: सलाम का हकदार बहराइच का डीएम, पत्रकारों की खाल खींचूंगा : मिहींपुरवा इलाके में उफनाये जरई नाले में फंसे दो युवकों के लिए जागते रहे डीएम अजयदीप, मगर एक भी पत्रकार का फोन नहीं उठा : बरसों बाद मेकअप-गर्ल और मवाली डीएम से मुक्त हो पाया है भरों की राजधानी यानी बहराइच :
कुमार सौवीर
लखनऊ : बहराइच शहर से करीब 55 किलोमीटर दूर है मिहींपुरवा नगर। और यहां से चंद मील दूर है जरई नाला। रविवार को यहां शारदा यानी घाघरा नदी अचानक उफनाने लगी। हाहाकार मचाती यह नदी अपनी सारी मर्यादाएं हमेशा की तरह ही तोड़ती और तहस-नहस करे हुए आसपास के इलाके को लीलने में आमादा दिख रही थी। वक्त रहा था रात का करीब बारह बजे। बाढ़ की रफ्तार से भयभीत लोग अपने आशियाने को छोड़ कर प्रभावित क्षेत्र से जल्दी से जल्दी बाहर निकलने की कोशिश में थे। कि अचानक मोटरसायकिल पर सवार दो युवक इस बाढ़ में फंस गये। न वापस जा सकते थे, और न ही आगे बढ़ जा पा रहे थे। सबसे बड़ी दिक्कत की बात तो यह थी कि अगर यह लोग वहीं पर रूक जाते, तो इस बात की पूरी आशंका थी कि बाढ़ का प्रवाह उन्हें भी हमेशा-हमेशा के लिए अपने काल के गाल में समेट कर खत्म कर देता।
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लेकिन अचानक इसी बीच जिला प्रशासन को खबर मिली कि इस विनाशकारी बाढ़ में दो युवक फंस गये हैं। खबर पाते ही जिला प्रशासन तत्काल सक्रिय हुआ और बाढ़ में फंसे इन युवकों को बचाने के लिए मोटरबोट, गोताखोर, और बाढ़ से निपटने में माहिर विशेषज्ञों की टोली मौके पर रवाना कर दी। जिला प्रशासन तब तक सक्रिय रहा, जब तक उन दोनों बाढ़ पीडि़तों को सुरक्षित बाहर निकालने की खबर न पहुंच गयी।
यह तो किस्सा है जिला प्रशासन की सतर्कता की। लेकिन खबर के धंधे में जुटे लोगों के शर्मनाक खर्राटों ने पूरी पत्रकारिता को कलंकित कर दिया। इस मामले में जिलाधिकारी ने जिस तरह मेरे जैसे अनजान शख्स के मोबाइल से आये फोन को महज दो घंटी पर ही रिस्पांस कर दिया, और खबर पाते ही मामले को आम आदमी की पीड़ा के बजाय खुद अपने परिवार की समस्या के तौर पर देखा और निपटाया, वह तो वाकई लाजवाब है। लेकिन जिस तरह पूरे बहराइच के पत्रकारों ने अपनी संवेदनहीनता का प्रदर्शन इस रात किया, वह उनकी गैरजिम्मेदार-पूर्ण दलालीग्रस्त और हत्यारी पत्रकारिता का बेहद घिनौनी तस्वीर ही है।
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दरअसल, रविवार की रात मेरे एक मित्र देर रात फोन पर मुझसे बात कर रहे थे। गोरखपुर के एक बड़े गैर-सरकारी संगठन के मुखिया और मूलत: चिकित्सक डॉक्टर भानु को मेरी बातचीत के बीच ही खबर मिली कि बहराइच के जरई नाले के पास दो युवक बुरी तरह पानी में फंस चुके हैं। उन्होंने बताया कि अगर कोई ठोस मदद नहीं पहुंची तो वह दोनों ही प्रलयंकारी बाढ़ में जिन्दा बह जाएंगे। डॉक्टर भानु ने मुझे उन लोगों के फोन नम्बर भी दिये। मैंने तत्काल बहराइच के जिलाधिकारी अजय दीप सिंह को फोन किया। हैरत की बात है कि केवल दो घंटी में ही उस डीएम का फोन उठ गया। मैंने अपना परिचय देते हुए पूरे मामले की गम्भीरता का जिक्र कर दिया। अजय दीप ने तत्काल मेरे फोन को होल्ड करते हुए पुलिस और स्थानीय प्रशासन को तत्काल कार्रवाई करने का आदेश दिया।
लेकिन इस पूरे घटना के बारे में मैंने जब बहराइच के पत्रकारों को सतर्क करने की कोशिश की, तो आप जानते हैं कि मुझे क्या नतीजा मिला। ठेंगे। करीब सात सौ पत्रकारों की बाढ़ नुमा भीड़ में से जिस भी पत्रकार से मैंने फोन पर सम्पर्क करने की कोशिश की, उसका फोन या तो स्विच-ऑफ रहा, अथवा उनकी घंटी तो बजती रही, लेकिन उठी नहीं। हैरत की बात है कि ऐसा कौन सा धंधा करते हैं बहराइच के पत्रकार, जो रात को घोड़े बेच कर सो जाते हैं, और फिर चाहे पहाड़ टूटे या फिर जमीन फट जाए, उनकी नींद ही नहीं उठती।
बहरहाल, अब आपको दो जानकारियां दे दूं। पहली बार तो यह, कि बाढ़ में फंसे दोनों युवकों की जान बच गयी। प्रशासन की कार्रवाई और मौके पर मदद पहुंचने तक ही स्थानीय ग्रामीणों ने उनकी जान बचा ली। और दूसरी बात बात यह कि उसके बाद लगातार 24 घंटों तक मैं यही खोजता रहा हूं कि बहराइच के पत्रकार किस-किस धंधे में शामिल हैं। कोई ठीकेदारी में है, कोई अपने बजाय दूसरे से खबर लिखवाता या रिकार्ड कराता है, कोई अधिशासी अभियंता की पिटाई में लिप्त में है तो कोई धमकी देकर इंजीनियर, सरकार और नेताओं से उगाही करने-कराने का धंधा कर रहा है।
तो अब यह मेरी ही जिम्मेदारी है कि मैं ऐसे पत्रकारनुमा धंधे बाजों पर सख्त कार्रवाई करूं। विश्वास दिलाता हूं कि जल्दी ही इस बारे में बाकायदा सीरीज प्रकाशित करूंगा।
यह भी लिखूंगा कि कौन-कौन ऐसे पत्रकार कुल-कलंक हैं, जो खबर के बजाय बाकी धंधों में हाथ चमका रहे हैं। और रोज-ब-रोज बड़ी गाडि़यों में घूम कर बड़े अफसरों के साथ सेल्फ खिंचवाने और फेसबुक पर लगा कर अपनी दलाली पर चार चांद लगाने में व्यस्त हैं। अब बहराइच के लोगों की जिम्मेदारी है कि मुझे ऐसे पत्रकारों की करतूतों का खुलासा और तथ्य मुझ तक भिजवा दें।