएगा :- जांबाज पत्रकार जागेंद्र सिंह