योगी जी ! महिला हेल्‍पलाइन 181 बंद कर दी अफसरों ने

दोलत्ती

: हेल्पलाइन 181 के बन्द होने से 450 महिलाएं सड़क पर : नौकरशाही खुद को भगवान समझने लगी है : योगी जी, आपके अफसर मगरूर हैं, पूछिये कि हेल्पलाइन 181 बन्द कर सैंकड़ोंमहिलाकर्मी क्‍यों बेरोजगार की गयीं :
मनीष श्रीवास्‍तव
लखनऊ : क्या उत्तरप्रदेश की नौकरशाही खुद को मुख्यमंत्री या भगवान समझने लगी है। इन अफसरों के जिम्मे ही यूपी में शासन चलाना है। हजारों करोड़ की योजनाओं का खाका भी तैयार कराते हैं। इस नौकरशाही को बस खुद से सवाल पूछना तनिक भी गंवारा नहीं है। अगर पूछा तो आप सबसे बड़े दुश्मन हो गए। भई सरकारी दफ्तरों में बड़े बड़े अफसरान मैडम/साहब बड़े व्यस्त रहते हैं। ज्यादातर या तो मीटिंग्स में रहेंगे या फिर शाही दरबार रूपी आलीशान कमरों में। जिनकी साज़ सज्जा पर करोड़ों रुपये फूंकते रहते हैं। अफसरान साहब के स्टाफ को भी स्पष्ट निर्देश रहते हैं अभी कोई अंदर न आये।
इसलिए अब मैंने इन अफसरों को इनके शाही दफ्तरों से बाहर निकलते ही घेरना शुरू कर दिया है। सवालों का जवाब लेना तो मेरी फितरत शुरू से रही है। तरीका फिर चाहे कोई भी हो। उत्तरप्रदेश में महिला सुरक्षा हेल्पलाइन 181 पर अफसरों की लालफीताशाही के कारण ताला लटका दिया गया। लाखों महिलाओं को न्याय दिलाने वाली हेल्पलाइन आखिर क्यों बन्द हुई। ये बताने से हर अफसर भाग रहा है।
इस हेल्पलाइन को चलाने का जिम्मा महिला कल्याण विभाग का है। जिसके निदेशक मनोज राय हैं ये वही राय साहब हैं जो लंबे समय तक नोएडा अथॉरिटी में तैनात रहें हैं अब जो अफसर नोएडा हो आया। उसके अंदर और चेहरे पर चमक और रुतबे की झलक अपने आप आ ही जाती है मानो बिल गेट्स ही बन गए हों। आगे आप खुद समझदार हैं। यूपी में करीब 450 महिलाएं इस हेल्पलाइन 181 के बन्द होने से सड़क पर आ गईं हैं।
महिलाओं के हक की आवाज़ बुलन्द करने जब मैं जवाहर भवन स्थित निदेशक महिला कल्याण मनोज राय के दफ्तर पहुंचा तो जनाब थे नहीं। सरकारी सीयूजी फोन दो बार मिलाया, नहीं उठा। व्यक्तिगत नम्बर मिलाया, तत्काल उठ गया। पूछा, सर कहाँ है, हेल्पलाइन के गम्भीर मुद्दे पर आपकी बाइट चाहिए। बोले, प्रमुख सचिव के यहां हूँ। मैंने कहा, मुझे भी आना है, तत्काल आ रहा हूँ दस मिनट में। साहब बोले, मैं निकल रहा हूँ। मीटिंग में जाना है। मैंने कहा, शासन और निदेशालय के अलावा कहाँ मीटिंग है। मंत्री के यहां तो है नहीं। निदेशक साहब झुंझलाते हुए बोले, मैं निदेशालय नहीं आ रहा हूँ।
बस मेरी छठी इंद्री तत्काल बोली कि ये आएंगे तो यही। कुछ देर मैंने विभागीय अफसरों से खबर पर डिटेल ली। एक पीटीसी वहीं से मारी। फिर लिफ्ट से उतरते ही देखा तो साहब साक्षात सामने खड़े थे। लॉव लश्कर वाले अर्दली बोले, हटिये हटिये। मैं भी पुनः लिफ्ट में सवार हुआ, अब निदेशक मनोज राय बोले, मैं बाइट नहीं दूंगा। मैंने झट लिफ्ट से निकलते ही कैमरा ऑन कराया क्योंकि खबर पर बिना आधिकारिक सरकारी पक्ष जाने बैरंग लौटने वाले पत्रकारों में मैं कभी था ही नहीं। साहब खूब आग बबूला हो गए। फिर मुझे अकेले कमरे में बुलाया। वहां मेरी और उनकी खूब कसकर तकरार हुई। बोले, आपके न्यूज़ चैनल के मालिकों को जानता हूँ। ये धमकी सुनते ही मेरा पारा सातवें आसमान पर था। जमकर नोकझोंक हुई। झूठ से मुझे सख्त नफरत है। अरे भई आप विभाग के मुखिया हैं और आप ही नहीं बताएंगे आखिर महिला हेल्पलाइन क्यों बन्द हुई। ये सब नहीं चलेगा।
