: सर सैयद अली के वंशजों से गुहार लगाने लगे हैं यूनिवर्सिटी के रेडिकल छात्र : 55 साल पहले बंद किये गये सेड्डन क्लब की बहाली की मांग : लंदन में बसे सर सैयद की परपोती की ड्योढ़ी पर भेजी जा रही है अर्जी : अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी- एक :
कुमार सौवीर
अलीगढ़ : मुस्लिम यूनिवर्सिटी की बदहाली को रोकने के लिए अब उसी ड्योढ़ी की कुण्डी खटखटाने की कवायद शुरू हो चुकी हैं, जिसके पूर्वजों ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी जैसा एक नायाब तोहफा केवल अलीगढ़ को ही नहीं, बल्कि पूरे देश-विदेश के मुसलमानों को अता फरमाया था। ऐसी कुण्डी खटखटाने वालों का कहना है कि आजादी के बाद से ही इस यूनिवर्सिटी अपनी डगर से भटक गयी थी।
अब जरूरत यह है कि उसे सही रास्ते पर लाया जाए, ताकि मुस्लिम समुदाय में प्रगतिशील सोच की फसलें लहलहा पड़ें। इसके लिए इस यूनिवर्सिटी के प्रगतिशील छात्रों ने इस बारे में यूनिवर्सिटी के संस्थापक सर सैयद के वंशजों से अरदास की है। इन छात्रों का मानना है कि अपनी स्थापना के उद्देश्यों से यह यूनिवर्सिटी लगातार भटकती जा रही है। ऐसे में अगर इसे तत्काल नहीं थामा गया तो खुदा खैर करे
एक तबका ऐसा जरूर है जो प्रख्यात शिक्षाविद और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के संस्थापक सर सैयद को अंग्रेजों का पिट्ठू यानी दलाल करार देता है। लेकिन एक बड़ा तबका ऐसा भी है जो सर सैयद को एक क्रांतिकारी मुसलमान करार देता है। ऐसी प्रगतिशील सोच वाले लोगों का कहना है कि सर सैयद ने अंग्रेजों की रणनीति की बारीकियों को समझा था और मुसलमानों की दिक्कतों को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए इस यूनिवर्सिटी की स्थापना कर दी थी।
सर सैयद यह समझते-मानते थे कि अपने दुश्मन से घृणा करने के बजाय, उसके तौर-तरीकों और उसके हमले की रणनीति को समझना श्रेयस्कर होता है। इसीलिए उन्होंने सन-1857 की क्रांति के बाद मुसलमानों को तालीम दिलाने जैसे अस्त्र-शस्त्र मुहैया का अभियान छेड़ दिया था, इसका साकार रूप अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के तौर पर निकला।
यहां के रेडिकल छात्रों का कहना है कि इस संस्थान को स्थापित करने के साथ ही सर सैयद ने यहां सेड्डन यूनियन की स्थापना की थी, जो इस संस्थान की विद्वत परिषद थी। इस परिषद में मुसलमानों और शिक्षा से जुड़े मसलों पर बहस-मुबाहिसों का दौर शुरू किया जाता था। कोशिश यही होती थी कि ऐसे मसलों पर कोई एकराय तैयार की जाए। अपनी स्थापना के बाद से ही इस यूनियन ने कई मसलों पर जन-जागरण और सुधार कार्यक्रम शुरू किये थे। मसलन मुसलमानों में व्याप्त कट्टरता पर हमला वगैरह-वगैरह। (क्रमश:)
भारत ही नहीं, पूरे एशिया में वर्तमान में सक्रिय महानतम शिक्षा केंद्र केवल दो ही हैं। एक तो है महामना मदनमोहन मालवीय द्वारा स्थापित बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, और दूसरा है सर सैयद द्वारा स्थापित अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी। यह कहानी अलीगढ़ के इस यूनिवर्सिटी में बदलते करवटों पर केंद्रित है।
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