कमर तक नंगी अक्षत-युवतियों का राष्ट्रीय नृत्य उत्सव

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

अब नगोबेनी को अंतर्राष्ट्रीय दबावों की प्रतीक्षा

: राष्ट्रीय नंगा-नाच को शीर्षस्थ‍ सरकारी उत्सव की मान्यता है : कई साल पहले मिस्वाती-तृतीय की छठी बीवी राजभवन की कड़ी सुरक्षा को सेंध कर भाग चुकी : कड़ी सुरक्षा वाला किलानुमा राजमहल में गुलाम की तरह रहने पर मजबूर होती हैं रानियां :

कुमार सौवीर

(गतांक से आगे, अंक-3) लेकिन मिस्वाती-तृतीय को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। मिस्वाती-तृतीय के पिता सोभूजा-‍द्वितीय ने अपने 61 बरस की उम्र में 125 शादियां की थीं और 8 सौ बच्चों का पितृत्व हासिल किया। मगर वह बेमिसाल लड़ाकू और आजादी के मतवाला भी था। जबकि मिस्वाती-तृतीय का राजत्व केवल देश-विदेश में रास-लीला रचाने तक ही सीमित रहा है। 45 बरस की उम्र और 27 बच्चों का बाप मिस्वाती-तृतीय अपने 27 बरस के शासनकाल में केवल दुराचार में ही लिप्तव रहा है। सरकार से नियमानुसार उसे 2 रानियां शादी के लिए चयनित की गयी थीं। इसके अलावा भी इसे रानी के गर्भवती होने के आधार पर नया विवाह रचाने का अधिकार है।

इस इसी अधिकार के बल पर मिस्वाती-तृतीय हर साल सैकड़ों-हजारों अक्षत-युवतियों के साथ नृत्य समारोह आयोजित करता है। समारोह में जो भी युवती उसे पसंद हो जाए, उससे वह फिर शादी कर लेता है। क्या काली और क्यार गोरी, अरबों की सम्‍पत्ति वाले राजा को रिझाने वाली लड़कियां इस समारोह में टूट पड़ती हैं। दरअसल यह नृत्य समारोह इस देश का राष्ट्रीय और शीर्षस्थ सार्वजनिक समारोह-उत्सव है। इस उत्सव में हजारों अक्षत-युवतियां कमर के ऊपर पूरी तरह नंगी होकर ही नाचती हैं और टोलियां बनाते हुए पूरे मैदान में उछलती-कूदती हैं। राजा भी इस रैली-नुमा उत्सव के हर कोने-टुकड़े पर अपने अधिकारियों के साथ मुआयना करता रहता है। मकसद होता है कि राजा इनमें से किसी एक को अपनी रानी की मान्यता-इजाजत दे दे।

अब तक 13 शादी कर चुके मिस्वाती-तृतीय की छठी पत्नी राजमहल के कड़े सुरक्षा को भेद कर देश से भाग चुकी है। उसने आरोप भी लगाया था कि यह यौन-प्रपीड़क और यौन-मनोविक्षिप्त भी। लेकिन यह तो सच ही है कि राजभवन में बना हरम में मध्ययुगीन शैली की पाबंदियां और सजा का प्राविधान है। केवल हर साल एक बार उसकी रानियों को अमेरिका जाने की इजाजत है, जब वह पाकेट-अलाउंस देता है।

कुछ भी हो, करीब सात साल पहले मिस्वाती-तृतीय ने नगोबेनी को देखा तो बावला हो गया। लेकिन नगोबेनी को इसका पता अभी कुछ ही महीना पहले चला। वह बर्घिघम में रहती है। खबर से तिलमिलायी नगोबेनी ने लंदन में राजनीतिक शरण मांग ली है। चूंकि ब्रिटिश सरकार के लिए मिस्वाती-तृतीय  की हालत अफ्रीका में उसके पालतू-श्वान की तरह है, इसीलिए उसे एकदम खारिज कर पाना ब्रिटिश सरकार के लिए मुमकिन नहीं। यानी अब यह वैश्विक तौर पर नगोबेनी के जुट रहा जनसमर्थन उसे जीतने के लिए जमीन मुहैया करा देगा या फिर वह आखिरकार मिस्वाती-तृतीय की 14वीं रानी बन कर जिन्दगी भर ठाठबाट के साथ अपने आंसू बहाने पर विवश होगी, यह तो उसकी किस्मत जल्दी ही तय कर देगी। ( जारी )

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( कुमार सौवीर की यह रिपोर्ट लखनऊ और इलाहाबाद से प्रकाशित दैनिक समाचारपत्र डेली न्यूज एक्टिविस्ट में प्रकाशित हो चुकी है )

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