बहुत बातें करती हैं कस्बे की लड़कियां

अंतत: रह जाती हैं अकेली….उम्र भर के लिए : छुपकर बतियाती हैं मोबाइल पर : मायामृग का संवेदनशील मन और……: होता अगर वे भी जा पाती कॉलेज : वंदना त्रिपाठी बहुत बातें करती हैं कस्बे  की लड़कियां कस्बे की लड़कियों के पास बहुत सी बातें हैं सूट के रंग पर घंटा भर खुश होती हैं […]

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बेटियों ! इससे तो फिर वापस धमकेगी क्रूर पर्दा-प्रथा

युवतियों में निजी सौंदर्य ही नहीं, सामाजिक सौंदर्य भी जरूरी वंदना त्रिपाठी वंदना त्रिपाठी : सौंदर्य के प्रति अति सजग बालाएँ,जो अल्ल सुबह से देर रात तक चेहरा और हांथ पाँव ढंके रहती हैं उन्हे देख कर डर लगता है कि जिस पर्दा प्रथा से बड़ी मुश्किलों मे निजात मिली है वो फिर से अस्तित्व […]

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