वरिष्‍ठ पत्रकार साथी को श्रद्धांजलियां दीं, या अपना प्रचार ?

सैड सांग

: भैंसाकुण्‍ड स्थित अन्‍त्‍येष्टि संस्‍कार स्‍थल में भी अपनी प्रवृत्ति से बाज नहीं आये उपजा के पत्रकार : उपजा के संस्‍थापक सदस्‍य रहे सत्‍येंद्र शुक्‍ल का पार्थिव शरीर आज अग्नि को समर्पित : उपजा के पत्रकारों के कृत्‍य से पत्रकारों में आक्रोश, हरकत बेशर्मी की :

मेरीबिटियाडॉटकॉम संवाददाता

लखनऊ : प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार तथा उपजा के संस्थापक सदस्य रहे सत्येंद्र शुक्ला का पार्थिव शरीर आज का आज सायं लख़नऊ के बैकुंठ धाम/ भैसकुण्ड पर अग्नि को समर्पित कर दिया गया। इस मौके पर उनके परिजन तथा पत्रकार जगत में उनके शोकाकुल मित्र आदि मौजूद थे। हालांकि बैकुंठ धाम स्थित श्‍मशानघाट पर श्री शुक्‍ल के पार्थिव शरीर को श्रद्धांजलियां अर्पित करने के तौर-तरीकों को लेकर खासा बवाल खड़ा हो गया है। कई पत्रकारों का मानना है कि कतिपय पत्रकारों ने इस शोकाकुल अवसर पर श्रद्धांजलियां अर्पित करने की कवायद को अपने प्रचार का माध्‍यम बना लिया।

आपको बता दें कि सत्‍येंद्र शुक्‍ल का बीती शाम उनके आवास कैंट रोड पर निधन हो गया था। वे 92 वर्ष के थे। उनके वरिष्ठ पुत्र श्री राजीव शुक्ला वर्षों तक उपजा के वरिष्ठ पदों पर रहे हैं । श्री सतेंद्र शुक्ल ने अपने कैरियर की शुरुआत जागरण से की थी। बाद में हिंदुस्तान स्टेन्डर्ड, हिंदुस्तान टाइम्स, तथा आज में वर्षो तक कार्यरत रहे। अपने व्‍यवहार और अपनी लेखनी से अपनी धाक बनाने वाले सत्‍येंद्र शुक्‍ल के निधन से पत्रकारिता जगत को अपूरणीय क्षति हुई है।

लेकिन इस पूरे दौरान शर्मनाक हालत तो तब हुई, जब पत्रकारिता के नाम पर अपनी दलाली करने वाले एक भी बड़े पत्रकार मौके पर नहीं पहुंचे। सत्‍येंद्र शुक्‍ल की अंतिम-यात्रा के दौरान पर पसरा हुआ सन्‍नाटा बहुत अखरा। इतना ही नहीं, सूचना विभाग अथवा शासन से भी किसी भी बड़े ओहदेदार का मौके पर नहीं पहुंचना भी पत्रकार जगत में उनके मित्रों के दिलों को बुरी तरह कचोट गया। सत्‍येंद्र शुक्‍ल को कुछ इस तरह विदाई दी गयी, मानो सत्‍येंद्र शुक्‍ल कोई अनाम शख्‍स ही थे। न तो उप्र राज्‍य मुख्‍यालय मान्‍यताप्राप्‍त पत्रकार समितियों के लोग मौके पर पहुंचे, और न ही आईएफडब्‍ल्‍यूजे अथवा यूपी प्रेस क्‍लब का कोई पदाधिकारी वहां पहुंचा।

वरिष्‍ठ पत्रकार रामदत्‍त त्रिपाठी ने सत्‍येंद्र शुक्‍ल की मृत्‍यु पर अपनी संवेदना व्‍यक्‍त करते हुए लिखा है कि बहुत अफ़सोस हुआ . हार्दिक श्रद्द्धॉंजलि एवं शोक संवेदना।

मो ताहिर : ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे।

यूएस त्रिपाठी : Hardik shradhanjali. U s tripathi

काजिक जहीर ‬: अत्यन्त दुःखद खबर । काजिम जहीर 9935831501

+91 94152 14653‬: Dukhad. Vinamra shradhanjali..

बहरहाल, भैंसाकुण्‍ड में सत्‍येंद्र शुक्‍ल के अंतिम संस्‍कार के दौरान कतिपय पत्रकारों के कृत्‍यों को लेकर खासा विवाद हो गया है। हुआ यह कि श्‍मशान घाट पर नौ पत्रकारों ने एक पुष्‍प-गुच्‍छ एकसाथ अर्पित किया। लेकिन इस माला को अर्पित करते समय एक बड़े कागज पर उपजा का नाम भी दर्ज कर दिया। इतना ही नहीं, इन पत्रकारों ने पुष्‍प-गुच्‍छ अर्पित करते समय अपनी फोटो भी खिंचवा कर उसे वाट्सऐप और फेसबुक आदि में जमकर वायरल कर दिया। एक पत्रकार शेखर पंडित की टिप्‍पणी थी कि पत्रकारिता की राजनीति अपने स्वर्ण काल मे है आज एक वयोवृद्ध पत्रकार की अंत्येष्टि मे एक पुष्प चक्र चढ़ाते पत्रकारो का छोटा झुण्ड श्मशान घाट पर फोटो खिंचा कर वाटसएप पर वायरल किया गया।

पूरी तैयारी , परफेक्ट स्क्रिप्ट।

92 वर्ष के स्वर्गीय सत्येन्द्र शुक्ल जी का मैने आखिरी साक्षात्कार लिया था

सुनने समझने मे उनके पुत्र पत्रकार राजीव शुक्ला ने पचहत्तर प्रतिशत मेरी मदद की

उम्र का ये पड़ाव ही ऐसा होता है ।

अंग्रेजी शासन काल मे कलम से लड़ाई जो शुरू हुयी उसका समापन पत्रकारिता की दुर्दशा पर चर्चा के साथ हुआ ।

शत शत नमन और श्रद्धांजली

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