राजनीति की मजबूरी से ससुर बन गये उप प्रधान
मंडी की चनौल पंचायत चुनाव नतीजों ने लिखी रोचक कहानी
ससुर तो ठेठ कांग्रेसी, जबकि बहू भाजपा की झंडाबरदार
सुंदरनगर भई अजब दृश्य होगा जहां एक निर्वाचित पंचायत प्रधान अपने ही उपप्रधान का आशीर्वाद लेकर शपथ लेगी। इतना ही नहीं, उप्र प्रधान तो खांटी कांग्रेसी होगा जबकि बहु हिन्दूवाद का झंडा उठायेगी। लेकिन यह काग्रेसी आशीर्वाद हासिल करने में भाजपा की प्रधान को कोई दिक्कत नहीं होगी। वैसे राजनीतिक मैदान में सारे पद खुद ही हथिया लेने के चलते ही यह राजनीतिक कम पारिवारिक स्वार्थों का समझौता बेहतर फलदायक साबित हो रहा
दिक्कत हो भी तो क्यों, आखिर मामला तो घर का ही है ना। फिर क्या समस्या। ऐसे में राजनीति तो आडे आ ही नहीं सकती। दोनों लोग एक ही घर के हैं। अब उनकी राजनीतिक विचारधारा अलग-अलग है तो क्या हुआ। लेकिन इतना तय है कि नायब प्रधान ससुर को अपनी प्रधान बहू की बात तो माननी ही होगी।
यह हुआ है हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के सुंदरनगर की चनौल पंचायत में। हिमाचल में जारी पंचायती राज और शहरी निकाय चुनाव में महिलाओं को पचास फीसदी आरक्षण के कारण हो सकता है कि कई और नारियां भी प्रधानी के चुनाव में लोकतांत्रिक रानी बनी हों लेकिन चनौल पंचायत में तो यह साबित हो ही गया है क्योंकि बहू प्रधान और ससुर उपप्रधान है।
पंचायती राज चुनाव के पहले चरण के मतदान में बहू नीलम ठाकुर प्रधान पद का चुनाव जीती हैं। उनके ससुर शंकर सिंह ठाकुर उपप्रधान पद पर विजयी हुए हैं। नीलम भाजपा की कार्यकर्ता हैं और शंकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व सुंदरनगर मंडल कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष हैं। वह इसी पंचायत के प्रधान भी रह चुके हैं। चनौल पंचायत इस बार सामान्य श्रेणी की महिला के लिए आरक्षित थी। हालांकि पंचायत चुनाव पार्टी चिह्न पर नहीं हो रहे हैं लेकिन भाजपा की ओर से यहां नीलम को मैदान में उतारा था।
प्रधान पद महिला के लिए आरक्षित होने के कारण शंकर सिंह ने उपप्रधान का चुनाव लड़ा। चुनाव परिणाम घोषित होने पर नीलम व शंकर सिंह दोनों ने जीत दर्ज की। प्रदेश के इतिहास में शायद यह पहला मौका है जब बहू व ससुर एक साथ प्रधान व उपप्रधान पद के लिए निर्वाचित हुए हैं। परिवार भले ही एक होगा मगर वैचारिक मतभेदों से पैदा होने वाले विवाद से बहू व ससुर किस तरह से निपटेंगे, यह देखने वाली बात होगी। ससुर जी का मान-सम्मान बरकरार रहेगा भले ही मेरी व ससुर जी की राजनीतिक विचारधारा अलग-अलग है लेकिन पंचायत के विकास के लिए मैं उनका मार्गदर्शन जरूर लूंगी। ससुर जी का जो मान-सम्मान घर में है, वह पंचायत में भी बरकरार रहेगा। जनता के हित में सभी फैसले सर्वसम्मति से होंगे। हां, पंचायत के काम में ससुर जी भी दखलअंदाजी नहीं करेंगे।
नवनिर्वाचित प्रधान नीलम ठाकुर के ससुर शंकर सिंह ठाकुर का कहना है कि बहू प्रधान जी को पूरा सहयोग दूंगा मैं पंचायत के कार्य में अपनी बहू का हर संभव सहयोग करूंगा। हम दोनों की राजनीतिक विचारधारा अलग-अलग है तथा प्रचार के दौरान वोट भी उसी आधार पर जनता से मांगे गए थे। ऐसे में मैं अपनी विचारधारा से भी पीछे नहीं हट सकता हूं।