: पीडब्ल्यूडी के प्रमुख अभियंता पर यौन-उत्पीड़न का आरोप पुख्ता : दीपावली की पूर्व संध्या में “पटाखों” का शोर : झांसी में पंचायत राज विभाग के उप निदेशक भी हनी-ट्रैप में अरझे :
कुमार सौवीर
लखनऊ : यूपी की नौकरशाही ने कोरोना-काल के दौरान और किसी दीगर मामले में कोई काबिलियत का प्रदर्शन भले न किया हो, लेकिन यौन-सम्बन्धी विवाहेत्तर लप्पर-झप्पर जैसे झंझटों में सरकारी अफसर काफी फंसे दिख रहे हैं। देश के सर्वोच्च न्यायाधीश रहे जस्टिस रंजन गोगोई पर जिस तरह उनकी स्टेनो ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था, ठीक उसी तर्ज पर यूपी के कई अफसरों पर उनकी अधीनस्थ रहे महिला कर्मचारियों ने भी गम्भीर आरोप जड़ दिये हैं। अब यह दीगर बात है कि रंजन गोगोई अपने पर लगे आरोपों को पूरी तरह झाड़ कर राजनीति में घुस गये हैं, लेकिन यह सौभाग्य यूपी के रंगीले अफसरों की किस्मत में नहीं दिख रहा है।
हैरत की बात है कि ऐसे आरोप तो एक प्रमुख अभियन्ता स्तर के सर्वोच्च अधिकारी तक पर चस्पां हो चुका है। हालांकि ऐसे यौन-अग्नि की तपिश से बदले सर्द मौसम के बावजूद झांसी तक बुरी तरह झुलसने लगा है। तो ताजा किस्सा तो देश में तकनीकी और इंजीनियरिंग वाला संविधान तैयार करने वाले यूपी के लोकनिर्माण विभाग से जुड़ा आया है। इस पीडब्ल्यूडी के सर्वोच्च अधिकारी यानी प्रमुख अभियंता एके जैन को उनकी पूर्व स्टेनो ने यह आरोप लगाया था।
यह आरोप तब लगाया गया था, जब वे सिंचाई विभाग में तकनीकी अधिकारी के प्रमुख थे। इस आरोप की जांच विशाखा गाइडलाइस के तहत हुई थी,जिसमें अब जैन को दोषी ठहराया गया है। जांच विशेष सचिव अनीता वर्मा की कमेटी ने की है। खबर है कि शासन इस मामले पर कड़ा कदम उठा सकता है। जैन इस समय लोकनिर्माण विभाग के साथ ही साथ ग्रामीण सड़क का जिम्मा भी है।
उधर झांसी में भी यौन-उत्पीड़न जैसे कई मामलों की खूब गर्मागर्मी चल रही है। पता चला है कि यहां पंचायत राज विभाग के उप निदेशक संजय बरनवाल पर उनकी स्टेनो ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है। खबर है कि संजय लम्बे समय से स्टेनो का यौन उत्पीड़न कर रही थी। जब उसने इस पर ऐतराज किया, तो संजय ने उसको ब्लैकमेल करने की धमकी दी थी।
बहरहाल, इस आरोप के बाद विभाग ने संजय बरनवाल को झांसी से हटा कर मुख्यालय से सम्बद्ध कर लिया है। इतना ही नहीं, अब उनके खिलाफ यौन उत्पीड़न के मामलों की जांच भी की जा रही है।