ज्‍यादा उपजै सड़ै ख्‍यात मा, उपज घटेउ ते मरै किसान

सैड सांग

: उमेश सिंह से दिल्‍ली में मेरी अंतिम मुलाकात के तीन साल हो चुके : कैंसर से जूझ रहे थे उमेश, चंद महीनों पहले ही हुआ देहावसान : बहुआयामी प्रतिभाओं के सिरमौर थे उमेश, केवल सोचा ही नहीं, करके भी दिखाया : आल्‍हा की तर्ज पर एक नायाब काव्‍य-ग्रन्‍थ लिख डाला था उमेश ने, कृषि की हालत पर :

कुमार सौवीर

नई दिल्‍ली : आज मैं फिर ठीक उसी जगह पर खड़ा हूं, जहां उमेश कुमार सिंह ने मुझे फोन किया। मैं जेएनयू के एक गेस्‍ट हाउस में था। वक्‍त रहा होगा सुबह का करीब नौ बजे का।

साफ पता चल रहा था कि उमेश अपने आफिस की ओर निकल रहे हैं। हालचाल के बाद लखनऊ तक की बातचीत हुई। हालांकि उसके बाद भी उमेश सिंह से कई बार मेरी मुलाकात हुई, लेकिन दिल्‍ली में नहीं। पिछले लम्‍बे समय से कैंसर से जूझ रहे थे उमेश। अभी चंद महीनों पहले ही हुआ देहावसान उनका।

लखनऊ के बंथरा में जन्‍मे, यहीं के विश्‍वविद्यालय से पढ़ाई की विज्ञान विषय से और आईएएस में केरल कैडर पाये उमेश कुमार सिंह चौहान उस वक्‍त प्रतिनियुक्ति में भारतीय कृषि सचिवालय में संयुक्‍त सचिव की हैसियत से देश के फूड बिल का मसला सुलझाने वाली टीम में शामिल थे।

बीती मंगलवार की दोपहर उन्‍होंने कृषि भवन में मुझे लंच के लिए आमंत्रित किया। बोले:- ” यहां बहुत बढिया थाली मिलती है। “

दो लाजवाब नुक्‍ती के लड्डू के समापन तक लम्‍बी बातचीत हुई। मेरे पास खूब सवाल थे, और उमेश सिंह के पास सहज-भाव। वे मान कर चलते रहे कि ज्‍यादा बातें ऑफ द रिकॉर्ड हैं।

बस, आपको एक जानकारी जरूर दे दूं कि उमेश सिंह चौहान ने आल्‍हा की तर्ज पर एक नया आल्‍हा-ग्रंथ लिखा है। यह पैरोडी कत्‍तई नहीं है,बल्कि जन-भाव और उसमें जन्‍मे प्रश्‍नों का समाधान के साथ-साथ सनातन समस्‍याओं का दिल दहला देने वाला दर्पण है। जिसमें केवल अवधी शब्‍द ही नहीं, बल्कि बुंदेली और बैसवारी शब्‍दों की भी खूब भरमार है।

मसलन, देशवासियों का पेट भरने के लिए अन्‍न उगाने वाले किसान की हालत को उनके इस आल्‍हा की इन लाइन से बेहतर प्रकट नहीं किया जा सकता है:-

ज्‍यादा उपजै सड़ै ख्‍यात मा,

उपज घटेउ ते मरै किसान।

मेरी निगाह में उमेश सिंह इसलिए सर्वोत्‍तम हैं, क्‍योंकि उन्‍होंने कृषि और किसान की हालत को महसूस किया, जबकि यह काम मूलत: नेताओं को करना चाहिए था। लेकिन जब नेता चुप रहे, तो उमेश ने कलम उठा ली थी।

उमेश, तुम बहुत याद आते हो

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