सामूहिक बलात्कार भी झेला और दर्दनाक मौत भी

सैड सांग

लखनउ। दरिंदे वहशियों का बलात्कार भी झेला और फिर अपनों से मिली दर्दनाक मौत। उम्र मात्र 13 साल। पुलिस खामोश। डाक्टर ने हाथ झाड लिया। यह है विकासशील और पूरी दुनिया में अपनी बुद्धि और ज्ञान का लोहा मनवाने का दावा करने वाले हम लोगों की खोखली हकीकत। तडप-तडप कर मरी इस बच्ची के लिए कम से कम मैं तो अपनी श्रद्धांजलियां अर्पित कर ही दूं, इस संकल्प के साथ कि ऐसी अमानवीय हरकतों के खिलाफ हम लोग अपना धर्म-युद्ध जारी रखेंगे। अंतिम दम तक। कानपुर का यह हादसा दिल दहला देने वाला है। हममें से ज्यादातर लोग इस खबर को पढ-सुन कर सिर झटक कर अपनी दिनचर्या में लग जाएंगे। लेकिन मैं पूछना चाहता हूं कि हमारी-आपकी बेटी के साथ अगर ऐसा हुआ होता तो आप लोग क्या यही करते। आज जरूरत तो उस परिवार के साथ खडे रहने की है। उन्हें सांत्वना देने की है और यह संकल्प लेने की है कि भविष्य में ऐसी बेटियां के साथ ऐसा ना होने दिया जाए।

मामला कुछ यूं है। कानपुर में एक 13 साल की स्कूली बच्ची के साथ कुछ दिन पहले सामूहिक बलात्कार हुआ था। मामला पुलिस के पास पहुंचा। मगर पुलिसिया तरीकों से दबा रह गया। हुआ कुछ नहीं, सिवाय इसके कि वह मासूम गर्भवती हो गयी। घरवालों ने एक डाक्टर को दिखाया तो उसने गर्भपात की दवा लिख दी। बच्ची को दवा खिला कर घरवालों ने उसे स्कूल रवाना कर दिया। लेकिन स्कूल में उसे जबर्दस्त रक्तस्राव हुआ और उसने तडप-तडप कर स्कूल में ही दम तोड दिया। बस इससे ज्यादा कुछ और कहने की स्थिति में मैं फिलहाल नहीं हूं। इस समय तो केवल कुछ देर मौन ही रहा जाए तो बेहतर होगा। रणनीति उसके बाद तय की जाए।

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