तो क्या भाजपा का किडनी ट्रांसप्लांट शेष है ?

बिटिया खबर
: किडनी ट्रांस प्लांट सुषमा स्वराज का ही नहीं , अरुण जेटली का भी हुआ :

दयानंद पांडेय
लखनऊ : बीमारी के बहाने सुषमा स्वराज का चुनावी राजनीति से विदा लेने का ऐलान सुन कर कतई कोई आश्चर्य नहीं हुआ । कभी प्रधान मंत्री पद की ख्वाहिशमंद रही सुषमा स्वराज मोदी सरकार में शुरु ही से असहज और अशक्त रहीं । ग़नीमत बस इतनी ही रही कि मंत्री पद पा जाने के बाद ख़ामोश रहीं । पर संकेतों में सब कुछ कहती रहीं । अगर मंत्री पद नहीं मिला होता तो आडवाणी कैम्प की सुषमा स्वराज को तो तय मानिए कि यशवंत सिनहा , अरुण शौरी और शत्रुघन सिनहा गैंग में खुल कर दिखतीं ।
राजनीतिक उठापटक और गुणा भाग अपनी जगह है पर सुषमा स्वराज मेरी पसंदीदा हैं । मेरी राय में अटल बिहारी वाजपेयी के बाद अगर भाजपा में कोई बढ़िया और तर्क संगत बोलने वाला है तो वह सुषमा स्वराज ही हैं । संसदीय मामलों का अच्छा जानकार होना भी उन के खाते में हैं । उन की शालीनता और मृदुभाषिता का भी मैं कायल हूं । सुप्रीम कोर्ट की वकील रहीं हरियाणा की सुषमा स्वराज पूरे देश की कब बन गईं , पता ही नहीं चला । वह कहीं से भी चुनाव लड़ कर जीत लेती थीं । पर बीमारी के बहाने उन का चुनावी राजनीति से बाहर होने का ऐलान बताता है कि भाजपा भीतर-भीतर बीमार बहुत है ।

नहीं किडनी ट्रांस प्लांट सुषमा स्वराज का ही नहीं , अरुण जेटली का भी हुआ है । अरुण जेटली तो नहीं कह रहे कुछ । बतौर वित्त मंत्री मोदी सरकार पर ही नहीं धरती पर भी भारी बोझ बन कर उपस्थित हैं । तो क्या भाजपा का किडनी ट्रांसप्लांट शेष है ?

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