यूपी पुलिस धाराएं: एक जेब से, दूसरी जांघिया खोल के

दोलत्ती

: जिन्हें क्लासिक अंग्रेजी आती, उनका अंदाज़-ए-इश्क भी क्लासिक : अधिकतर तो सड़कछाप गालियां देते हैं, अपार्ट फ्राम बेईमानी :
कुमार सौवीर
लखनऊ : यूपी पुलिस की कार्यशैली मुख्यतः दो धारा में चलती है। एक तो वे, जिनके जीवन का ध्येय हराभरा मालामाल से भरपूर जेब को सम्पन्न करना होता है, जबकि दूसरे वे जीवन का ध्येय जेब के नीचे की सक्रियता। नीचे की सक्रियता, यानी जांघिया-चड्ढी संबंधी यौन-विह्वल अर्थात अति-यौनिक सक्रियता का भाव, जो हर समय सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित करने की बेशर्म हिलोंरें मारा करता है। पूरे महकम में तो भले ही यह न होता हो, लेकिन इतना जरूर है कि यूपी पुलिस में ऐसे चरित्रवाले पुलिसवाले और खास तौर पर आईपीएस अफसरों की तादात बढ़ती जा रही है।
एक तो वे, जिन्हें क्लासिक अंग्रेजी आती है, उनका अंदाज़-ए-इश्क भी क्लासिक ही होता है। यकीन न हो तो नोएडा में बड़ा-दरोगा रहे वैभव कृष्ण का वीडियो देख लीजिए, जिसमें अपनी एक महिला-मित्र को वीडियो-चैटिंग के दौरान अपना गुप्तांग दिखाते हुए बेहद रोमांटिक आवाज में फुसफुसा रहा है। हैरत की बात है कि जिस महिला से यह बड़ा-दारोगा वीडियो-चैटिंग कर रहा है, वह महिला वैभव कृष्‍ण की वीडियो-रिकार्डिंग भी कर रही है। लेकिन यह बड़ा-दारोगा अपनी यौन-इच्‍छाओं से विह्वल होने के चलते यह भांप तक नहीं पा रहा है कि यह महिला उसका काम लगा रही है।
उधर उन चोरकट बड़े-दरोगाओं का चरित्र देख लीजिए जरा, जिन पर तबादलों और रंगदारी के गंभीर आरोप लगे हैं। ऐसे बड़े-दरोगा लोग सड़कछाप भाषा में जनता की माँ-बहन करते हैं, और छिछोरे अंदाज़ में उगाही का लेन-देन भी करते हैं। वे मनचाहा जिला हासिल करने के लिए 80 लाख रूपयों तक का भुगतान करने को तैयार हैं, और अपने अधीनस्‍थों को मनचाही चौकी-थाना थमाने केलिए उनसे भी मोटी रकम उगाह रहे हैं।
आइये, वैभव कृष्‍ण के बारे में बात किया जाए। कोई भी पुरूष अथवा स्त्री अपने पति अथवा अपनी पत्‍नी से बातचीत कर सकता है। अंतरंगता की हर सीमा तक भी यह बात हो सकती है। वे परस्‍पर फोन पर भी बात कर सकते हैं, नेट पर हो सकते हैं, या वीडियो-चैटिंग में भी नेट-सेक्‍स भी कर सकते हैं। इसमें किसी को क्‍या ऐतराज हो सकता है। ऐतराज तो इस पर भी नहीं हो सकता है जब कोई भी प्रेमी अथवा प्रेमिका अपने प्रेमी अथवा प्रेमिका से बातचीत करें। उन्‍हें पूरी आजादी है। हर सीमा तक पहुंचने के दौरान वे वीडियो-चैटिंग कर सकते हैं।
लेकिन जब यह बातचीत सरेआम हो जाए, उसके वीडियो वायरल होने लगें, तो ऐतराज होता है। लेकिन सबसे बडा ऐतराज तो उन कृत्‍यों पर होता है, जब ऐसी हरकतें करने वाला अमुक व्‍यक्ति ऐसी सामाजिक रूप से स्‍थापित हो, और वह भी खास तौर पर तब जब वह शासकीय दायित्‍व का निर्वहन कर रहा हो। वैभव कृष्‍ण पर जो कार्रवाई हुई, वह कानूनी तौर पर कैसी थी, हमें नहीं पता, लेकिन नैतिक तौर पर वैभव कृष्‍ण अपराधी तो साबित हो ही चुके हैं।
अब आइये वैभव कृष्‍ण के उस पत्र पर चर्चा कर ली जाए, जो सरकार के निर्देश पर मेरठ के एडीजी प्रशांत कुमार के पत्र के जवाब में वैभव ने भेजा था। आरोप है कि वैभव ने ही वह पत्र लीक किया था।
यहां असल समस्‍या किसी पत्र के किसी स्‍तर पर लीक हो जाने को लेकर हर्गिज नहीं है, असल समस्‍या तो उन सवालों को लेकर है, जिसको लेकर वैभव कृष्‍ण ने अपने ही आईपीएस कैडर के पांच अफसरों पर उठाया है। पत्र में लिखा गया है कि यह पांचों लोग भयावह रूप से बेईमान हैं, 80-80 लाख रूपयों तक तबादलों की एवज में उगाहते या उगहवाते हैं। इतना ही नहीं, बताते हैं कि इस पत्र के मुताबिक यह अफसरों ने अपने अधीनस्‍थों मसलन चौकी प्रभारी और कोतवालों का तबादला करने के लिए मोटी रकमें उगाही हैं।

2 thoughts on “यूपी पुलिस धाराएं: एक जेब से, दूसरी जांघिया खोल के

  1. Ips महिला को देखते ही कामातुर हो जाये और पब्लिकली अपना पर्सनल नम्बर बांटने लगे वो भी एक बार नही 3 3 बार तो ऐसे को क्या कहा जायेगा काका

  2. मीडिया वालों ने ही पुलिस और भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया है आखिरकार मीडिया वालों ने कभी जनता से यह पूछा कि हमारे देश में न्याय कितना अच्छा है क्या किसी को न्याय मांगने का अधिकार नहीं है या अदालत में चप्पल घिसने का अधिकार है यही हमारी देश की न्याय व्यवस्था है अरे मीडिया वालों आप समय है जनता को न्याय दिलाने का आइए जनता को न्याय दिलाएं जो अदालत में इनके साथ जाती होती है निर्दोषों के साथ उसके खिलाफ आवाज उठाएं मूकदर्शक ना बने लोकतंत्र का मीडिया भी एक स्तंभ है और न्यायपालिका भी चौथा स्तंभ है जिस दिन हमारे देश की न्यायपालिका जल्दी-जल्दी न्याय करने लगेगी मेरा दावा है उस दिन देश से भ्रष्टाचार 99% से घटकर चार परसेंट पर रह जाएगा मेरे कमेंट को आगे फॉरवर्ड करें

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