बेटियों ! इससे तो फिर वापस धमकेगी क्रूर पर्दा-प्रथा

बिटिया खबर

युवतियों में निजी सौंदर्य ही नहीं, सामाजिक सौंदर्य भी जरूरी

वंदना त्रिपाठी

वंदना त्रिपाठी : सौंदर्य के प्रति अति सजग बालाएँ,जो अल्ल सुबह से देर रात तक चेहरा और हांथ पाँव ढंके रहती हैं उन्हे देख कर डर लगता है कि जिस पर्दा प्रथा से बड़ी मुश्किलों मे निजात मिली है वो फिर से अस्तित्व मे न आ जाय….आसमान छूने का हौसला है तो धूप…बारिश…लू के थपेड़ों से क्या डरना…प्रदूषण है तो दूर करने का प्रयास भी तो हमे ही करना होगा.. उनका दायित्व केवल अपने सौन्दर्य की रक्षा तक ही सीमित न हो बल्कि सामाजिक सौंदर्य के प्रति भी सजग रहना अवशयक है…

Vijaya Pant Tuli Mountaineer : BAHUT SAHEE

विश्वम्भर शुक्ल : बहुत कुछ छुपाना और बहुतों की नज़रों से अपने को छुपाये रहना होता है इन्हें ,प्रदूषण से चिंता तो बे-मानी है यहाँ !

Shivam Saxena : behtaree kataksh hai didi,

Om Sapra : nice

Vandna Tripathi : अदरणीय विश्वम्भर शुक्ल ji जींस-स्लीव लेस टॉप और फिर दस्ताने और चेहरे पर नकाब पहन कर भी लोगों की नज़रों से बचना थोड़ा मुश्किल ही होगा…फिर लोगों की नज़रों का मुकाबिला नकाब से न करके नज़रों से करने की कूवत भी तो आनी ही चाहिए…कब तक नकाब के भरोसे रहेंगे..

Vandna Tripathi : Shivam Saxena ये कटाक्ष नही मेरी चिंता है..

Tiwari Keshav : Sahmat

S Chandra Sekhar : घर मा बिटिया होते तो अब्बै, वहे धरि के पिरीच देती ..

Shivam Saxena : bina chinta ke koi kataksh kaise kar sakta hai, chinta ki agli stage hai kataksh.

वंदना त्रिपाठी की फेसबुक वाल से

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