चिढ़ के पैगोडा में कई वजह जुड़ती हैं, जबकि गुस्‍सा क्षणिक

: गुस्‍सा क्षणिक, जबकि चिढ़ दीर्घकालिक। उन सब को जल्‍दी निपटाओ यार : चिढ़ और गुस्‍सा को दूर करना जरूरी, लेकिन समस्‍या यह कि लसोढ़ा लगाया जाए तो कहां : अक्‍सर तो तय ही नहीं हो पाता कि समाधान किस समस्‍या का हो : दिलों को जोड़ने के लिए भावुक लसलसे लसोढ़ा-पन की जरूरत सख्‍त […]

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हुसैनगंज का जिल्‍दसाज और पंसारी छंगा ही है लखनऊ का लसोढ़ा-पन

: उस सामाजिक ताना-बाना में पूरा मोहल्‍ला अभिभावक था : अभी भी वक्‍त है म्‍यां। रिश्‍तों को जोड़ने के लिए लसोढ़ा उगाइये : जन्‍मजात होती है बच्‍चों में झूठ और चोरी की आदत, उन्‍हें सहजता से निपटाना जरूरी : पतंग लूटने या उसे दुरुस्‍त कराने की औकात होती, तो नयी कनकउव्‍वा न खरीद लेते : […]

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अमीनाबाद के रानीगंज में थी लसोढ़ा वाली गली

: पतंग के चलते हर घर में झंझट, भाईचारा जैसा माहौल कहीं था ही नहीं : न्‍यू क्रियेटिविटी, आवश्‍यकता ही नूतनता का जननी : गोंदनुमा लसलसा और चिपचिपापन लसोढ़ा ही हम मुफलिस पतंग-भिखारियों का आखिरी सहारा था, जैसे अजमेर-शरीफ की मजार : कुमार सौवीर लखनऊ : हुसैनगंज में हमारा एक दोस्‍त हुआ करता था पप्‍पू, […]

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लसोढ़ा के बिना भी कोई जिन्‍दगी है ?

: परमानेंट तो हमारी-आपकी सांसें भी नहीं हैं हुजूरेआली : पीढि़यों तक संस्‍कार के लिए जीवन में लसोढ़ा-पन खोजिए : प्रेमचंद की बूढ़ी काकी या फिर मंत्र के उस ओझा की तरह डॉ चड्ढा का मासूम बच्‍चा बचाने वाला लसोढ़ा कहीं और न मिलेगा : अशक्‍त, असहाय, मजलूम, महकूम लोगों को जिन्‍दगी से कोई खास […]

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