खुद बेची सब्जी-हडिया और बेटे को इंजीनियर बना दिया: झारखंड के मेढिया गांव की जांवना का बेटा आज अमेरिका में है इंजीनियर: अपना पेट तो हर बार काटा, लेकिन बेटे की फीस कभी नहीं: त्यागमयी मां को लताडने वाले वंशजों को करारा तमाचा
यह एक मिसाल है। जीती जागती मिसाल। जिसके सामने हर तरह के त्याग फीके पड जाएं और हर बार की तरह मां का परचम ही लगातार ऊंचा दिखायी पडता रहे। इतना ही नहीं, जो भी सुने। वो बिना यह कहे रूक ना सके कि ओ मां, तुझे सलाम!
झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिला के मुसाबनी प्रखंड की मेढिय़ा निवासी जांवना हेम्ब्रम ने पुत्र दुखी राम हेम्ब्रम को हर मुश्किल का सामना कर व हर दुख को झेलकर अच्छे तालिम दिलाई और आज उनका पुत्र अमेरिका में नौकरी कर रहा है। पति स्व. सुपाई हेम्ब्रम का वर्ष 1991 में स्वर्गवास के बाद से जांवना पर तीन पुत्री व पुत्र की परवरिश की जिम्मेदारी थी। आर्थिक तंगी के बावजूद हिम्मत नहीं हारी। अपने बुढ़ापे में होने वाले सहारे को अच्छी शिक्षा मिले, इसकी कोशिश उन्होंने हर समय किया। इसके लिए जांवना हेम्ब्रम ने सब्जी से लेकर हडिय़ा तक बेचा। दिनरात मेहनत की, और मेहनत रंग लाई भी।
पुत्र दुखी राम हेम्ब्रम का एमसीए का कोर्स पूरा होते ही हैदराबाद केंद्रीय विवि से कैंपस सलेक्शन टाटा कन्सलटेंसी सर्विस में हो गया। इसके बाद दो महीने के लिए दु:खी राम ने तिरुअनंतपुरम में ट्रेनिंग की। फिर पहली पोस्टिंग 1999 में दिल्ली में हो गया। फिर अक्टूबर 2000 में दु:खी राम स्विटजरलैंड गए। अगस्त 2001 में दिल्ली आ गए। अगस्त 2002 में लंदन तथा जुलाई 2005 में फिर दिल्ली वापस। मार्च 2006 में लंदन भेजे गए। अगस्त 2007 में दिल्ली, मई 2008 में कोलकाता, मार्च 2010 में अमेरिका के सेंट लुईस भेजे गए।
दुखी राम हेम्ब्रम का कहना है कि उसने शिव लाल उच्च विद्यालय से 1991 में मैट्रिक प्रथम स्थान, आइएससी 2003 में भुवनेश्वर बाक्सी जगबंधु विद्याधर कालेज से प्रथम स्थान, बीएससी 1996 में रेबीन्सा कालेज कटक से प्रथम स्थान में की। एमसीए में 1999 में हैदराबाद सेंट्रल विवि से गोल्ड मेडल प्राप्त किया। जहां से कैम्पस सलेक्शन हो गया। दुखी राम का अब कहना है कि ऐसी समर्पित मां को हासिल कर वे अब दुनिया की सबसे महत्वपूर्ण नेमत को हासिल कर चुके है। इसके आलवा उसे किसी भी चीड की कोई कोई कमी रही ही नहीं है।