यूपी के महाधिवक्‍ता आपके चपरासी नहीं हैं योर ऑनर

मेरा कोना

: अवध बार एसोसियेशन के नवनिर्वाचित अध्‍यक्ष एलपी मिश्र से विशेष बातचीत : बहराइची मिसिर जी के तेवर और अधिक तराशे हुए दिख रहे हैं : न्‍याय-मंदिर के देवताओं की यह पूरी जिम्‍मेदारी है कि वह अपने पुजारियों को पूरा सम्‍मान दें :

कुमार सौवीर

लखनऊ : यूपी के एडवोकेट जनरल की एक हैसियत होती है। वह सरकार का महाधिवक्‍ता होता है, कोई चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी नहीं हैं, कि जब किसी की भी इच्‍छा हो तो वह उन्‍हें अपनी हुजूरी पर तलब कर ले। बार-बार बुलाने का आदेश जारी करे। और यह बात जजों को भी खूब समझनी चाहिए। पिछले दिनों हाईकोर्ट में इस मामले में जो कुछ भी हुआ, वह दुर्भायपूर्ण ही कहा जाएगा। बेहतर तो यही होगा कि ऐसी हालत भविष्‍य में न हो पाये।

यह कहना है इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में वरिष्‍ठ अधिवक्‍ता डॉक्‍टर एलपी मिश्र का। हाल ही यहां सम्‍पन्‍न हुए अवध बार एसोसियेशन के चुनाव में एलपी मिश्र  भारी बहुमत से अध्‍यक्ष निर्वाचित हुए हैं। उनकी इस जीत के बाद पहली बार प्रमुख न्‍यूज पोर्टल मेरी बिटिया डॉट कॉम के संस्‍थापक और सम्‍पादक कुमार सौवीर ने एलपी मिश्र से लम्‍बी बातचीत की। इलाहाबाद हाईकोर्ट की एक युगल जजों की बेंच ने हाल ही एक मामले में महाधिवक्‍ता को तलब किया था, लेकिन उस समय महाधिवक्‍ता अपनी कतिपय व्‍यस्‍तताओं के चलते उस बेंच पर नहीं पहुंच सके। इसके बावजूद कि बेंच ने उन्‍हें बुलाने के लिए कई बार कोशिशें कीं, लेकिन हर बार महाधिवक्‍ता नहीं आ पाये। हालांकि हर बार की तलबी पर उन्‍होंने जजों की पीठ को यही बात कही थी कि वे चूंकि वे कहीं अन्‍यथा व्‍यस्‍त हैं, लेकिन जल्‍दी ही पहुंच जाएंगे। लेकिन महाधिवक्‍ता के नहीं आ पाने पर पीठ ने मामले पर गम्‍भीर संज्ञान लिया और सीधे प्रदेश के मुख्‍य सचिव को ही तलब कर लिया।

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लर्नेड वकील साहब

इस प्रकरण ने खासा तूल पकड़ लिया था। नौकरशाही बेंच के खिलाफ हो गये, लेकिन गुपचुप तरीके से। खुल कर कोई भी नहीं बोला, मगर दबे-चुपे अंदाज में हर अधिकारी इस मामले पर कोर्ट के खिलाफ और काफी नाराज भी था। नौकरशाही का कहना था कि जब एडवोकेट जनरल को पेशी पर बुलाया गया था, तो फिर खिसियाकर बेंच ने मुख्‍य सचिव को क्‍यों तलब किया। इन नौकरशाहों का कहना था कि न्‍यायालय ने अपने अधिकारों  का अतिक्रमण करते हुए यह आदेश जारी किया है। लेकिन बार की तरफ से कोई भी प्रतिक्रिया नहीं मिल पा रही थी।

लेकिन श्री मिश्र ने आज इस मामले में तो जैसे बमबारी ही कर डाली। उन्‍होंने सीधे-सीधे अदालतों की कार्यशैली को कठघरे में खड़ा कर दिया है। इस मामले पर श्री मिश्र का साफ कहना है कि चाहे कुछ भी हो जाए, किसी भी जज को अधिवक्‍ता जैसी एक बड़ी संस्‍था को इस तरह अपनी हुजूरी में तलब करने का कोई भी अधिकार नहीं है। उनका कहना है कि महाधिवक्‍ता एक संवैधानिक संस्‍था है, और वह भी एक अहम दायित्‍वों का निर्वहन करती है। एलपी मिश्र कहते हैं कि अधिवक्‍ता कोई अदना सा चपरासी नहीं है, जिसे जिसका मन करे उसे अपने यहां तलब कर ले। चाहे वह सरकार हो या फिर अदालतें। हम अगर दूसरी संवैधानिक संस्‍थाओं का यथोचित सम्‍मान नहीं करेंगे, तो फिर पूरी व्‍यवस्‍था ही ध्‍वस्‍त हो जाएगी।

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जस्टिस और न्‍यायपालिका

मिश्र का कहना था कि महाधिवक्‍ता की व्‍यस्‍तताएं बेहद और अहम भी होती हैं। उसकी जरूरत सरकार को भी होती है, अदालतों को भी है, बार एसोसियेशन को भी है, और लोक व्‍यवस्‍था में हर जन-आस्‍था रखने वाली संस्‍थाओं को भी पड़ती है। वह कभी भी, और कहीं भी व्‍यस्‍त हो सकता है। ऐसे में उसे किसी चपरासी की तरह तलब करना अनुचित है। श्री मिश्र का कहना है कि इस तरह की प्रवृत्तियां बेहद अप्रिय और न्‍याय-प्रक्रिया को बाधित कर सकने लायक हैं। और किसी भी तत्‍सम्‍बन्‍धी पक्ष को ऐसे टकरावों से बचने की कोशिश करनी चाहिए।

प्रमुख न्‍यूज पोर्टल www.meribitiya.com से डॉक्‍टर एलपी मिश्र से हुई लम्‍बी बातचीत में हुए कई अहम मुद्दों और मसलों को हमने कई किश्‍तों पर प्रकाशित करने का फैसला किया है। यह भी हो सकता है कि श्री मिश्र की यह बातचीत चार या पांच किश्‍तों तक भी विस्‍तार हासिल कर ले। डॉक्‍टर मिश्र को लेकर अन्‍य कडि़यों को हम नियमित रूप से प्रतिदिन प्रकाशित करेंगे। उसकी अन्‍य कडि़यों को देखने के लिए कृपया निम्‍न लिंक पर क्लिक कीजिए:-

कानूनची एलपीमिश्र

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