ईटीवी वाले जगदीश कातिल की नयी खबर, टोली समेत किसी ठौर की ओर हैं कातिल

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

: पूरी हिन्‍दी बेल्‍ट की खबरों पर बेमिसाल कब्‍जा किया है जगदीश चंद्रा ने : ताजा खबर है कि कई दीगर चैनलों में अपना नया ठौर जमाने की फिराक में हैं कातिल : नेटवर्क-18 पर रिलायंस के कब्‍जे के बाद से ही अपना नया आशियाना की चुनौती से जूझ रहे हैं जगदीश :

लखनऊ : यह सर्वविदित है कि ईटीवी के जगदीश चंद्र उर्फ जेसी कातिल ने रीजनल न्यूज़ चैनलों की परिभाषा ही बदली है। हकीकत यही है कि राजस्थान, झारखण्ड, बिहार, उत्तराखण्ड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश में हर सरकारी महकमे में केवल ईटीवी देखा जाने लगा गया है, तो उसका श्रेय केवल जगदीश चंद्रा के बल पर ही। क्योंकि किसको क्या पता, कि उसकी खबर कब कहां कितनी और कितनी मारक चल जाये। लेकिन ईटीवी को ऐसी ताकत पहुचाने वाले जगदीश चंद्रा उर्फ जगदीश कातिल अब इस चैनल के इसी मारक गुण के शिकार बन चुके लगते हैं।

ताजा खबर है कि ईटीवी का पर्याय बन चुके जगदीश चंद्र उर्फ जेसी कातिल और उनके अनेक सहयोगियों को ईटीवी से बाहर का रास्‍ता दिखाया जा रहा है। मतलब यह कि दूसरों की खबर सबसे तेजी से देने वाला यह चैनल अब अपने इस मठाधीश के साफ होते जा रहे पत्‍ता से अपने दर्शकों से छिपाने पर आमादा लगता है। वैसे जानकार बताते हैं कि जेसी कातिल वह शै का नाम है जो अब तक हमेशा जीत के पाले में ही रहा है। ताजा खबर यह है कि जगदीश चंद्रा अब अपना नया ठौर जमाने के लिए हर चंद कोशिशों में जुट गये हैं।

ताजा खबर है कि सरकारी भ्रष्ट अधिकारी ईटीवी के खौफ में रहने लगे .चैनल समूह जब इस मजबूत स्थिति में था तो फिर किन परिस्थितियों में जगदीश चंद्र को बाहर रास्ता दिखने का फैसला मुकेश अम्बानी संचालित नेटवर्क-18 ने लिया, कुछ भी पता नहीं है। और भी इस से सम्बंधित गतिविधियां हम समय समय पर आपको बताते रहेंगे क्योंकि हम खबर ही नहीं, ख़बरों की खबर भी बताते हैं।

ईटीवी की खबरों के जरिये सत्ता को हिलाने वाले जगदीश चंद्र इन दिनों कई मीडिया समूह से बात कर रहे हैं ताकि ईटीवी से छुट्टी के बाद वह उसी कद पर किसी अन्य क्षेत्रीय चैनल समूह को हेड कर पाएं। उनकी सत्ता से नजदीकी के किस्से हर राज्य सरकार के मुख्यालय में सुनने को मिलते हैं। हो भी क्यों न, आखिर देश के सबसे बड़े क्षेत्रीय न्यूज़ चैनल समूह को हेड करते हैं! कहते हैं, हर काल या समय में अच्छे दिन और बुरे दिन होते हैं, तो ऐसा लगता है की जगदीश चंद्र के अच्छे दिनों के बाद अब ये संघर्ष के दिन शुरू हो गए हैं।

विश्वस्त सूत्रों की मानें तो जगदीश चंद्र ने ज़ी मीडिया के प्रमुख सुभाष चंद्र से भी इस बाबत कई बार मुलाक़ात की और कहा तो यहाँ तक जाता है की उसी को देखते हुए सुभाष चंद्र ने ज़ी मीडिया में भी रीजनल-क्षेत्रीय चैनलों के लिए एक अलग हेड रखने की बात प्रस्तावित की है। जगदीश चंद्र इसके अलावा इंडिया न्यूज़ और सहारा समूह के प्रमुख से भी मिल चुके हैं, लेकिन अभी तक कहीं दाल गलती हुई नजर नहीं आती है।

कभी ईटीवी न्यूज़ समूह में बहुत मजबूत रहे जगदीश चंद्, इन दिनों अपने 8 साल के ईटीवी के दौर के सबसे चुनौतीपूर्ण समय से गुजर रहे हैं। ऐसे तो नेटवर्क-18 समूह ने जब से ईटीवी नेटवर्क को ख़रीदा है, उनके जीवन में ऐसे कई चुनौती पूर्ण दौर आये लेकिन, हर ऐसे पड़ाव पर जगदीश चंद्र अपने उच्च स्तरीय सम्पर्कों के कारण, किसी को हावी नहीं होने दिए।

मोदी से अपनी नजदीकियों को इन्होंने खूब भंजाया और 2013 में नेटवर्क 18 समूह के रिलायंस को पूरी तरह बिकने के बाद, रिलायंस समूह के मुकेश अम्बानी तक को कहीं न कहीं से इशारा करवाया की आने वाले लोकसभा चुंनावओं को देखते हुए जगदीश को न छेड़ा जाये . फिर क्या था, हुआ वही जगदीश चंद्र को पुरे ईटीवी न्यूज़ नेटवर्क का कमान सौंप दिया गया  और अपने हिसाब से चैनलों को चलाने की छूट दे दी गयी . इस दौरान रिलायंस की आवश्यकता मुताबिक ईटीवी न्यूज़ समूह के कई रीजनल चैनल क्षेत्रीय भाषाओँ में आये। जिसमे हिंदी भाषी क्षेत्रों के अलावा बंगला, कोंकणी, तमिल, कन्नड़ इत्यादि प्रमुख हैं।

इस दौरान जहाँ जगदीश चंद्र ने ईटीवी न्यूज़ समूह के बिज़नस की बागडोर नेटवर्क 18 से पूरी तरह ले ली वहीँ पत्रकार न होते हुए भी पत्रकारिता के रोल में ईटीवी पर द जेसी शो (The JC Show ) में भी दिखने लगे। अब ऐसे में ईटीवी न्यूज़ समूह का मालिकाना हक़ तो नहीं मिला लेकिन मालिकाना हक़ से कुछ कम भी न था। इसी बीच नेटवर्क 18 समूह के चयनित चेयरमैन आदिल, जगदीश चंद्र से मिलने ईटीवी के हैदराबाद ऑफिस पहुंचे लेकिन अपने को मालिक समझने की गलती करते हुए जगदीश चंद्र पहले ही वहां से निकल लिए और इस तरह शुरुवात हुयी जगदीश के समूह से जाने की कहानी।

जगदीश इन दिनों फिर से प्रधानमंत्री से अपने पुराने रिश्तों के जरिये मुकेश अम्बानी तक पहुँचने की पूरी कोशिश कर रहे हैं जो की नाकाम साबित हुआ है .साथ ही उनके रखे सारे कंसल्टिंग पत्रकारों की भी समूह ने इस सप्ताह छुट्टी कर दी है, जिसे देखकर यही लगता है की जगदीश चंद्र के ईटीवी के बस कुछ ही दिन बचे हुए हैं। और इसके बाद अंत हो जायेगा टीवी पत्रकारिता के ऊपर चढ़कर बोलने वाला पैसा का काल जहाँ ख़बरों का मतलब होता था पैसा और JC

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