: घिनौने कीड़ों का अभयारण्य है अमर उजाला अखबार : पत्रकार ने तान दी पिस्तौल, तो चीफ साहब पैंट में ही फारिग हो गये :
दोलत्ती संवाददाता
देवरिया : वह कहते हैं न, कि बाभन पर कोई दोष नहीं लगता। चाहे वह शौच के बाद पानी लेने के बजाय ढेला रगड़ ले, या पतुरिया का नाच देखने के बाद सुबह उसकी गोद में सो जाए। चाहे फिर वो दारू का धंधा में नोट छापना शुरू कर दे, या फिर अखबार का सम्मान बेच कर बेहिसाब रकम उगाहना शुरू कर दे। वह भले छिनारा करे, या फिर किसी लड़की को छेड़ना शुरू कर दे। ब्राह्मण को ऐसे आरोपों से विचलित नहीं होना चाहिए। उस पर कोई भी दोष नहीं लगता है, चाहे वह पत्रकार भले ही अब सड़क पर गुंडागर्दी करता फिरे। कुल मिलाकर हालत यह है कि तिवारी जी चूंकि बहु-आयामी बाभन हैं, पत्रकार हैं, दारू का धंधा है, लड़की छेड़ते हैं। इसलिए उपर कोई भी कार्रवाई नहीं हो सकती है।
इस पर भी कोई दोष नहीं लगता कि ऐसा ब्राह्मण अपनी कमर में पिस्तौल खोंसे रहता है, या फिर वह पिस्तौल किसी किसी भी पर तान देता है। ऐसी-वैसी और दो-कौड़ी की शख्सियत नहीं, बल्कि अपने ही अखबार के ब्यूरो प्रमुख तक की छाती पर रिवाल्वर तान देता है। लेकिन इस ब्राह्मण नुमा गुंडे, छिछोरे, पिस्तौलबाज, दारू-धंधेबाज, छेडखानी-श्रेष्ठ पत्रकार को कोई भी फर्क नहीं पड़ता। न खुद की छवि पर कोई फर्क पड़ता है, न समाज का, न प्रशासन और पुलिस पर कोई फर्क पड़ता है। बल्कि अखबार के मालिक और संपादक तो अब ऐसे लोगों को पूरे सम्मान के साथ अपने सिर-माथे पर रखते हैं।
ताजा मामला है ऋषिकेश तिवारी का। तिवारी जी अमर उजाला में अभी हफ्ते दिन पहले ज्वाइन किए हैं। बहुत ही चर्चित पत्रकार रहे हैं।अपने कारनामों से अभी कुछ महीने पहले इनके ऊपर लड़की छेड़खानी के चलते एफआईआर भी हुई थी। यह इससे पहले भी अमर उजाला में काम कर चुके हैं और अपनी ब्यूरो चीफ अवधेश मल्ल के ऊपर ऑफिस में पिस्टल तान दी थी। जिस पर अखबार के उच्च अधिकारियों से ब्यूरो चीफ ने शिकायत की थी। उसके बाद इनको हटा दिया गया। फिर यह व्यवसाय में लग गये। शराब की दुकानें हैं और हॉस्पिटल में गाड़ी चलाने का भी काम करवाते हैं। ऐसे चर्चित और दागदार आदमी को अमर उजाला ने अपनी संस्था में क्यों लिया यह बात समझ से परे है।
पूरे पूर्वांचल में और मीडिया जगत में यह चर्चा का विषय बना हुआ है कि ऐसे भ्रष्ट जिसके ऊपर इतने आरोप है उसको क्यों संस्था ने ज्वाइन कराया। जब ऐसे लोग देश के चौथे स्तंभ में में काम चलेंगे तो आने वाले समय इस तरफ जाएगा अब तो कुछ भी कह पाना मुश्किल है।
किसी एक ब्यक्ति की गलती हो और पूरा समाज को गाली दिया जाय ओ भी जातिसूचक…. क्या सही है… या आप सही हो.. बहुत बताओ….
पांडे जी आपकी बात सही है जर्नलिस्ट ठाकुर सतीश अहमदाबाद