अगर कानून है, तो जीबी रोड, कमाठीपूरा और सोनागाछी कैसे हैं ?

मेरा कोना

: क़ानून धंधा और हम, सवाल हम पर, कानून पर और  देश पर भी आयद हो रहे हैं : पांच हजार से ज्‍यादा बच्चियों की जिन्‍दगी बर्बाद करने वाले गर्म-गोश्‍त के ठेकेदारों की तादात क्‍या खत्‍म हो गयी : दस-दस मर्द नोंचते हैं नाबालिग बच्चियों की देह को, पुलिस हफ्ता वसूलती है : बड़े नेता और अफसरों को मौज-मस्‍ती के लिए परोसे जाने के ऐसे धंधे हम सब के चेहरे पर कालिख हैं :

शीतल पी सिंह

नई दिल्‍ली : दिल्ली की G B रोड पर कल पुलिस ने एक बार और छापा मारा है । एक आदमी उसकी बीबी मुनीम ड्राइवर नौकर समेत करीब दर्जन भर लड़कियों को पकड़ा है जो पनद्रह से बीस बरस के बीच की हैं ! ग़रीब परिवारों की बेबस बच्चियाँ!

गिरोह की खबर टी वी पर है अख़बार में है सोशल मीडिया पर है । पुलिस अफ़सर का quote चल रहा है “इस गिरोह ने पिछले कई सालों में तक़रीबन पाँच हज़ार नाबालिग़

बच्चियों को “धंधे” में डाला है “!

“धंधा” क्या होता है ?

दिन रात मिलाकर बीस बीस मरद बारह पनद्रह साल की बच्ची की देह नोचते हैं , उसके बदन में पेशाब करते हैं , उसके मुँह में लार उलटते हैं, उसकी छाती नोंच डालते हैं, कुछ

सिगरेट से जला कर उसकी चीख निकालते हैं ! धंधे के मालिक के गुंडे उसे बेतरह/बेवजह पीटते हैं , उसमें दहशत भरते हैं । उसे तीन बाई छ: के दड़बे में क़ैद होना क़बूल कराते हैं

और न जाने क्या क्या करते हैं । तीस पैंतीस तक पहुँचते पहुँचते सौ में से सत्तर बच्चियाँ यौन बीमारियों और हिंसा से मर जाती हैं । बाकी “धंधे” का पुर्ज़ा बनकर दूसरी बच्चियों को जीते-जी नर्क में ठेलती रहती हैं !

देश के क़ानून में वेश्यावृत्ति अपराध है , चकला चलाना संगठित अपराध है , दड़बे में किसी इन्सान को क़ैद रखना संगीन अपराध है और बच्ची से बलात्कार की सज़ा उम्र क़ैद है !

पर पकड़े गये गिरोह के सरगना के पास पचास करोड़ की जायदाद मिलना साबित कर रहा है कि क़ानून फेल है और हम इस गुनाह के शरीक!

अगर क़ानून है तो जी बी रोड , कमाठी पुरा और सोनागाछी कैसे है ?

(शीतल पी सिंह ने करीब 25 साल पहले पत्रकारिता को बाय-बाय कर दिया था। लेकिन सम-सामयिक मसलों-बहसों पर उनका दखल बराबर मौजूद रहता है। वे फिलहाल अपने गृह जनपद सुल्‍तानपुर से लेकर अपने कर्म-स्‍थल नई दिल्‍ली में कामधंधे में जुटे हैं।)

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