आपका नहीं, हताश का जीवन व्यर्थ हो जाएगा। उसे बचाइए

: एक सचेत प्रयास भी एक जीवन को जीवंत, या फिर उसकी ढिबरी बुता सकता है: आत्महत्या पर आमादा व्यक्ति को मैंने अपने पास बुला लिया: परिवार तंतुओं का उल्लंघन तो अवसाद का बड़ा कारण : कुमार सौवीर लखनऊ : फेसबुक ने स्वार्थी, मूर्ख, समझदार और भावुक के साथ ही ऐसे लोगों के साथ भी […]

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होहो कर चिल्‍लाये नंगे पुलिसवाले, “देखो नंगा पत्रकार”

: विधायक की लाज बचाने को पत्रकारिता की हत्‍या की पुलिसवालों ने : गाजीपुर में सिर्फ उगाही, भाड़ में जाए कार्रवाई : पुलिस को वर्दी तो दूर, कच्छों की भी क्या जरूरत : पुलिसवालों की भाषा, बोली, तमीज, अंदाज़, व्यवहार और मनोवृत्ति के संदर्भ में आम आदमी की बेबसी : तनख्वाह पुलिस को, आम आदमी […]

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राँड, सांड़, सीढ़ी, संन्यासी वाली काशी ने एक छात्रा को रौंद डाला

: वाराणसी में हुआ अभूतपूर्व हादसा, तमाशा बने खड़े रहे राहगीर : पटिया इलाके में झगड़ते दो सांड़ों की लड़ाई में मारी गयी बीएचयू की निधि यादव : इनसे बचे सो सेवे कासी… लेकिन असल सवाल यह है कि आखिर कैसे सेवे हो पायेंगे श्रद्धालुजन : मेरी बिटिया संवाददाता वाराणसी : अविमुक्ति क्षेत्र काशी में […]

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जीवन के ठसपन से निर्मल प्रवाह का प्रतीक हैं बनारस की सीढि़यां

: सीढि़यों ने पूरी काशी को अविमुक्ति नगर में तब्दील कर दिया : उतरने-चढ़ने का अद्भुत दर्शन देखना-समझना हो तो बनारस आइये : कुमार सौवीर वाराणसी : काशी विकट क्षेत्र है। उसका आकार आस्था है, प्रवाह जीवन का स्पंदन है, सूर्योदय उसका आध्यात्म है, प्रेम उसका अन्तर्मन है, मौत यहां हर्ष है, शोक उसका उल्लास […]

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रांड़, सांड़, सीढ़ी, संन्यासी से मत बचो। यह सब दायित्व हैं

: आवा राजा बनारस, आज फिर घुसल जाओ बनारस मा : इसी गूढ़ार्थ के आधार पर ही तो आज जीवित है काशी : कुमार सौवीर लखनऊ : आइये, आज फिर घुसा जाए बनारस में। बनारस में घुसने को हला जाता है। मुझे पता नहीं कि यह हलना शब्द कैसे बना। शायद हल से बना होगा। […]

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