यह स्‍लोगन कैसा है बड़ा दारोगा जी, “नया साल में हम आपका ख्‍याल रखेंगे”

बिटिया खबर

: न्‍यू-इयर जश्‍न मनाने इच्‍छुक लोगों पर बहुत भारी पड़ गया पुलिस-नियंताओं का सड़कछाप स्‍लोगन : फर्जी हवा-हवाई फायरिंग कर दी पुलिस ने, लगा कि यह ट्वीट मुझे ही टारगेट कर लिखा गया है : लोग बोले कि पुलिस का क्‍या भरोसा है, घर में ही रहना :

साशा सौवीर

लखनऊ : सोचा तो मैंने भी था, नए साल पर शानदार जश्‍न होगा। पार्टी-क्‍लब तो समझ नहीं आते मुझको, दोस्‍तों के साथ यूं ही घूमने निकलने का प्‍लान था। 12 बजे न्‍यू ईयर का स्‍वागत हज़रतगंज में ही करना था। चूंकि मौका ऐसा था, तो जाहिर था कि पुलिस की निगरानी में लड़कियों की हिफाजत तो होगी ही…इसलिए मध्‍य रात्रि में घूमने का विचार पक्‍का था।

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मगर…बड़ी अफसोसजनक बात है कि यूपी पुलिस अपनी छवि बदल ही नहीं पाई। शाम करीब छह बजे मेरी नज़र एक ट्वीट पर पड़ी। यूपी पुलिस की ओर से किए गए उस ट्वीट में लिखा था, “31 दिसंबर को ऐसी ……………”। एक सेकेंड में हिफाज़त वाली फीलिंग धरी की धरी रह गई। ऐसा लगा कि यह ट्वीट मुझे ही टारगेट कर लिखा गया है। लगा कि यहां मैं निकली और वहां मुझे धर लिया गया। लगा मानो मुझे अपने ही शहर में, अपने घरवालों की मर्जी के बावजूद मौज-मस्‍ती नहीं करने दी जाएगी। उसपर कई परिचितों-दोस्‍तों के फोन आ गए…”सुनो, कहीं निकलता नहीं, आज पुलिस का ट्वीट वायरल हो रहा है, पुलिस का क्‍या भरोसा, माहौल भी खराब है…घर में ही रहना।

पहली बार एक संकल्‍प लिया पुलिस ने, वह भी बेहद फूहड़

ये ट्वीट निश्चित ही युवाओं को डराने वाला था। नैतिक अपराध और सामाजिक अपराध पर पिताजी से देर रात चर्चा भी हुई।

मेरी समझ में यहां यूपी पुलिस को कोई धीर-गंभीर ट्वीट करना चाहिए था। क्‍यों नहीं अपराधियों को पकड़ने की कसम खाई यूपी पुलिस ने? चाहती तो इस सोशल फोरम के जरिए अपनी छवि बदलने की कोशिश करती पुलिस। ये भी तो लिखा जा सकता था कि-

“आइए साथ-साथ मनाते हैं नया साल, आप शालीनता से इंज्‍वाए करिए, हम आपका ख्‍याल रखेंगे।”

खैर, मैं घर में ही रही।

चाऊमीन पैक कराई थी। खाकर सो गई।

( लेखिका साशा सौवीर लखनऊ की रहने वाली युवा पत्रकार, और प्रमुख न्‍यूज पोर्टल मेरी बिटिया डॉट कॉम की सह-सम्‍पादक भी हैं। )

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