: चंदौली में कक्षा छह में पढ़ने वाली बच्ची का नाम सरकारी स्कूल से काट दिया गया : मामला भड़कने पर जिला प्रशासन ने अपनी पूंछ छिपायी, बोले- बच्ची का नामांकन ही नहीं हुआ था : सवाल यह कि किस आधार पर इस मासूम बच्ची मिल रहा था मिड-डे मील :
राजीव गुप्ता
चंदौली : एक तरफ सरकार शिक्षा का अधिकार कानून लागू कर समाज के आखिरी बच्चों तक शिक्षा पहुंचाने के लिये प्रयासरत है। सर्व शिक्षा अभियान के तहत छुआछूत,उंच नीच समाप्त कर मुफ़्त शिक्षा का प्रावधान है। वहीं चंदौली जनपद के विद्यालय प्रबंधकों की मनमानी और कृत्यों से सरकार के कानून का मखौल बनता जा रहा है। शिकायत मिलने पर जिले के आला अधिकारी जाँच के बाद कार्रवाई की बात कहकर ठन्डे बस्ते में डाल देते हैं और जब कार्रवाई की बात आती है तो मामला टांय-टांय फिस्स हो जाता है।
जनपद के स्कूलों मे घट रही शर्मनाक घटनाओं के बाद भी जिला प्रशासन के कान पर न तो जूं रेंगती नज़र आ रही है और ना ही किसी प्रकार की कार्रवाई ही हो रही है, जिससे जनपद के प्राइवेट विद्यालय के प्रबंधकों के हौसले बुलन्द हो गए हैं। उनके कारनामों से आमजन परेशान हो रहे हैं। घटना गत मंगलवार को हुई जिसमें सकलडीहा तहसील अंतर्गत बलुआ थाना क्षेत्र के मारुफपुर स्थित बाबा रामकृष्ण जूनियर हाई स्कूल की है, जहाँ डोम (धारकार) बिरादरी के घनश्याम की पुत्री कक्षा 6 की छात्रा महालक्ष्मी को यह कहकर विद्यालय से निष्कासित कर दिया गया कि डोम इस विद्यालय में नहीं पढ़ सकते, छूत लगता है।
स्कूल से अपना नाम कटने को लेकर महालक्ष्मी बताती है कि स्कूल में उसे कहा जाता है कि वह इस स्कूल में नहीं पढ़ सकती है। अगर स्कूल में वह बाकी बच्चों के साथ आयेगी, तो बाकी बच्चों में छूत हो जाएगा। महालक्ष्मी ने प्रमुख न्यूज पोर्टल मेरी को जो कुछ भी बताया, उसे सुन कर आपकी आंखें फटी ही रह जाएंगी। महालक्ष्मी की बात समझने के लिए निम्न विडियो के लिंक पर क्लिक करें:-
निष्कासित छात्रा की माता गीता देवी कहना था कि मिड-डे-मिल का बर्तन भी विद्यालय में नहीं नहीं मिलता था, उसे घर से लाना पड़ता था। इस घटना के बाद मामला मीडिया में आया तो जिला प्रशासन ने जाँच और कार्रवाई करने की बात कर एबीएसए को मौके पर भेज दिया। फिलहाल अभिभावकों का आरोप है कि उन्होंने एसडीएम व खण्ड शिक्षा अधिकारी से इसकी शिकायत की थी, लेकिन कोई भी कार्रवाई नहीं हो पायी।
इस बाबत जानकारी के लिए एसडीएम सकलडीहा छेदीलाल से उनके सीयूजी मोबाइल नंबर 9454417060 पर काल की गयी तो उन्होंने काल रिसीव नहीं किया, वहीं एबीएसए चेहनिया धर्मेन्द्र मौर्या ने बताया कि इस घटना की जांच एसडीएम और बीएसए ने की है। बीएसए कार्यालय के अनुसार इस जाँच में यह पाया गया कि उक्त बच्ची का नामांकन ही नहीं हुआ था। आरोप गलत था। उसका नामांकन करा दिया गया है और इसकी रिपोर्ट जिलाधिकारी को सौप दी गयी है।
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ऐसे में अगर एबीएसए की बात सच माने तो बच्ची के आरोप गलत हैं या फिर बच्ची की सच माने तो आखिर अगर उसका नामांकन नही हुआ था तो फिर उसे मिड डे मिल कैसे मिलता था और फिर उसे कैसे विद्यालय के प्रधानचार्य से मुलाकात हो गयी।
ऐसे में सरकार के लाख प्रयास के बावजूद आज भी छुआछूत की भावना लोगो के मन में कायम है।