फिर पहुंचा, प्रमुख सचिव महिला कल्याण राधा चौहान के पास। मैडम का जलवा ऐसा कि पूरा स्टाफ मानो थर थर कांप रहा। पीए साहब बोले, अंदर किसी को भी जाने से मैडम ने मना किया है मैंने कहा, आप मेरी बात कराइये। सिर्फ एक मिनट में खबर पर आधिकारिक पक्ष अर्थात बाइट लेकर चला जाऊंगा। लेकिन अंदर नहीं जाने दिया गया। मैडम की गाड़ी तभी अचानक बाहर जाने के लिए लग गयी। बस मुझे तो शासन का आधिकारिक पक्ष जानना था। कैमरा ऑन। प्रमुख सचिव कैबिनेट बैठक का हवाला दे रही थीं। लेकिन रुकी नहीं, एक पल भी। गाड़ी चली गयी। तभी प्रमुख सचिव का पीए के पास फोन आया कि फलां फाइल भूल गयीं हूँ। गाड़ी फिर आयी।अर्दली फाइल लेकर भागा। मैडम गाड़ी में फाइल के लिए इंतजार कर सकती हैं लेकिन यूपी में सैकड़ों महिलाओं को महिला हेल्पलाइन 181 बन्द करके बेरोजगार क्यों किया गया। लाखों महिलाओं का कल्याण करने वाली हेल्पलाइन क्यों आंसू बहा रही। ये बताने के लिए एक सेकेंड नहीं रुकी। जबकि खुद भी एक महिला अफसर हैं।
हेल्पलाइन को चलाने वाली संचालनकर्ता कम्पनी जीवीके ईएमआरआई के जिम्मेदारों ने भी यूपी के अफसरों की दहशत से मुंह पर ताला लगा लिया। खैर निर्भया से लेकर हैदराबाद कांड तक पर बड़ी बड़ी बातें और घड़ियाली आंसू बहाने वाली सरकारों का यही सच है। यूपी में निर्भया फंड 119 करोड़ था, खर्च हुआ सिर्फ 6 करोड़। इसका खुलासा बीते वर्ष नवम्बर में देश की महिला कल्याण मंत्री स्मृति ईरानी ने संसद में किया था।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ यूपी की आधी आबादी के लिए रोजाना बड़े बड़े वादे करते हैं उनकी पार्टी “महिलाओं के सम्मान में, भाजपा मैदान में” जैसे नारे लगाती है लेकिन यूपी में लाखों महिलाओं का कल्याण करने वाली महिला सुरक्षा हेल्पलाइन 181 उनके ही राज में बंद हो गयी। ये न सिर्फ शर्मनाक है बल्कि नौकरशाही की मनमानी को भी दिखाता है। कानों में तेल डाले बैठी उत्तरप्रदेश की ब्यूरोक्रेसी अच्छी तरह समझ ले, कि जिस तरह खुद को अपने दफ्तरों में बंद कर रखा है, मुंह पर ताला लगा लिया है कैमरे के सामने न बोलने की कसम खा रखी है इस रवैये को छोड़ दीजिए। क्योंकि आम जनता के हक की आवाज़ के खातिर मैं आपसे जवाब तो जरूर मांगूंगा। तरीका कोई भी हो।
फिलहाल उत्तरप्रदेश में सैकड़ों महिलाओं को एक झटके में बेरोजगार करने वाली महिला सुरक्षा हेल्पलाइन 181 के मुद्दे को उठाती न्यूज़ इंडिया की इस खबर को आप देखिए और समझिए उत्तरप्रदेश में असल मुख्यमंत्री नौकरशाही है या योगी महाराज….”जय हिंद”…”सत्यमेव जयते”

दोलत्‍ती डॉट कॉम ने इस मसले का खुलासा आठ जून को ही कर दिया था।हमारे देवरिया रिपोर्टर गौरव कुशवाहा ने इस बंदी की खबर ब्रेक की थी। गौरव कुशवाहा की उस खबर को देखने के लिए कृपया निम्‍न लिंक पर क्लिक कीजिए:-
181हेल्‍पलाइन-कर्मियों को ठेंगा, सरकार ने हाथ सिकोड़ा

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