घरेलू खर्च से बेहाल हैं लंदन के एक-तिहाई लोग

बिटिया खबर

30 साल से अधिक वाली महिलाओं पर बड़ी गाज

: ब्रिटेन में खाने के लिए उधार बना जरिया, जमा-पूंजी पर भारी संकट : सर्वेक्षण में कहा गया है कि लोग अनिवार्य चीजों में भी कटौती कर रहे हैं:

लंदन : यह हालत उस मुल्क की है, जिसके बारे यह बात कही जाती रही है कि ब्रिटिश सूरज कभी नहीं डूबता है। लेकिन यह कहावत अब इतिहास के पन्नों में डूब चुकी है। अब ताजा खबर तो यह है कि ब्रिटेन के पांच में से एक घर के लोगों को खाने-पीने की जरूरतें पूरी करने के लिए उधार लेना पड़ रहा है या फिर अपनी जमा-पूंजी खर्च करनी पड़ रही है। यह नतीजे उपभोक्ता समूह के एक सर्वेक्षण के हैं, जिसे विच कहा जाता है। दरअसल, लोगों के खर्च और व्यवहार पर विच एक मासिक सर्वेक्षण करता है जिसमें 2,000 लोग शामिल होते हैं। सर्वेक्षण के मुताबिक 50 लाख घरों में लोगों ने खाने का सामान खरीदने के लिए क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल किया या बैंक खाते से ज्यादा रकम निकाली।

कुछ लोग तो अपनी बचत की गई रकम भी खर्च करने पर मजबूर हुए। कम आमदनी से दिक्करत हुई। पिछले हफ़्ते जारी आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक पिछले पांच साल में लोगों के दिवालिया होने की रफ़्तार कम हुई है और यह अब तक के सबसे निचले स्तर पर है. विच ने जिन घरों का सर्वेक्षण किया उनमें से 43 फीसदी घरों के लोगों की उम्र 30 से 50 साल के बीच थी। इनमें 50 फीसदी से कम लोगों की आमदनी 21,000 पाउंड सालाना से कम थी। “यह चौंकाने वाली बात है कि कई लोगों को खाने-पीने जैसी अनिवार्य चीजों के लिए बचत की रकम या कर्ज का सहारा लेना पड़ रहा है।”

विच के कार्यकारी निदेशक हैं रिचर्ड लॉयड। लॉयड बताते हैं कि सर्वेक्षण में यह पाया गया है कि साप्ताहिक शॉपिंग करने के लिए क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करने वाले 55 फीसदी लोगों ने आगामी महीने में खाने-पीने के खर्च में कटौती की योजना बनाई। वहीं क़रीब एक-तिहाई लोगों का कहना है कि उन्हें इन ज़रुरतों को पूरा करने के लिए दोस्तों या परिवार के लोगों से उधार लेना पड़ता है। सर्वेक्षण के अनुसार क़रीब एक-चौथाई लोग अपनी आमदनी में बड़े आराम से रह रहे हैं लेकिन एक-तिहाई से ज्यादा लोगों को आर्थिक तंगी महसूस होती है।

कटौती का उपाय खोज लिया है लोगों ने। सर्वेक्षण में शामिल करीब 31 फीसदी लोगों ने पिछले महीने कई अनिवार्य चीजों में कटौती की और ऐसा करने वालों में ज्यादातर 30 से 49 साल की महिलाएं थीं। लॉयड का कहना है, “हमारे सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है कि कई घरों ने कम होती आमदनी के लिहाज़ से अपनी ज़रूरतें कम कर दी हैं. खाने की वस्तुओं की बढ़ती कीमतें उपभोक्ताओं की चिंता की प्रमुख वजह है।”

“यह चौंकाने वाली बात है कि कई लोगों को खाने-पीने जैसी अनिवार्य चीजों के लिए बचत की रकम या कर्ज का सहारा लेना पड़ता है।” ऑक्सफैम के एक प्रवक्ता का कहना है कि लाखों लोग बढ़ती कीमतें और आमदनी न बढ़ने के दबाव को झेल रहे हैं। इस समस्या की वजह से ही उन्होंने कई सेवाएं लेना बंद कर दिया है और आपात स्थिति के लिए भी कम बचत हो पा रही है।

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