: यह नवम्बर-05 का वक्त था, जब राजनाथ ने प्रदेश में माफिया-मुख्तार विरोधी आंदोलन छेड़ा : भाजपा के विधायक कृष्णानंद राय की हत्या के बाद से ही भड़क गया था जन-समुदाय : कृष्णानंद की पत्नी अलका राय ने मुख्तार के भाई को आज धूल चटायी :
कुमार सौवीर
लखनऊ : पहली दिसम्बर को वाराणसी के कचेहरी के बाहर वाले मैदान में प्रदेश भर के बडे भाजपा नेता मौजूद थे। सब के सब गुस्से में भरे हुए। वजह थी 29 नवम्बर-05 को भाजपा के एक दिग्गज विधायक कृष्णानंद समेत 6 नेताओं की दिनदहाड़े हुए हत्या। इस हत्या में पूर्वांचल के बाहुबली मुख्तार अंसारी और उनके भाइयों समेत कई कुख्यात अपराधियों के नाम पर रिपोर्ट दर्ज हुई थी। पूर्व मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह ने इस मामले पर धर्मयुद्ध छेड़ने का ऐलान किया और अपराधियों को पकड़ने तक राजनाथ सिंह ने अनिश्चितकालीन धरना करने का फैसला किया।
कई दिनों तक कचेहरी का माहौल भाजपाइयों की भीड़ से गुलजार रहा। लेकिन बाद में जोश का ताव ठण्डा होने लगा। इस आशंका को भांप कर भाजपा नेतृत्व ने इस धरना वाला आइडिया कैंसिल कर अपराध-विरोधी आंदोलन छेड़ने के लिए रथयात्रा के तौर पर तब्दील करने की रणनीति बनायी। इसके लिए राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया ने तीन आलीशान डीलक्स बसें रथयात्रा के तौर पर आनन-फानन भेजीं। यह रथ पूरी तरह सुसज्जित थे।
मैं उस वक्त हिन्दुस्तान अखबार में वरिष्ठ संवाददाता के पद पर था, और इस कार्यक्रम को लगातार कवर कर रहा था।
तयशुदा दिन और वक्त पर अटल जी को लाया गया, कि वे धरना के बजाय सीधे रथयात्रा निकालें। अटल जी मौके पर पहुंचे। करीब पौन घंटे तक उन्होंने देश-विदेश और प्रदेश-पूर्वांचल की आपराधिक हालातों पर जमकर हमला किया। कहने की जरूरत नहीं कि अटल जी को सुनने के लिए भारी भीड़ जुटी थी जो बात-बात पर तालियां बजा रही थीं।
इसके बाद अटल जी ने अपना भाषण खत्म किया और वे मंच छोड़ कर अपनी गाड़ी पर बैठ गये। अटल जी की कार स्टार्ट होते ही भाजपाइयों को भान हुआ कि जिस काम के लिए अटल जी को बुलाया गया था, उसका जिक्र तक अटल जी ने नहीं किया। ऐसे में अब किस तरह राजनाथ सिंह यह रथयात्रा पर निकल पाते। यह अहसास होते ही हड़कम्प मच गया। आनन-फानन बड़े नेता लोग लपके और अटल जी को इस गलती का अहसास कराया। राजनाथ सिंह भी अटल जी के पास पहुंचे और इस बारे में उन्हें बताया। कहने की जरूरत नहीं कि इसके बाद ही अटल जी ने कार में बैठे-बैठे ही इस रथयात्रा को शुरू करने की इजाजत राजनाथ को दे दी।
अब हैरत की बात है कि इसी भाजपा ने मुख्तार अंसारी को मऊ चुनाव में बाकायदा क्लीन-चिट थमा दी और उसके भाजपा के इसी फैसले के बाद मुख्तार पूरी शान के साथ आज विधायक बन चुके हैं। मुख्तार अंसारी की पार्टी भले ही बहुजन समाज पार्टी हो, लेकिन कृपा तो केवल भारतीय जनता पार्टी की ही है, जिसके विधायक कृष्णानंद राय समेत छह नेताओं की हत्या का मामला मुख्तार अंसारी पर दर्ज हो चुका है।
अब असल बात यह कि अटल जी तो उस वक्त अपनी वृद्धावस्था के चलते थोड़े भुलक्कड़ होने लगे थे, लेकिन इसके बावजूद उन्होने इस मामले में अपनी गलती सुधार ली। लेकिन आज, जब भाजपा में सारे बूढे-बुड्ढे घोड़े रिटायर कर उसे जवान घोड़ों की रेवड़ी में तब्दील कर दिया गया है, आखिर इस गलती का अहसास भाजपा नेतृत्व को क्यों नहीं हुआ। खास तब जब मीडिया इस मामले को लगातार इंगित करती ही जा रही थी।