यह लोग पत्रकार हैं, या फिर पुलिस के दल्ले

दोलत्ती

: वाट्सऐप ग्रुप बना कर खुद को पत्रकार के तौर पर पेश करते हैं यह लोग : पुलिसवाले ने साध रखा है ऐसे लोगों को भीड़ जुटाने के लिए :
दोलत्‍ती संवाददाता
लखनऊ : यह खुद को पत्रकार कहलाता है, लेकिन उसके पास कोई भी सूचना नहीं। किसी भी घटना को वह सिर्फ पुलिस के हवाले से प्रसारित करता है। उसे यह नहीं पता होता है कि घटना क्‍या थी, उसमें कौन शामिल था, घटना कहां हुई, किसके साथ हुई, कब हुई, कहां हुई, कैसे हुई। इतना ही नहीं, घटना से जुड़े हुए लोगों का नाम, उनका पता या उनका फोन नंबर जैसा कोई भी अतापता उन्‍हें नहीं पता होता है। किसी भी जानकारी मांगने पर उसका टका का जवाब होता है कि पुलिस सूत्रों से मुझे सूचना मिली है, और आपको अगर ज्यादा सूचना चाहिए तो सीधे थाने पर चाहिए। हां, आपके सवालों का जवाब देने के वह पुलिस थाने के प्रभारी, चौकी प्रभारी या बीट प्रभारी और सीओ व कप्‍तान का नम्‍बर जरूर रखता है।
लखनऊ में ऐसे ही एक शख्‍स से मेरी बातचीत हुई। इस शख्स का नाम है सत्य प्रकाश। यह अपने आप को पत्रकार कहलाता है। लेकिन किस संस्थान से जुड़ा में या कहां काम करता है अथवा फिर उसका अपना खुद की कोई समाचार एजेंसी है इसके बारे में कोई जानकारी नहीं देता। लेकिन उस का दावा जरूर है कि उसके पास एक फोटोग्राफर है और कई रिपोर्टरों की टीम भी। जब भी आप उससे बात करेंगे या कोई सूचना मांगेंगे तो पूरी धमक के साथ कहता है कि हमने थाने पर अपने रिपोर्टर पर भेज दिया है।
कल मैंने एक व्हाट्सएप ग्रुप में एक खबर देखी। इस खबर में दर्ज था कि गोल्डन टयूलिप नामक एक होटल में ग्राहकों ने हंगामा किया है। खबर के हिसाब से ग्राहक में होटल के वेटर से ग्राहकों ने चिल्ली पनीर का आर्डर दिया था लेकिन वेटर ने उसे चिल्ली चिकन परोस दिया। इस पर हंगामा हुआ। मामला थाने पर पहुंच गया।
मैंने इस सूचना को प्रसारित करने वाले शख्‍स से बातचीत की तो उसका कहना था कि यह सूचना उसे थाने से मिली है। आपको इससे संबंधित कोई भी सूचना हो आप सीधे थाने पर फोन कर ले। मैंने जब यह जानना चाहा कि घटना में होटल का फोन नंबर या उन ग्राहकों का नाम पता या फिर उनका फोन नंबर मिल सकता है क्‍या। तो उसका कहना था इसके लिए भी आपको थाने पर जाना पड़ेगा या फिर हम आपको फोन नम्‍बर दिए देते हैं। आप सीधे थाने पर संपर्क कर लीजिए। शुरू से ही अपनी पूरी ठसक के साथ उसने यह बताया कि उसके पास पुलिस की ओर से यह सूचना मिली है और पूरी जानकारी के लिए उसने फोटोग्राफर को थाने पर भेज दिया है। हमने सत्‍य प्रकाश से पूछा कि आप कि समाचार संस्थान से जुड़े हुए हैं, उसका जवाब था कि आपको जो भी सूचना चाहिए है, थाने पर ले लीजिएगा।
दरअसल, हमारे यहां आस-पास ऐसे लोगों की तादाद बहुत तेजी से बढ़ती जा रही है जो आपको न केवल भ्रमित कर देंगे बल्कि पूरी पत्रकार बिरादरी को भी कलंकित कर देंगे। ऐसे लोगों का धंधा क्या है यह अपने आप में रहस्य है। लेकिन लोगों का कहना है ऐसे लोगों की पत्रकारिता केवल पुलिस के सिपाही से लेकर पुलिस कप्तान के यहां जी-हुजूरी तक ही सीमित हुई है। वैसे यह लोग खुद को पत्रकार कहलाते हैं और इसके लिए अखबार या किसी अन्य समाचार संस्थान के नाम से कोई व्हाट्सएप समूह बना लेते हैं। उसके बाद एक से अधिक वाट्सऐप ग्रुप्‍स में अफवाहनुमा सूचनाएं काआदान-प्रदान करते रहते हैं। ऐसे लोगों का मकसद केवल पुलिसवालों पर दबाव बनाये रखना ही होता है।
ऐसी हालत में आपकी जिम्‍मेदारी है कि ऐसी कोई भी अनर्गल या अपूर्ण सूचना आपके पास पहुंचती है तो ऐसी हालत में आप ऐसी सूचना देने वाले व्यक्ति से फोन करके उस खबर के बारे में ही नहीं बल्कि उस पत्रकार के बारे में भी पूरी तफ्तीश कर ले। और अगर हो सके तो उसे हुई बातचीत अपने व्हाट्सएप ग्रुप में भी प्रसारित करने कर दें।

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