हर दूसरी मेडिकोलीगल रिपोर्ट में मिली छाती पर गहरी चोट या घाव
पहली नजर में इश्क कराने वाले चेहरे को भी नहीं बख्शा प्रेमियों ने
महिला के सीने पर वार करके अपनी झूठी मर्दानगी दिखाता है पुरूष
पेट में पलते अपने बच्चेक तक पर रहम नहीं करते मारपीट के दौरान
इश्क का हुस्न् पर हमला। लाहौल बिला कूवत। आप भले ही इस पर यकीन ना करें लेकिन यह हकीकत अब आम हो चुकी है कि हुस्न हासिल करने के लिए अपने घुटने तक रगड कर जमीन चाटने वाले इश्क को जैसे ही हुस्न हासिल हो जाता है, उसकी नजर में हुस्न इबादत की नहीं, बल्कि अपने दिमाग में बसी हिंसा को और भी भडकाने का जरिया बन जाता है। चलिए एक आंकडे देख लीजिए। हर दूसरी महिला की मेडिकोलीगल रिपोर्ट में उसकी छाती पर गहरे काले या लाल धब्बे मिलते हैं और अक्स र तो गहरे घाव भी पाये जाते हैं। कहने की जरूरत नहीं कि यह उस शख्स की ओर से मिला तोहफा होता है जो दिल से प्यार करने के दावे और वादे करता है।
तो अगर यह कहा जाए कि क्रूरता की पराकाष्ठा है इंसानी फितरत, तो अतिशयोक्ति नहीं होगा। बेहद अजीब होती है यह फितरत। जिस चीज से प्यार करता है, उसे ही तोड़ने पर आमादा रहता है। महिला को दिल से प्यार करने वाला पुरुष झगड़े में सबसे ज्यादा वार इसी दिल पर कर रहा है। मेडिकल कॉलेज और पीएल शर्मा अस्पताल में आए मारपीट के तकरीबन दो सौ मामलों के अध्ययन में इस तथ्य का खुलासा हुआ है। इससे समाज के उस पाखंड का भी असली चेहरा सामने आया है, जिसमें स्त्री को देवी समझकर पूजने की बात की जाती है।
जीवन से कैसी जंग स्त्री के आंचल में जीवन अंगड़ाइयां लेता है। कोई कितना भी दुखी हो, परेशान हो, अगर स्त्री उसे सीने से लगाकर एक जादू की झप्पी दे देती है तो कुछ देर के लिए ही सही, लेकिन सारे गम खत्म हो जाते हैं। मारपीट में यह बात सामने आई कि स्त्री को पीटने वालों ने सबसे ज्यादा वार सीने पर किए। हर दूसरी मेडिको लीगलरिपोर्ट में स्त्री के सीने पर लाल या काला निशान और कटने का निशान पाया गया। चेहरे पर अत्याचार महिलाओं के साथ मारपीट करने वालों ने उस चेहरे पर भी वार किया, जिसे देखकर वह पहली बार आकर्षित होते हैं। हर चौथी रिपोर्ट में चेहरे और सिर पर चोटों के निशान मिले। एक दर्जन रिपोर्ट में तो सिर पर किए गए वार को टेस्ट करने वाले डॉक्टर ने गंभीर घाव का दर्जा दिया। स्त्री पर वार वैसे भी पुरुषार्थविहीन लोगों का काम कहा गया है। ऐसे में अगर स्त्री की पीठ पर वार किया जाए तो वह किसका काम कहा जाएगा।
मेरठ के पत्रकार राहुल पांडेय ने यह कुछ चंद आंकड़े पीएल शर्मा अस्पताल से जुटाये और बाकायदा इनका अध्य यन कर स्टोरी बनायी। आप भी गौर कीजिए ना। सीना – 85 पेट या उससे नीचे – 70 सिर और चेहरा – 72 पीठ, कमर – 62 मेडिकल कॉलेज सीना – 97 पेट या उससे नीचे – 82 सिर और चेहरा – 67 पीठ, कमर – 63 (पीएल शर्मा अस्पताल के आंकड़े मेडिको लीगल केस के हैं। मेडिकल कॉलेज केआंकड़ों में भर्ती हुईं घायल महिलाएं भी शामिल हैं) डॉक्टरी राय मारपीट के दौरान व्यक्ति सबसे पहले और सबसे अधिक वार वहीं करता है, जहां कि उसे लगता है कि वह ज्यादा चोट पहुंचा सकता है। डॉ. विकास सैनी, साइकेट्रिस्ट बताते हैं कि सीने पर वार करके व्यक्ति सोचता है कि वह मर्द है। लेकिन असल में वह खुद को सिर्फ झूठी सांत्वना दे रहा होता है। महिलाओं पर कहीं भी वार जायज नहीं ठहराया जा सकता है। डॉ. सोना कौशल भारती, साइकोलॉजिस्ट बताती है थ्क्ा पेट से भी दुश्मनी अदा कर ली जाती है। दरअसल, मारपीट करने वालों ने उस जगह पर भी वार करने में कोई झिझक महसूस नहीं की, जहां पर जीवन जन्म लेता है, पलता है। रिपोर्ट में सामने आया कि पेट पर भी खूब वार किए गए। टेस्ट में अंदरूनी चोटों की रिपोर्ट तो नहीं मिली, यह लिखा मिला कि पेट पर वार के कुछ सेंटीमीटर बड़े निशान है। सभी चोटों में यह निशान दो सेंटीमीटर से सात सेंटीमीटर तक के मिले। साभार जागरण।