सिर्फ कमर मटका रही है सुंदरी नाम की घोडी

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

सुन्दरी की बोली लग चुकी ५१ लाख तक


मालिक ने कहा सुन्दरी बेंचने के लिए नहीं: देखने वालों का लगा है ताँता

पुष्कर तीर्थ में लोग इंसानों से ही नहीं जानवरों से भी बहुत प्यार करते है। जिसका उदाहरण पुष्कर के मेले में देखने को मिली. पुष्कर. लोग इंसानों से ही नहीं जानवरों से भी बहुत प्यार करते है. जिसका उदाहरण पुष्कर के मेले में देखने को मिली, जी हाँ  उम्र ढाई साल, लंबाई 68 इंच, रंग काला और शरीर गठिले शरीर वाली ‘सुंदरी’ पुष्कर मेले की शान बनी हुई है।
काठियावाड़ी नस्ल की इस घोड़ी को मेले में लेकर आए हैं भटिंडा (पंजाब) निवासी सुखदीप सिंह उर्फ टिंकू। मेले में पशुपालक कई प्रजातियों के करीब चार हजार से अधिक घोड़े-घोड़ियां बेचने के लिए लेकर आए हैं। इनमें से सुंदरी अपने रंग-रूप, कद-काठी के कारण पशुपालकों शौकीन अश्व पालकों के लिए आकर्षण बनी हुई है। सुखदीप का कहना है कि वे घोड़ी को बेचने के इरादे से नहीं, सिर्फ प्रदर्शन करने के लिए लेकर आए हैं। उनका कहना है कि इस दो दांत की बछेरी की लंबाई के बराबर पूरे मेले में अन्य कोई अश्व नहीं है।
सुखदीप ने बताया कि इस घोड़ी के मेले में कई खरीदार आ रहे हैं। कोई दस लाख तो कोई पचीस लाख रुपए की बोली लगा रहा है। अब तक सर्वाधिक एक पशुपालक ने 51 लाख रुपए बोली लगाई है, लेकिन उन्होंने घोड़ी को नहीं बेचा।
सुंदरी को यहां लाने में करीब 45 हजार रुपए खर्चा हुआ है। प्रतिदिन इस पर एक हजार रुपए खर्चा हो रहा है।
सिर्फ शो पीस के लिए मेले में आई सुंदरी लोगों के आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। जिसको भी इसकी जानकारी मिल रही है वे इसे देखने के लिए उसके डेरे पर पहुंच रहा है। सुखदीप का दावा है कि पुष्कर मेले में लगी घोड़ों की अंतरराष्ट्रीय मंडी में सुंदरी के मुकाबले की ना तो कोई दूसरी घोड़ी है और ना ही कोई  घोडा.

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